अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश

रुपये में गिरावट विदेशी एमएफ योजनाओं के लिए लाभदायक
रुपये में कमजोरी आने से अंतरराष्ट्रीय फंडों को गिरावट के संदर्भ में काफी हद तक मदद मिली है। अमेरिका का नैस्डैक 100 सूचकांक एक साल में 25 प्रतिशत नीचे आया है, जबकि भारत में अंतरराष्ट्रीय फंडों में महज 17 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई।
इंटरनैशनल मनी मैटर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) राहुल जैन ने कहा, 'मुद्रा में गिरावट इस बार औसत के मुकाबले काफी ज्यादा रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय फंडों में गिरावट सीमित हुई है।'
दिलचस्प तथ्य यह है कि रुपये की वैल्यू में कमी आने से नैस्डैक 100 से जुड़े फंडों को निफ्टी-50 सूचकांक से जुड़े फंडों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली है। स्थानीय मुद्रा के संदर्भ में तीन साल की अवधि के दौरान निफ्टी 47 प्रतिशत तक चढ़ा है, जबकि नैस्डैक में 45 प्रतिशत की तेजी आई।
वैल्यू रिसर्च के अनुसार, मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 ईटीएफ ने तीन साल की अवधि के दौरान 18 प्रतिशत का सालाना प्रतिफल दिया, जबकि निफ्टी-50 के कई इंडेक्स फंडों द्वारा समान अवधि में 15 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश का प्रतिफल दर्ज किया गया।
यह बढ़त डॉलर में वृद्धि की वजह से हुई, जो खासकर अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश से संबंधित थी। यह भी एक वजह है जिसकी वजह से निवेश सलाहकार और विश्लेषक विदेश में शिक्षा और यात्रा जैसे लक्ष्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडों में एसआईपी का सुझाव दे रहे हैं। एकाध बार को छोड़कर, रुपया पिछले दशक में प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में डॉलर के मुकाबले गिरावट का शिकार हुआ।
भौगोलिक विविधता से जुड़ी और बड़ी एवं नए जमाने की कंपनियों में अंतरराष्ट्रीय निवेश करने के अन्य लाभ भी हैं। इन कारकों के साथ साथ 2020 की गिरावट के बाद वैश्विक बाजारों द्वारा आकर्षक प्रतिफल दिए जाने से भी अंतरराष्ट्रीय फंडों को पिछले कुछ समय से नए निवेशकों को अपने साथ जोड़ने में मदद मिली है।
म्युचुअल फंडों के उद्योग संगठन एम्फी से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) श्रेणी में नई फंड पेशकशों (एनएफओ) ने वित्त वर्ष 2022 में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक पूंजी जुटाई। इस अवधि के दौरान, इन एफओएफ की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) दोगुनी बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
हालांकि, दो कारकों की वजह से इस साल एयूएम में इजाफा नहीं हुआ है, जिनमें शामिल हैं - उद्योग द्वारा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में 7 अरब डॉलर की सीमा पार किए जाने के बाद नए पूंजी प्रवाह पर सीमा और अंतरराष्ट्रीय बाजारों का कमजोर प्रदर्शन।
2022 में नैस्डैक 100 अब तक करीब 31 प्रतिशत गिरा है, क्योंकि ऊंची मुद्रास्फीति और उसके बाद ब्याज दर वृद्धि से कंपनियों की आय प्रभावित हुई।
हालांकि फिर भी निवेश सलाहकार निवेशकों को अपनी अंतरराष्ट्रीय निवेश योजनाओं में निवेश बरकरार रखने की सलाह दे रहे हैं।
प्लान अहेड वेल्थ एडवायजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी विशाल धवन ने कहा, 'विभिन्न भूभागों में अलग अलग समय में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है। अल्पावधि प्रतिफल आगामी प्रदर्शन का अच्छा संकेतक नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मूल्यांकन के नजरिये से संभावनाएं बरकरार हैं।
कई वैश्विक बाजारों में मूल्यांकन उनके दीर्घावधि औसत के मुकाबला ज्यादा नीचे नहीं है, जबकि भारतीय बाजार लगातार ऊंचे मूल्यांकन पर बना हुआ है।'
विदेशी शेयर बाजार से प्रॉफिट कमाना चाहते हैं तो निवेश की इन गलतियों से बचें
घरेलू बाजार के खराब रिटर्न के बाद आप अंतरराष्ट्रीय मार्केट में निवेश कर सकते हैं लेकिन इसका सही तरीका क्या है?
