विदेशी मुद्रा व्यापारी असम

विदेशी मुद्रा व्यापारी असम
Haryana Fights Corona
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल 16 मई, 2022 को यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित हरियाणा प्लाईवुड कॉन्क्लेव को सम्बोधित करते हुए।
चंडीगढ़, 16 मई - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हमारा लक्ष्य निर्यात को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा को बचाना है, इसके लिए प्लाईवुड मार्केट को विश्व में पहचान दिलानी होगी। राज्य आपस में मिलकर काम करेंगे तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनेगा। मुख्यमंत्री ने प्लाईवुड कलस्टर के उद्योगपतियों को छूट देते हुए घोषणा करते हुए कहा कि जो उद्योगपति अपनी फैक्टरी का माल निर्यात करेगा उसकी 2 प्रतिशत मार्किट फीस वापिस की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के प्लाईवुड उद्योग क्षेत्र में हरियाणा के लोगों को रोजगार देंगे तो सरकार द्वारा 7 साल तक प्रति वर्ष 48 हजार रुपये प्रति व्यक्ति उद्योगपति को वापिस किया विदेशी मुद्रा व्यापारी असम जाएगा।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि जो भी प्लाईवुड का नया उद्योग लगाया जाएगा उसे 10 साल तक 1.5 प्रतिशत सब्सीडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उद्योग में निर्यात करने के लिए एक प्रतिशत सब्सीडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम राशि 10 लाख रुपये तक होगी। इसके अलावा, उन्होंने यमुनानगर में 50 करोड़ रुपये की लागत से फोरेस्ट रिसर्च सैंटर बनाने की घोषणा भी कि जिससे यहां के उद्योगपतियों व किसानों को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री यमुनानगर में सोमवार को स्वर्ण जयंती हॉल में आयोजित प्लाईवुड कॉन्क्लेव में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गत वर्ष हरियाणा में प्लाईवुड का 8 हजार करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ पंरतु उसमें से 95 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया जो कि बहुत कम है। उन्होंने कहा कि घरेलू निर्यात को कैसे बढ़ाया जाए इस पर विचार करना है ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने कहा कि यमुनानगर उत्तर भारत का सबसे बड़ा प्लाईवुड क्षेत्र है। निर्यात के क्षेत्र में इसको कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्लाईवुड सैक्टर में वर्ष 2026 तक 5.5 प्रतिशत वृद्घि होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015 में प्लाईवुड में अपनी मनमर्जी से काम चल विदेशी मुद्रा व्यापारी असम रहा था। उस समय करीब 950 प्लाईवुड उद्योग काम कर रहे थे। उद्योग चलाने के लिए नए लाईसैंस नहीं दिए जा रहे थे। लाईसैंस के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत मांगी जाती थी। परंतु उन्होंने तुरंत उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जितने भी आवेदन थे, सबको मंजूर किया।
उन्होंने कहा कि प्लाईवुड उद्योग लगाने से व्यापारी के साथ-साथ किसान भी उन्नत हुआ है। अब लकड़ी 1200 रुपये से 1400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है परंतु उस समय लकड़ी का रेट 350 रुपये प्रति क्विंटल था।
मुख्यमंत्री ने प्लाईवुड से जुड़े उद्योगपतियों को कहा कि यदि आपके सामान की क्वालिटी अच्छी होगी तो आपके सामान के रेट भी बढ़िया मिलेंगे व निर्यात में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि वह बेहतर क्वालिटी का सामान बनाए इसके लिए जिले में कॉमन फैसिलिटी सैंटर बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उद्योगपतियों को सुविधा दी जाएगी। इसके तहत जो भी उद्योगपति अपने सामान का निर्यात करेगा 10 साल तक उसे 1.5 प्रतिशत वार्षिक सब्सीडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा में प्लाईवुड इकाइयों की सहायता के लिए सरकार की ओर से