लेनदेन इतिहास

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क्या क्रेडिट कार्ड पर अपनी क्रेडिट लिमिट आपको बढ़ानी चाहिए?
देवेंद्र कुमार हर महीने अपने क्रेडिट कार्ड पर लगभग 40,000 रुपये खर्च करते हैं. हालांकि वह समय पर पूरा बिल चुकता करते हैं, लेकिन लगभग 80% का उच्च क्रेडिट युटिलाइजेशन (उनके क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट 50,000 रुपये है) लेंडर्स के लिए लाल झंडी है. इससे संकेत मिलता है कि वह अपने कार्ड की लिमिट उच्चतम स्तर तक बढ़ाने के जोखिम पर है और देय राशि चुकाने में समस्या हो सकती है. क्रेडिट ब्यूरो लेनदेन इतिहास किसी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर की गणना करते समय क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो का ध्यान रखते हैं. उच्च क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो का मतलब कम स्कोर होता है. नवीन कुकरेजा, प्रबंध निदेशक, Paisabazaar.com कहते हैं, "20-30% का क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो बेहतर होता है. यदि यह रेशियो अधिक होता लेनदेन इतिहास है, तो आवेदक को क्रेडिट के लिए भूखे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, ". Wealthy .in के संस्थापक आदित्य अग्रवाल कहते हैं, "यह संभव है कि बैंक इस तरह के व्यक्तियों के लिए क्रेडिट पर ज्यादा ब्याज चार्ज करें क्योंकि उन्हें जोखिम भरे ग्राहक के रूप में देखा जाता है," . अब, यदि कुमार के कार्ड की क्रेडिट लिमिट बढ़ा दी जाती है, उनका क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो नीचे आ जाएगा. उदाहरण के लिए, यदि क्रेडिट लिमिट 50,000 रुपये की बजाय 1.5 लाख रुपये होती, तो 40,000 रुपये प्रति महीने खर्च करने के लिए कुमार का क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो 27% होता. उपयोगकर्ता के पुर्नभुगतान इतिहास, लेनदेन, बकाया ऋण और आय में वृद्धि के आधार पर अधिकांश बैंक समय-समय पर क्रेडिट लिमिट में संशोधन करते हें. कार्डधारक भी क्रेडिट लिमिट में वृद्धि के लिए जारी करने वाले बैंक से अनुरोध कर सकता है. हालांकि, आम तौर पर कोई अतिरिक्त लागत शामिल नहीं होती है, लेकिन कार्ड के अपग्रेड के माध्यम से बढ़ोत्तरी के लिए चार्ज लग सकता है.
बेहतर क्रेडिट स्कोर
कम क्रेडिट युटिलाइजेशन रेशियो से कार्ड धारक के क्रेडिट स्कोर में सुधार आता है जो उसे लेंडर की नजर में कम जोखिम भरा ग्राहक बनाता है. जारी करने वाले बैंक से बड़ा लोन प्राप्त करने के लिए उच्च क्रेडिट लिमिट का मोलतोल के साधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
पात स्थिति में सहायक
बड़ी लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड अचानक अस्पताल में भर्ती जैसी आपात स्थितियों के दौरान काम आता है जहां अग्रिम में बड़ा भुगतान करना होता है .
अधिक खरीददारी शक्ति
अधिक लिमिट वाला कार्ड घर के लिए श्वेत वस्तुओं जैसी बड़ी खरीददारी करना आसान बनाता है.
कमियां
अंधाधुंध खर्च प्रोत्साहित करता है, यह कंपल्सिव शॉपर्स जो अपने क्रेडिट कार्ड से अंधाधुध खरीददारी करके अपना बजट पटरी से उतार सकते हैं, के लिए बुरा तोहफा है. इसका फिर क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
सुरक्षा जोखिम
यदि कार्ड की सुरक्षा से समझौता किया जाता है, तो नुकसान ज्यादा हो सकता है. धोखाधड़ी का जोखिम कम करने के लिए, उपयोगकर्र्ताओं को अलर्ट सेट अप करना चाहिए जिसके द्वारा जब उनके सामान्य खर्च पैटर्न से मेल न खाने वाला लेनदेन दिखाई देता है, बैंक उन्हें सूचित करता है.