शंकर शर्मा और देविना मेहरा
हमने 2019 में मॉर्निंगस्टार सम्मेलन में एक प्रेजेंटेशन दी जिसने निवेशकों के बीच काफी हलचल पैदा कर दी थी। प्रेजेंटेशन का विषय यह था कि भारतीय इक्विटी बाजार ने पिछले 10, 5, 3 और 1 वर्ष की अवधि में बेहद निराशाजनक रिटर्न दिए हैं ।
2010 से अब तक, डॉलेक्स (अमेरिकी डॉलर में सेंसेक्स) 6% नीचे है। इसका मतलब है कि अमेरिकी डॉलर में भारतीय बाजारों ने पिछले 10 साल में नेगेटिव रिटर्न दिया है। 2019 के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं।
2019 के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं।
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बाकी बाजारों की बात छोड़ भी दें, तब भी यह बात ध्यान देने लायक है कि तुर्की जैसे बाजार ने भी भारत से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे भी ज्यादा चौंका देने वाली बात यह है कि FD और बॉन्ड जैसे दुनिया भर के फिक्स्ड रिटर्न देने वाले प्रोडक्ट्स ने भी भारत के शेयर बाजार से ज्यादा रिटर्न दिया।
इन डेटा से इमर्जिंग मार्केट और खासकर भारतीय निवेशकों के लिए एक बात साफ हो गई कि एक देश, एक मुद्रा, एक एसेट का रिस्क लॉन्गटर्म रिटर्न और रिस्क मैनेजमेंट के लिए ठीक नहीं है। लिहाजा इंटरनेशनल डायवर्सिफिकेशन यानी अमेरिकी या यूरोपीय बाजारों में निवेश बढ़ा है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके परिणाम भी अच्छे नहीं रहे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार खासतौर पर अमेरिकी बाजार, पिछले 2 महीनों में भारतीय बाजारों के मुकाबले कहीं ज्यादा गिरे हैं। तो अब हर किसी के दिमाग में यह सवाल है कि अंतरराष्ट्रीय निवेश में गलती कहां हुई थी?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं हैं। इसकी शुरुआत आसान जवाब से करते हैं। अंतराराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन एक बहुत कठिन और जटिल प्रक्रिया है। व्यावहारिक रूप से इसका कोई सीधा या आसान तरीका नहीं है। सही मायने में डॉलर एक्स्पोज़र से अलग कोई सही डायवर्सिफिकेशन नहीं देते हैं।
विदेशी शेयर बाजार में निवेश कनरे का कोई आसान तरीका नहीं है। आइए हम जानते हैं कि विदेश बाजार में निवेश करने के क्या ऑप्शन हैं।
फीडर फंड के जरिए
अंतराराष्ट्रीय निवेश का सबसे आसान तरीका लोकल फंड हाउस के जरिए अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय फंडों के फीडर फंड में निवेश करना है।
फीडर फंड की मुश्किल
सबसे पहले, इन फीडर फंड्स से आपको असल डायवर्सिफिकेशन नहीं मिलता है। अब, आपने एक के बजाय दो बाजारों में निवेश किया है पर इससे डायवर्सिफिकेशन नहीं मिलता। ये फीडर फंड्स का खर्च यानी एक्सपेंस रेशियो 2-3% के लगभग होता है जो कि असल में काफी अधिक है।
इस खर्च का अनुपात इतना ज्यादा इसलिए है क्योंकि विदेश के फीडर फंड बेचने वाले भारतीय फंड हाउस को बिना किसी काम के फीस मिल मिलती है। आप अपने फंड पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों फंड मैनेजर को फीस देते हैं। साथ ही आपके फीडर फंड को लेकर घरेलू फंड मैनेजरों की कोई जवाबदेही नहीं होती है। क्योंकि असल निवेश प्रबंधन तो न्यूयॉर्क या लंदन में बैठा कोई व्यक्ति या फंड हाउस कर रहा होता है। घरेलू इकाई महज एक मध्यस्थ होती है।
इंटरनेशनल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) खरीदना
इंटरनेशनल मार्केट में निवेश करने का यह सबसे पॉपुलर तरीका है। फीडर फंड्स की तुलना में इसकी एक बात अच्छी होती है कि इसकी कॉस्ट कम होती है।
अब सवाल यह है कि निवेशक कैसे तय करता है कि कौन सा ETF खरीदना है? इन ETF अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश के माध्यम से किन बाजारों में निवेश करना है? वह रिस्क और रिटर्न को कैसे संतुलित करें?