मध्यम स्तरीय उद्यम कलस्टर विकास योजना के तहत यमुनानगर में सांझा सुविधा केन्द्र की स्थापना की जा रही है। यह सांझा सुविधा केन्द्र प्लाईवुड निर्माताओं को उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने प्रोडैक्ट डिफरंटसिएशन शुरू करने, उत्पादन लागत को कम करने के तरीके सुझाने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि प्लाईवुड कलस्टर की मदद करने के उद्देश्य से यमुनानगर में क्वालिटी मार्किट सैंटर को भी अपडेट किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लाईवुड कलस्टर के निर्यात में देश में केरल के बाद हरियाणा का दूसरा नाम आता है। हरियाणा में प्लाईवुड के निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं।
असम के उद्योग मंत्री श्री चन्द्र मोहन पटोवरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा देश में ऐसा राज्य है जो लगातार विकास की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्लाईवुड के क्षेत्र में बहुत सम्भावनाएं हैं। यदि हरियाणा के लोग प्लाईवुड उद्योग असम में लगाना चाहते है तो वहां पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में जहां पॉपुलर की खेती अधिक होती है जिससे प्लाई बनाई जाती है, वहीं असम में बांस की खेती बहुत मात्रा में होती है और बांस से बेहतर प्लाई बनाई जा सकती है।
उन्होंने हरियाणा के उद्योगपतियों से कहा कि वह असम में खेती करें वहां की जलवायु उद्योगों के लिए अनुकूल है। रेलमार्ग, सड़क मार्ग की विशेष सुविधाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मिजोरम, बगंलादेश व थाईलैण्ड का केवल एक घण्टे का रास्ता है। यदि असम में प्लाईवुड के उद्योग लगाए जाए तो बेहतर परिणाम होंगे।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने कहा कि उद्योग से रोजगार मिलते हैं जहां उद्योग होगा उस क्षेत्र में सम्पन्नता होगी। यमुनानगर में प्लाईवुड उद्योग से हजारों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा आत्मनिर्भर विदेशी मुद्रा व्यापारी असम भारत की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का सपना है कि एनसीआर की तर्ज पर पंचकूला, यमुनानगर व अम्बाला में उद्योग बढ़े। उन्होंने यमुनानगर में आईसीडी सैंटर बनवाने की मांग की।
उन्होंने उद्योगपतियों से अपील की है कि वह इस क्षेत्र में गुणवत्ता से काम करें ताकि प्लाईवुड के क्षेत्र में यमुनानगर का दुनिया में नाम हो।
इस अवसर पर विधायक श्री घनश्याम दास अरोड़ा, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी एस ढेसी, विदेश सहयोग विभाग के प्रधान सचिव श्री योगेंद्र चौधरी, अम्बाला की आयुक्त रेणू एस फूलिया, उपायुक्त पार्थ गुप्ता, चेयरमैन व्यापारी कल्याण बोर्ड रामनिवास गर्ग, पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल, मेयर मदन चौहान, राजेश सपरा, प्लाईवुड एसोसिएशन के अध्यक्ष जेके बिहानी, बीएच पटेल, उमेश कुमार, वन विभाग के अधिकारी जगदीश चन्द्र सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
भारत के बागान फसलों पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
बागान फसल या नगदी फ़सल जो व्यापार के उद्देश्य से किसानों द्वारा की जाती है । जैसे- कपास, गन्ना, तंबाकू, जूट इत्यादि । इस लेख में हमने भारत के बागान फसलों पर आधारित 10 सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी दिया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।
बागान फसल या नगदी फ़सल जो व्यापार के उद्देश्य से किसानों द्वारा की जाती है । जैसे- कपास, गन्ना, तंबाकू, जूट इत्यादि । यह ग्रामीण विकास के लिए उनके उत्प्रेरक योगदान के अलावा, उत्पादकता और रोजगार के उच्च स्तर के साथ, हमारी कृषि का आधार प्रदान करता है। यह निर्यात के जरिए काफी विदेशी मुद्रा आय उत्पन्न करता है।
1. भारत का कौन सा राज्य चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है?