उच्च ब्याज अदायगी
चूंकि बढ़ी हुई क्रेडिट लिमिट का मतलब अधिक से अधिक खर्च हो सकता है, प्रति माह पूरी राशि चुकाने में कार्ड धारक के असमर्थ होने की संभावना भी बढ़ सकती है. इसका मतलब उच्च ब्याज अदायगी होती है.
अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का एक और तरीका कई क्रेडिट कार्ड चुनना है. हालांकि, यहाँ भी नुकसान है. Bankbazar.com के अधिल शेट्टी कहते हैं: "आप अधिक खर्च करते हैं और यदि आप भुगतान और क्रेडिट अवधि का अच्छी तरह से लेनदेन इतिहास प्रबंधन नहीं कर सकते हैं तो डिफ़ॉल्ट की काफी अधिक संभावना होती है. इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक रूप से असर पड़ता है. "शेट्टी का कहना है कि उच्च लिमिट वाला सिंगल क्रेडिट कार्ड बेहतर समाधान है. आप कई कार्डों के सालाना शुल्क पर भी बचत लेनदेन इतिहास करते हैं.
ई-रुपये की शुरुआत देश में मुद्रा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि ई-रुपये की शुरुआत देश में मुद्रा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि इससे यह व्यापार करने और लेनदेन का तरीका बदल जाएगा। उन्होंने मुंबई में फिक्की और बैंकिंग संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि रिजर्व बैंक, डिजिटल करेंसी की शुरूआत से पहले सभी पहलुओं का समाधान कर लेना चाहता है। उन्होंने कहा कि बैंक को आशा है कि कैलेंडर वर्ष 2023 तक डिजिटीकृत किसान क्रेडिट कार्ड ऋण पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। केन्द्रीय बेंक के गवर्नर ने बताया कि पिछले महीने किसान क्रेडिट कार्ड ऋण पर शुरू से अंत तक डिजिटीकरण के साथ प्रायोगिक परियोजना शुरू की गई थी। इस प्रक्रिया में किसानों को ऋण की मंजूरी के लिए बार-बार बैंकों में जाने की आवश्यकता नहीं है। मुद्रास्फीति के बारे में श्री शक्तिकांत दास ने कहा कि केन्द्रीय बैंक मुद्रास्फीति के रुझान और पिछले कार्यों के प्रभाव की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
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1. भारत क्यूनआर कया है ?
भारत क्यू आर पी2एम (व्यैक्ति से व्यापपारी) मोबाइल भुगतान सॉल्यूरशन है । यह सॉल्यूकशन परस्पिर एनपीसीआई, वीज़ा और मास्ट्र कार्ड भुगतान नेटवर्क के बीच निकाला जाता है । एकबार मर्चन्ट् लोकेशन पर बीक्यू आर कोड नियोजित हो जाने पर प्रयोक्तार, व्या पारी के साथ प्रयोक्ताम के परिचय-पत्र को साझा किए बिना बीक्यूकआर सक्षम मोबाइल बैंकिंग एप्पो का प्रयोग कर उपयोगिता बिल का भुगतान कर सकता है । यह भुगतान की त्वकरित प्रक्रिया है ।
2.भारत क्यू्आर कैसे काम करता है ?
भारत क्यू्आर भुगतान के वैकल्पिक चैनल के रूप में काम करता है, जहां कार्डधारक/स्मार्टफोन प्रयोक्ताा को अपने बैंक के मोबाइल बैंकिंग एप्पु को डाउनलोड करना होता है । प्रयोक्ताह को मर्चन्टा स्टोमर पर भारत क्यूयआर कोड को स्कैैन करना होता है और भुगतान करने के लिए कार्ड या भीम यूपीआई का चयन करना होता है । एकबार भुगतान के सफल होने पर ग्राहक और व्या पारी दोनों सफल लेनदेन के लिए मोबाइल एप्ली केशन में अधिसूचना प्राप्त् करते हैं ।
3. भारत क्यू आर कोड बाजार में उपलबध अन्यम क्यू आर कोड से कैसे भिन्नत है ?