बाजार और अलग-अलग ऐसेट क्लासेस का एक सही पोर्टफोलियो बनाने के क्या मायने हैं और यह कैसे तय करें?
ETF निवेश के लिहाज से सबसे सटीक है। जानकार निवेशकों के लिए ही ठीक काम करते हैं या कर सकते हैं क्योंकि सबसे अहम यह फैसला रहता है कि किस समय और किस अनुपात में कौन सा ETF खरीदना है।
और जहां तक अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के शेयर या अन्य सिक्योरिटीज खरीदने का संबंध है वह आम निवेशकों के बस की बात नहीं है क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर जोखिम और अस्थिरता हो सकती है।
याद रखें, विश्व स्तर पर, अमेरिका सहित, स्टॉक समय-समय पर 20-50% तक गिर जाते हैं। यह गिरावट तभी आ सकती है जब उनके नतीजे पूर्व अनुमान से थोड़ा भी कम आए।
अंतरराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन का सही तरीका क्या है?
ऊपर बताए गए कोई भी तरीका सही अंतरराष्ट्रीय डायवर्सिफिकेशन नहीं देता है। कि सभी रास्तों की अपने-अपने समस्यायें हैं।
अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए और डायवर्सिफिकेशन के लिए एक ही सही रास्ता है और वह है टॉप डाउन ऐसेट एलोकेशन का, यानी कि सही तरीके से एसेट्स का आवंटन करना।
बिना इस बात को समझे और व्यवहार में लाए केवल एक फीडर फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश भी कितना खतरनाक हो सकता है। नैस्डेक के हाल के प्रदर्शन से यह साफ है जब पिछले 1 महीने के भीतर ही अधिकांश शेयर 40-50% नीचे आ गए।
गौर करने की बात यह है कि किसी भी समय किसी ना किसी एसेट क्लास में तेजी होती है। मसलन, 1998 में टेक्नोलॉजी, 2004-07 तक इमर्जिंग मार्केट्स, 2003-08 तक कमोडिटी, 2010 से अमेरिकी फिक्स्ड और 2009 से फिक्स्ड इनकम। जबकि इस दौरान बाकी एसेट क्लास में सुस्ती रहती है।
अंतरराष्ट्रीय निवेश करने के लिए आप जिस फंड मैनेजर को चुने उसमें यह क्षमता होनी चाहिए कि वह अलग अलग ऐसेट क्लासेस जैसे अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, कमोडिटी इत्यादि को समझ कर पोर्टफोलियो बना सके।
इससे भी अहम बात है कि आपके फंड मैनेजर के पास इन आवंटन को तेजी से मैनेज करने का कौशल होना चाहिए। यानी जो पोर्टफोलियो बनाया है उसको समय-समय पर कैसे चेंज करें और आवंटित करें। अगर आप सही तरीक से आवंटन नहीं करते तो भी आपका नुकसान होना तय है।
अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि फंड मैनेजर ऐसा होना चाहिए जो आपकी आवश्यकताओं को समझे और आपके निवेश की योजना बनाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध हो बजाय इसके की निवेश प्रबंधन की प्रक्रिया आप से हजारों मील दूर हो जिसके बारे में आपको सीधे-सीधे कुछ पता भी नहीं लगा सके।
शंकर शर्मा और देविना मेहरा एक ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट एंड सिक्योरिटीज फर्म, फर्स्ट ग्लोबल के संस्थापक हैं।
मोटी कमाई के लिए घर पर बैठकर खरीदें Apple, Google और Tesla जैसी कंपनियों के शेयर, ये रहा पूरा प्रोसेस