Ans: B
व्याख्या: भारत दुनिया में चाय के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। भारत का लगभग 52% चाय की उत्पादकता असम राज्य में होता है। चाय उत्पादक राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल दूसरी नंबर पर आता है। तमिलनाडु चाय उत्पादन राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है। इसलिए, B ही सही विकल्प है।
2. निम्नलिखित में से कौन भारतीय बागान फसल विदेशी मुद्रा व्यापारी असम आवश्यकता से ज्यादा उत्पादित होता है?
Ans: A
व्याख्या: चीन के बाद भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चाय के निर्यात के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। इसलिए, A ही सही विकल्प है।
3. असम की बराक घाटी किस फसल की खेती के लिए प्रसिद्ध है:
Ans: C
व्याख्या: बराक घाटी भारत के असम राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। असम की बराक घाटी में कचर और करीमगंज जिलों में गन्ने की खेती के लिया जाना जाता है क्युकी यहाँ चिकनी बलुई मिट्टी पाया जाता है जो गन्ने की पैदावार बढ़ाने में सहायक होता है। इसलिए, C ही सही विकल्प है।
4. भारत का कौन राज्य रबड़ का सबसे बड़ा उत्पादक है?
Ans: D
व्याख्या: भारत दुनिया में रबड़ का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। केरल भारत में रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए, D सही विकल्प है।
5. निम्नलिखित में से कहाँ इलायची का उत्पादन नहीं होता है?
Ans: C
व्याख्या: केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु भारत के इलायची के प्रमुख उत्पादक हैं। इसलिए, C ही सही विकल्प है।
6. निम्नलिखित में से किस भारतीय राज्य को 'मसालों का बाग' के नाम से जाना जाता है?
Ans: B
व्याख्या: केरल अपने समृद्ध स्रोतों और अद्भुत स्थानों के लिए जाना जाता है। यहाँ मसालों की खेती बृहद तरीके से होती है और मसालों की विविधता बहुत होती है इसलिए 'भारत का मसाला उद्यान' कहा जाता है इसलिए, B ही सही विकल्प है।
7. ग्रीन गोल्ड क्रांति_______ से संबंधित है।
Ans: D
व्याख्या: ग्रीनगोल्ड क्रांति का सम्बंध चाय के उत्पादन से है। इसलिए, D सही विकल्प है।
8. चाय बागान के लिए______ की वर्षा की आवश्यकता होती है।
Ans: D
व्याख्या: चाय के लिए न्यूनतम वर्षा 150 से 250 सेमी होना चाहिए तथा तापमान 21°C से 27°C तक उपयुक्त होता है। इसलिए, D ही सही विकल्प है।
9. गंगा डेल्टा क्षेत्र समृद्ध उपजाऊ _______ और अनुकूल तापमान तथा वर्षा के कारण जूट की खेती के लिए उपयुक्त है।
Ans: A
व्याख्या: जूट की खेती गरम और नम जलवायु विदेशी मुद्रा व्यापारी असम में होती है। इसकी खेती के लिए तापमान 25° से 35° सेंटीग्रेड और आपेक्षिक आर्द्रता 90 प्रतिशत होनी चाहिए। गंगा डेल्टा की दोमट मिट्टी या जलोढ़ मिट्टी में खेती अच्छी होती है। इसलिए, विदेशी मुद्रा व्यापारी असम A ही सही विकल्प है।
10. निम्नलिखित पर विचार करें
I. कपास के उत्पादन बढाने के लिए आदर्श जलवायु स्थितियों में तापमान 21-30 डिग्री सेल्सियस और 50-100 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है।
II. कपास के उत्पादन बढाने के लिए ब्लैक मिट्टी आदर्श मिट्टी होती है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन कपास की खेती के बारे में सही है?
