पारस्परिक निधियों के प्रकार

पारस्परिक निधि (म्युचुअल फंड)
म्युचुअल फंड ऐसी इकाई है जो विभिन्न प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए बड़ी संख्या में निवेशकों के पैसे को एकत्रित करती है। इस धन को तब विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए इकाई धारकों की ओर से एक पेशेवर निधि प्रबंधक द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
टिप्पणी: पारस्परिक निधियों (म्युचुअल फंड) में पारस्परिक निधियों के प्रकार निवेश करने के लिए, निवेशकों को पारस्परिक निधि (म्यूचुअल फंड) संबंधी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) का अनुपालक होने की आवश्यकता होती है।
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पारस्परिक निधियों के प्रकार
साधारण शेयर सहबद्ध बचत निधियों का निवेश
5. (क) किसी योजना के पारस्परिक निधियों के प्रकार अधीन संगृहीत की गर्इ निधियों का कंपनी के साधारण शेयरों, संचयी संपरिवर्तनीय अधिमानी शेयरों और पूर्णतया संपरिवर्तनीय डिबेंचरों तथा बंधपत्रों में निवेश किया जाएगा। निवेश भागत: संपरिवर्तनीय डिबेंचरों और बंधपत्रों के निर्गमों में भी, जिनमें अधिकार के आधार पर प्रतिश्रुत डिबेंचर और बंधपत्र भी हैं, इस शर्त के अधीन रहते हुए किया जा सकेगा कि यथासंभव, इस प्रकार अर्जित या प्रतिश्रुत डिबेंचरों के गैर-संपरिवर्तनीय भाग का बारह मास की अवधि के भीतर विनिवेश किया जाएगा।
(ख) यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी योजना की विधियों का खंड (क) में विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों में कम से पारस्परिक निधियों के प्रकार कम अस्सी प्रतिशत की सीमा तक निवेश बना रहे। पारस्परिक निधियों के प्रकार पारस्परिक निधियों के प्रकार यूनिट ट्रस्ट और पारस्परिक निधि, अपनी निधियों के प्रत्येक वर्ष में योजना के बंद होने के तारीख पारस्परिक निधियों के प्रकार से छह मास की अवधि के भीतर ऊपर कथित रीति में निवेश करने का प्रयास करेगा। आपवादिक परिस्थितियों में, यूनिट ट्रस्ट या निधि द्वारा इस अपेक्षा को छोड़ा जा सकेगा जिससे कि निर्धारिती के हितों की संरक्षा हो सके।
(ग) किसी योजना की निधियों का अपेक्षित रीति में निवेश किए जाने तक, यूनिट ट्रस्ट और पारस्परिक निधि ऐसी निधियों का अल्पकालिक मुद्रा बाजार लिखतों में या अन्य नकदी लिखतों में या दोनों में निवेश कर सकेगी। यूनिटों के आबंटन की तारीख से तीन वर्ष के पश्चात् यूनिट ट्रस्ट या पारस्परिक निधि, योजना की शुद्ध आस्तियों का बीस प्रतिशत अल्पकालिक मुद्रा बाजार लिखतों और अन्य नकदी लिखतों में इस उद्देश्य से धारित कर सकेगी कि उन यूनिट धारकों के निवेश का मोचन किया जा सके जो पुन:क्रय के लिए यूनिटें निविदत्त करने की र्इप्सा करें।
पारस्परिक निधि (म्युचुअल फंड)
म्युचुअल फंड ऐसी इकाई है जो विभिन्न प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए बड़ी संख्या में निवेशकों के पैसे को एकत्रित करती है। इस धन को तब विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए इकाई धारकों की ओर से एक पेशेवर निधि प्रबंधक द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
टिप्पणी: पारस्परिक निधियों (म्युचुअल फंड) में निवेश करने के लिए, निवेशकों को पारस्परिक निधि (म्यूचुअल फंड) संबंधी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) का अनुपालक होने की आवश्यकता होती है।
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पारस्परिक निधियों के प्रकार
भारतीय वित्तीय व्यवस्था के विभिन्न घटकों और उसके कार्यों को विस्तारपूर्वक बताएँ।
04 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर :
भूमिका में:
भारतीय वित्तीय व्यवस्था के विभिन्न घटकों का सामान्य परिचय देते हुए उत्तर आरंभ करें-
भारतीय वित्तीय व्यवस्था में विभिन्न संस्थाएँ, बाज़ार एवं प्रपत्र शामिल होते हैं जो एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित होते हैं।
विषय-वस्तु में:
विषय-वस्तु के पहले भाग में देश में वित्तीय व्यवस्था पारस्परिक निधियों के प्रकार की प्रभावी भूमिका को बताते हुए उसके घटकों को विस्तारपूर्वक बताएँ-
देश में वित्तीय व्यवस्था, बचतों को निवेश में परिवर्तित करने के लिये मुख्य साधन उपलब्ध कराती है। साथ ही संसाधनों के आवंटन में योगदान के कारण भारत जैसे विकासशील देश में अहम पारस्परिक निधियों के प्रकार भूमिका निभाती है। वित्तीय संस्थाएँ या मध्यवर्ती वित्तीय संस्थाओं में वाणिज्यिक बैंकों, बीमा कंपनियों, पारस्परिक निधियों और बैंकिंग वित्तीय संस्थाएँ, विकास हेतु वित्तीय संस्थाएँ शामिल हैं। वहीं वित्तीय प्रपत्रों में मांग जमाएँ, अल्पावधि ऋण, मध्यवर्ती पारस्परिक निधियों के प्रकार सावधि ऋण, दीर्घकालीन ऋण एवं सामान्य शेयरर्स और बॉण्ड आदि शामिल होते हैं।
इन संस्थाओं को मुख्य रूप से निम्न वर्गों में बाँटा गया है-
- विकास वित्तीय संस्थाएँ
- बीमा कंपनियाँ
- अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाएँ
- पारस्परिक निधियाँ
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम वित्तीय व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण कार्यों को बताएंगे-
- देश में बड़े उपक्रमों की स्थापना के लिये यह निधियों का संग्रह करती है।
- जोखिम के नियंत्रण एवं अनिश्चितता के प्रबंधन हेतु यह साधन पारस्परिक निधियों के प्रकार प्रदान करती है।
- यह विकेंद्रीकृत निर्णयों को एक साथ लाने के लिये सूचनाएँ प्रदान करती है।
- यह वस्तुओं एवं सेवाओं के विनिमय हेतु भुगतान पद्धति की व्यवस्था प्रदान करती है।
- इसमें संवेदनशील सूचनाओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया जाता है जिससे सूचना-अंतराल के प्रबंधन में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
वित्तीय संस्थाओं की प्राथमिक भूमिका ऋणदाता एवं ऋणकर्त्ता के बीच मध्यस्थता का पारस्परिक निधियों के प्रकार कार्य करने की होती है। ये संस्थाएँ पूरी तरह रिज़र्व बैंक की निगरानी में कार्य करती हैं। वित्तीय संस्थाओं द्वारा जमा की गई निधियों को वित्तीय संपत्तियों के विभिन्न पोर्टफोलियो में निवेश किया जाता है। वित्तीय संस्थाएँ अंतिम ऋणदाताओं को तरल एवं कम जोखिम वाली वित्तीय संपत्तियाँ प्रदान करती हैं। इस प्रकार वित्तीय संस्थाएँ बचतकर्त्ताओं एवं निवेशकों के बीच मध्यस्थता करके देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाती हैं।