how to invest in us market from india-टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों के शेयर रोजाना नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. इन कंपनियों की तेजी का फायदा आप भी उठा सकते हो. आज हम आपको इससे जुड़ी जरूरी जानकारी दे रहे हैं.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jan 13, 2022 | 6:00 AM
भारतीयों में विदेशी शेयरों, खासकर अमेरिकी कंपनियों (US Companies) के शेयरों में निवेश का चलन तेजी पकड़ बना रहा है. अगर आप भी घर बैठे एपल, गूगल, टेस्ला जैसे शेयरों को खरीदने के विभिन्न विकल्पों के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां हम आपको इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. अमेरिकी कंपनी ऐप्पल (Apple) की कुल मार्केट वेल्यू 3 ट्रिलियन डॉलर के पार हो गई है. टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), अमेजन (Amazon), फेसबुक (Facebook) और गूगल (Google) जैसी कंपनियां भी तेजी से अमीर होती जा रही हैं. इन कंपनियों की तेजी से होती ग्रोथ को देखकर भारत से भी कई निवेशक अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं. यह संभव हो सका है विदेश में निवेश करने वाले फंड के जरिए.एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इंडिया यानी एंफी की मानें तो 2021 में जनवरी से नवंबर के दौरान विदेश में पैसा लगाने वाले फंड्स ऑफ फंड्स में 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश हुआ है.
Apple Google और Amazon जैसी अमीर कंपनियों के शेयर खरीदने का पूरा प्रोसेस-विदेश में निवेश करने का सबसे आसान तरीका फंड ऑफ फंड्स यानी FoF रूट ही है. विदेशी फंड ऑफ फंड ऐसे ग्लोबल म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं जो वैश्विक शेयरों में पैसा लगाते हों. ऐसे फंड ऑफ फंड्स की होल्डिंग में एक या एक से वैश्विक ग्लोबल फंड शामिल हो सकते हैं. हालांकि विदेशी बाजारों में निवेश के लिए सिर्फ विदेशी फंड ऑफ फंड्स ही अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश एक तरीका नहीं है… कई और भी तरीके हैं, आइए उन्हें जानते हैं…
(1) अंतरराष्ट्रीय स्टॉक वाले म्यूचुअल फंड्स में निवेश
विदेशों में निवेश का दूसरा तरीका सेक्टोरल या थीमैटिक फंड हैं. सेक्टोरल या थीमैटिक म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग में भारतीय और विदेशी शेयरों का मिश्रण हो सकता है. यानी इस तरह के फंड्स में ऐपल, गूगल सहित भारतीय कंपनियां शामिल हो सकती हैं.
(2) इंडेक्स फंड
एक और तरीका है जिसे इंडेक्स फंड कहा जाता है…. जिस तरह भारतीय शेयर बाजारों के अलग-अलग इंडेक्स के लिए इंडेक्स फंड उपलब्ध हैं उसी तरह वैश्विक शेयर बाजारों के लिए भी इंडेक्स फंड हैं… वैश्विक बाजारों में निवेश करने वाले इंडेक्स फंड भी दुनिया के किसी एक शेयर बाजार के किसी एक इंडेक्स को ट्रैक करके निवेश करते हैं… मोतीलाल ओसवाल एसएंडपी 500 इंडेक्स फंड इसका एक उदाहरण है.