C. Both I and II
D. Neither I nor II
Ans: C
व्याख्या: कपास के उत्पादन के लिए आदर्श स्थितियां हैं:
(a) तापमान: कपास के पौधे के लिए उच्च तापमान, साधारणतः 20° सेंटीग्रेट से 30° सेंटीग्रेट तक, की आवश्यकता पड़ती है, किन्तु यह 40° तक की गर्मी में भी पैदा किया सकता है।
(b) वर्षा: कपास के लिए साधरणतः 50 से 100 से.मी. तक की वर्षा पर्याप्त होती है। यह मात्रा थोड़े-थोड़े दिनों के अन्तर से प्राप्त होनी चाहिए। 100 से.मी. से अधिक वर्षा वाले भागों में इसकी खेती नहीं हो सकती।
(c) मिट्टी: कपास का उत्पादन विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में किया जा सकता है, किन्तु आर्द्रतापूर्ण दक्षिणी भारत की चिकनी और काली मिट्टी अधिक लाभप्रद मानी जाती है।
विदेशी मुद्रा व्यापारी असम
Haryana Fights Corona
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल 16 मई, 2022 को यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित हरियाणा प्लाईवुड कॉन्क्लेव को सम्बोधित करते हुए।
चंडीगढ़, 16 मई - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हमारा लक्ष्य निर्यात को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा को बचाना है, इसके लिए प्लाईवुड मार्केट को विश्व में पहचान दिलानी होगी। राज्य आपस में मिलकर काम करेंगे तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनेगा। मुख्यमंत्री ने प्लाईवुड कलस्टर के उद्योगपतियों को छूट देते हुए घोषणा करते हुए कहा कि जो उद्योगपति अपनी फैक्टरी का माल निर्यात करेगा उसकी 2 प्रतिशत मार्किट फीस वापिस की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के प्लाईवुड उद्योग क्षेत्र में हरियाणा के लोगों को रोजगार देंगे तो सरकार द्वारा 7 साल तक प्रति वर्ष 48 हजार रुपये प्रति व्यक्ति उद्योगपति को वापिस किया जाएगा।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि जो भी प्लाईवुड का नया उद्योग लगाया जाएगा उसे 10 साल तक 1.5 प्रतिशत सब्सीडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उद्योग में निर्यात करने के लिए एक प्रतिशत सब्सीडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम राशि 10 लाख रुपये तक होगी। इसके अलावा, उन्होंने यमुनानगर में 50 करोड़ विदेशी मुद्रा व्यापारी असम रुपये की लागत से फोरेस्ट रिसर्च सैंटर बनाने की घोषणा भी कि जिससे यहां के उद्योगपतियों व किसानों को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री यमुनानगर में सोमवार को स्वर्ण जयंती हॉल में आयोजित प्लाईवुड कॉन्क्लेव में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गत वर्ष हरियाणा में प्लाईवुड का 8 हजार करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ पंरतु उसमें से 95 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया जो कि बहुत कम है। उन्होंने कहा कि घरेलू निर्यात को कैसे बढ़ाया जाए इस पर विचार करना है ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने कहा कि यमुनानगर उत्तर भारत का सबसे बड़ा प्लाईवुड क्षेत्र है। निर्यात के क्षेत्र में इसको कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्लाईवुड सैक्टर में वर्ष 2026 तक 5.5 प्रतिशत वृद्घि होने की उम्मीद विदेशी मुद्रा व्यापारी असम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015 में प्लाईवुड में अपनी मनमर्जी से काम चल रहा था। उस समय करीब 950 प्लाईवुड उद्योग काम कर रहे थे। उद्योग चलाने के लिए नए लाईसैंस नहीं दिए जा रहे थे। लाईसैंस के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत मांगी जाती थी। परंतु उन्होंने तुरंत उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जितने भी आवेदन थे, सबको मंजूर किया।
उन्होंने कहा कि प्लाईवुड उद्योग लगाने से व्यापारी के साथ-साथ किसान भी उन्नत हुआ है। अब लकड़ी 1200 रुपये से 1400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है परंतु उस समय लकड़ी का रेट 350 रुपये प्रति क्विंटल था।