(3) अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ में निवेश
वैश्विक बाजारों में निवेश का एक और तरीका इंटरनेशनल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ईटीएफ भी हैं, ये ईटीएफ सामान्य तौर पर 2 तरह हो सकते हैं- Country specific और Country neutral. Country specific ईटीएफ आपको किसी चुनिंदा देश में निवेश करने की अनुमति देते हैं. उदाहरण के लिए, वैनएक्क वेक्टर्स वियतनाम ईटीएफ आपको वियतनाम इक्विटी बाजार में निवेश करने की अनुमति देता है. दूसरी ओर, Country neutral ईटीएफ आपको पूरी दुनिया में निवेश करने की अनुमति देते हैं.
(4) सीधा निवेश
ऐसा नहीं है कि सिर्फ फंड्स या ईटीएफ के जरिए ही आप अमेरिकी या अन्य विदेशी बाजारों में निवेश कर सकते हैं, बल्कि सीधे निवेश का तरीका भी है, जैसे भारतीय शेयर बाजार में निवेश के लिए आप ब्रोकर के जरिए ट्रेडिंग कर सकते हैं, ठीक उसी तरह अमेरिकी बाजारों में भी कर सकते हैं, बशर्ते अमेरिकी ब्रोकर हायर करना होगा या फिर भारत में जो ब्रोकर अमेरिकी बाजारों में निवेश की सुविधा दे रहे हैं उनसे संपर्क करना होगा… दोनों ही परिस्थितियों में आपको इंटरनेशनल ट्रेडिंग खाता भी खोलना पड़ेगा और ट्रेडिंग के लिए करेंसी को डॉलर में बदलवाना होगा.. ऐसा करके आप सीधे ऐपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं.
(5) इंडियन डिपॉजिटरी रिसीट्स (IDRs)
आप इंडियन डिपॉजिटरी रिसीट्स यानी आईडीआर के जरिए भी विदेशी बाजारों में निवेश कर सकते हैं. आईडीआर मूल रूप से भारतीय करेंसी में होता है और सेबी रजिस्टर्ड डिपॉजिटरी इसे तैयार करता है. आईडीआर को कंपनी की इक्विटी के बदले जारी किया जाता है ताकि विदेशी कंपनियों को भारत से धन जुटाने में सक्षम बनाया जा सके. चूंकि विदेशी कंपनियों को भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग कराने की अनुमति नहीं है, आईडीआर उन कंपनियों के शेयरों को खरीदने का एक तरीका है.
SEBI ने म्युचुअल फंड कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय शेयरों में निवेश की अनुमति दी, निवेशकों को मिलेगा बंपर रिटर्न
सेबी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रत्येक म्यूचुअल फंड द्वारा विदेशी निवेश फरवरी के स्तर तक सीमित रहे।
Edited by: Alok अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश Kumar @alocksone
Published on: June 21, 2022 13:56 IST
Photo:FILE
Highlights
- सेबी के इस फैसले से म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए अवसर बढ़ेंगे
- इस पहल से म्यूचुअल फंड निवेशकों को अधिक रिटर्न मिलने की उम्मीद
- म्यूचुअल फंड फिर से विदेश बाजारों की सिक्योरिटीज या ईटीएफ में निवेश कर पाएंगे
SEBI ने म्यूचुअल फंडों को फिर से विदेशी शेयरों में निवेश करने की अनुमति दी है। यह निवेश उद्योग के लिए सात अरब अमेरिकी डॉलर की कुल अनिवार्य सीमा के भीतर किया जा सकेगा। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय शेयरों का मूल्यांकन नीचे आने के मद्देनजर किया गया। सेबी ने जनवरी में म्यूचुअल फंड घरानों से कहा था कि वे विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली योजनाओं में नये ग्राहक बनाना बंद कर दें। ग्राहक बनाने पर रोक का निर्देश मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड उद्योग द्वारा विदेशी निवेश के लिए तय सात अरब अमेरिकी डॉलर की अनिवार्य सीमा को पार करने के कारण जारी किया गया था। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी के इस फैसले से म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए अवसर बढ़ेंगे। वैश्विक बाजार में निवेश से पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी। इससे वो निवेशकों को अधिक रिटर्न देने में सक्षम होंगे।