मुख्यमंत्री विदेशी मुद्रा व्यापारी असम ने प्लाईवुड से जुड़े उद्योगपतियों को कहा कि यदि आपके सामान की क्वालिटी अच्छी होगी तो आपके सामान के रेट भी बढ़िया मिलेंगे व निर्यात में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि वह बेहतर क्वालिटी का सामान बनाए इसके लिए जिले में कॉमन फैसिलिटी सैंटर बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उद्योगपतियों को सुविधा दी जाएगी। इसके तहत जो भी उद्योगपति अपने सामान का निर्यात करेगा 10 साल तक उसे 1.5 प्रतिशत वार्षिक सब्सीडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा में प्लाईवुड इकाइयों की सहायता के लिए सरकार की ओर से मध्यम स्तरीय उद्यम कलस्टर विकास योजना के तहत यमुनानगर में सांझा सुविधा केन्द्र की स्थापना की जा रही है। यह सांझा सुविधा केन्द्र प्लाईवुड निर्माताओं को उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने प्रोडैक्ट डिफरंटसिएशन शुरू करने, उत्पादन लागत विदेशी मुद्रा व्यापारी असम को कम करने के तरीके सुझाने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि प्लाईवुड कलस्टर की मदद करने के उद्देश्य से यमुनानगर में क्वालिटी मार्किट सैंटर को भी अपडेट किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लाईवुड कलस्टर के निर्यात में देश में केरल के बाद हरियाणा का दूसरा नाम आता है। हरियाणा में प्लाईवुड के निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं।
असम के उद्योग मंत्री श्री चन्द्र मोहन पटोवरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा देश में ऐसा राज्य है जो लगातार विकास की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्लाईवुड के क्षेत्र में बहुत सम्भावनाएं हैं। यदि हरियाणा के लोग प्लाईवुड उद्योग असम में लगाना चाहते है तो वहां पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में जहां पॉपुलर की खेती अधिक होती है जिससे प्लाई बनाई जाती है, वहीं असम में बांस की खेती बहुत मात्रा में होती है और बांस से बेहतर प्लाई बनाई जा सकती है।
उन्होंने हरियाणा के उद्योगपतियों से कहा कि वह असम में खेती करें वहां की जलवायु उद्योगों के लिए अनुकूल है। रेलमार्ग, सड़क मार्ग की विशेष सुविधाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मिजोरम, बगंलादेश व थाईलैण्ड का केवल एक घण्टे का रास्ता है। यदि असम में प्लाईवुड के उद्योग लगाए जाए तो बेहतर परिणाम होंगे।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने कहा कि उद्योग से रोजगार मिलते हैं जहां उद्योग होगा उस क्षेत्र में सम्पन्नता होगी। यमुनानगर में प्लाईवुड उद्योग से हजारों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का सपना है कि एनसीआर की तर्ज पर पंचकूला, यमुनानगर व अम्बाला में उद्योग बढ़े। उन्होंने यमुनानगर में आईसीडी सैंटर बनवाने की मांग की।
उन्होंने उद्योगपतियों से अपील की है कि वह इस क्षेत्र में गुणवत्ता से काम करें ताकि प्लाईवुड के क्षेत्र में यमुनानगर का दुनिया में नाम हो।
इस अवसर पर विधायक श्री घनश्याम दास अरोड़ा, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी एस ढेसी, विदेश सहयोग विभाग के प्रधान सचिव श्री योगेंद्र चौधरी, अम्बाला की आयुक्त रेणू एस फूलिया, उपायुक्त पार्थ गुप्ता, चेयरमैन व्यापारी कल्याण बोर्ड रामनिवास गर्ग, पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल, मेयर मदन चौहान, राजेश सपरा, प्लाईवुड एसोसिएशन के अध्यक्ष जेके बिहानी, बीएच पटेल, उमेश कुमार, वन विभाग के अधिकारी जगदीश चन्द्र सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
Rupee Hits US Doller : बनी रहेगी डॉलर की जबर्दस्त मजबूती, एक डॉलर की कीमत 81 रुपए के पार
Rupee Hits US Doller : इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 81अंक से नीचे फिसल गया है।
डॉलर के मुकाबले पहली बार रुपया 81 के पार
Rupee Hits US Doller : भारतीय रुपये ने बहुत लंबा सफर तय किया है। अनुमान है कि सन 47 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 4 रुपये 16 पैसे की थी। लेकिन आज ये कीमत 81 रुपये 23 पैसे हो गई है।
इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 81अंक से नीचे फिसल गया है। आज इंटरबैंक विदेशी मुद्रा एक्सचेंज में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.08 पर खुला, फिर 81.23 तक गिर गया, जो पिछले बंद के मुकाबले 44 पैसे की गिरावट है। गुरुवार को रुपया 83 पैसे गिर गया था और डॉलर के मुकाबले 80.79 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। इस साल अब तक रुपये में करीब 8.48 फीसदी की गिरावट आई है।
इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह बड़ी मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.05 प्रतिशत बढ़कर 111.41 पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन में भू-राजनीतिक जोखिम में वृद्धि और यूएस फेड और बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा दरों में बढ़ोतरी ने डॉलर को मजबूती दी है और निवेशक कोई रिस्क उठाने से बच रहे हैं।
रिज़र्व बैंक की भूमिका
रुपये को मजबूती देने के लिए रिज़र्व बैंक मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है और डॉलर की बिक्री शुरू कर देता है। लेकिन इस बार अभी तक रिज़र्व बैंक ने ऐसा नहीं किया है। यह स्पष्ट नहीं है कि रुपये को थामने के लिए रिज़र्व बैंक मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करेगा या नहीं।
रुपये की वर्तमान कमजोरी से पहले, इक्विटी में विदेशी निवेश की बहाली, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और आरबीआई द्वारा आक्रामक बाजार हस्तक्षेप के कारण रुपये को बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला माना गया था।
हालांकि, गुरुवार के बाद से रुपये को उभरते बाजार के अन्य साथियों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि रिज़र्व बैंक भारतीय मुद्रा को अमेरिकी ब्याज दरों की नई वास्तविकता के अनुरूप बनाए रखने की अनुमति दे रहा है। फरवरी के अंत से बाजार के हस्तक्षेप के बाद, आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान में लगभग 550 बिलियन डॉलर के दो साल के निचले स्तर पर है।
कैसे होती है कीमत तय
रुपये की कीमत डॉलर के तुलना में उसकी मांग और आपूर्ति से तय होती है। दोनों मुद्राओं की विनिमय दर का असर देश के आयात निर्यात पर पड़ता है। हर देश अपने पास विदेशी मुद्रा, आमतौर पर डॉलर, का भंडार रखता है। इस मुद्रा से आयात होने वाले सामानों का भुगतान किया जाता है क्योंकि इंटरनेशनल तरफ विदेशी मुद्रा व्यापारी असम डॉलर में ही किये जाते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।
महंगे डॉलर का असर
भारत को अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी तेल आयात करना पड़ता है और इसके लिए बड़ी मात्रा में डालर खर्च करना पड़ता है। तेल आयात बिल का देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनता है, जिसका असर अंततः रुपये की कीमत पर पड़ता है।
अभी तक का ट्रेंड
आज़ादी के पहले भारतीय रुपया तब ब्रिटिश पाउंड से बंधा हुआ था, जिसके चलते रुपये का मूल्य थोड़े समय के लिए स्थिर रहा था। रिपोर्टों के अनुसार, 1927 से 1966 तक 1 पाउंड की कीमत 13 रुपये थी। जबकि डॉलर की कीमत 4 रुपये 16 पैसे थी।
1966 में पाउंड-रुपया लिंक समाप्त हो गया, और इसके साथ रुपये का मूल्यह्रास शुरू हो गया। 1971 तक, जब भारत ने स्वतंत्रता के बाद अपनी पंचवर्षीय योजना शुरू की, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7.5 रुपये प्रति डॉलर की दर से आंका गया था।
कहा जाता है कि 1991 का आर्थिक संकट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण दौर था। उस दौरान, राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 7.8 फीसदी था, ब्याज भुगतान कुल सरकारी राजस्व का 39 फीसदी था और चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.69 प्रतिशत था। हालात ये थे कि भारत डिफॉल्टर घोषित होने के कगार पर था। इन सभी मुद्दों को हल करने के लिए, सरकार ने एक बार फिर भारतीय मुद्रा का मूल्यह्रास किया, जिसके परिणामस्वरूप 1 डॉलर की कीमत 24.58 रुपये की हो गई।