तय सीमा के अंदर भी निवेश करने की अनुमति
वैश्विक शेयरों में हालिया मंदी ने सभी म्यूचुअल फंड घरानों द्वारा एक साथ किए गए निवेश के संचयी मूल्य को कम कर दिया। सेबी ने शुक्रवार को एम्फी को भेजे एक सर्कुलर में कहा, म्यूचुअल फंड योजनाएं एक फरवरी 2022 को म्यूचुअल फंड स्तर पर विदेशी निवेश के लिए तय सीमा का उल्लंघन किए बिना सब्सक्रिप्शन फिर से शुरू कर सकती हैं और विदेशी फंड/प्रतिभूतियों में निवेश कर सकती हैं। नियामक ने साथ ही भारतीय म्यूचुअल फंड संघ (एम्फी) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रत्येक एएमसी या म्यूचुअल फंड द्वारा विदेशी निवेश फरवरी के स्तर तक सीमित रहे।
उदाहरण से इस तरह समझें
अगर किसी म्यूचुअल फंड हाउस का 1 फरवरी 2022 के बाद विदेशों शेयर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश बाजारों में आई गिरावट या फंड से पैसे निकाले जाने की वजह से जितनी पोर्टफोलियो में गिरावट आई है, उसका इस्तेमाल अब वह नए निवेश के लिए कर सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी म्यूचुअल फंड कंपनी ने 1 फरवरी 2022 तक विदेशों में 2000 रुपये निवेश कर रखा था और उसके बाद शेयर बाजार में आई गिरावट के चलते उसके निवेश की वैल्यू घटकर 1600 रुपये हो गई, तो अब वह विदेशों में 400 रुपये का नया निवेश कर सकता है।
बाजार विश्लेषण उपकरण
नीचे सूचीबद्ध कुछ वेबसाइटें हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार डेटा, आपके निर्यात उत्पादों के लिए बाजार विश्लेषण, और प्रचलित स्वैच्छिक मानकों, विशेष रूप से प्रमुख विकसित बाजारों और खुदरा श्रृंखलाओं, निवेश प्रवाह और अवसरों आदि के बारे में जानकारी प्रदान करने में उपयोगी हैं।
व्यापार मानचित्र (नक्शा )
मासिक, त्रैमासिक और वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार डेटा के साथ एक ऑनलाइन टूल जो सांख्यिकीय संकेतकों और व्यापारिक कंपनियों की जानकारी के साथ सम्मिलित है जो आपको निर्यात या आयात बाजारों को प्राथमिकता देने में मदद करता है ।
https://www.trademap.org/Index.aspx?AspxAutoDetectCookieSupport=1
बाजार पहुँच नक्शा
लागू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश बाध्य टैरिफ दरों, व्यापार समझौतों (मूल और टैरिफ वरीयताओं के नियम) के साथ विश्व भर में बाजार पहुंच की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए एक ऑनलाइन उपकरण, निर्यात-आयात सांख्यिकी और गैर-टैरिफ उपाय।
https://www.macmap.org/
मानक नक्शा
वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और व्यापार पर लागू सतत विकास को बढ़ावा देने वाले स्वैच्छिक मानकों का विश्लेषण और तुलना करने के लिए एक ऑनलाइन उपकरण।
https://www.standardsmap.org/standards_intro
निवेश नक्शा
एक ऑनलाइन उपकरण जो निवेश आकर्षण और लक्ष्यीकरण की रणनीतियों का समर्थन
करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), व्यापार, बाजार पहुंच और विदेशी