अन्यआ क्यूतआर कोड से भिन्न , भारत क्यूाआर कोड में व्यामपारी का नाम, पता, व्याभपार बैंक सूचना, इत्याकदि जैसे बहुत सारे अतिरिक्त डेटा तत्वर मौजूद हैं । भारत क्यूकआर कोड बृहद स्तकर पर स्वीसकार्य है और अन्या क्यूोआर कोडों की तुलना में सुरक्षित है । प्रयोक्तात रुपे, वीज़ा, मास्टकर कार्ड और अमेक्सस जैसी किसी भी कार्ड योजना के प्रयोग और भीम यूपीआई के जरिए भुगतान कर सकते हैं ।
4. यदि लेनदेन असफल होगा तो ग्राहक क्या करेंगे ?
ग्राहक को नीचे दिए कदमों का पालन करना आवश्याक होग – (क) ग्राहक को एप्प में दिए गए ‘लेनदेन इतिहास’ टैब पर क्लिक करना होगा । (ख) असफल लेनदेन के विवरणों का रिकॉर्ड करना होगा । (ग) असफल लेनदेन के विवरणों साथ जारी करने वाले बैंक को रिपोर्ट करें या प्रयोक्ताक एप्प। में भी शिकायत दर्ज कर सकता है ।
5. यदि ग्राहक के खाते को डेबिट किया गया है और व्याैपारी को भुगतान प्राप्त् नहीं हुआ है तो क्या होता है ?
यदि ग्राहक के खाते में डेबिट हो चुका है लेकिन व्यादपारी को भुगतान नहीं हुआ है, तो धनराशि अपने आप कार्डधारक के खाते में वापस हो जाएगी । कभी-कभी इसमें निर्धारित समय से ज्यािदा वक्ता लगता है । यदि ग्राहक को 24 घंटे के भीतर धनराशि प्राप्तग नहीं होती है तो ग्राहक को बैंक के ग्राहक सहायता डेस्कि से संपर्क करना लेनदेन इतिहास चाहिए । कार्डधारक संबंधित बैंक के निर्देशानुसार यथाविहित उचित माध्यकम से एक चार्ज बैक की मांग भी कर सकता है ।
Demonetisation : नोटबंदी के 6 वर्ष, अर्थव्यवस्था के इतिहास में आज है अहम…जानें नकद लेनदेन को कैसे किया प्रभावित?
नई दिल्ली/नवप्रदेश। Demonetisation : आज यानी आठ नवंबर की तारीख देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक अहम दिन के रूप में दर्ज है। आज ही के दिन छह पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और हजार रुपये के नोटों के चलन को वापस लेने की घोषणा की थी।
आठ नवंबर की मध्य रात्रि से ही पांच सौ और हजार रुपये के नोट इतिहास बन गए थे और आगे चलकर चलन में दो हजार रुपये के नए गुलाबी नोट और पांच सौ रुपये के नए नोट चलन में आए। उसके कुछ समय बाद सौ और दो सौ रुपये के नोट भी प्रचलन में आए। आइए जानते हैं केंद्र सरकार के छह वर्ष पूर्व लिए गए नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले ने देश पर पिछले छह वर्षों में कितना असर डाला है?
नोटबंदी के बाद बना रहा बदतर माहौल
देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पांच और हजार रुपये के नोटों पर बैन लगने के बाद शुरुआती कुछ दिन मुश्किलों भरे थे। नोटबंदी के कुछ दिनों बाद जब दो हजार, पांच सौ और दो सौ रुपये के नोट चलन में तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। उससे पहले लोगों को बैंकों की लंबी-लंबी कतार में लगकर अपने नोट बदलने पड़े। कई जगहों पर शादी-विवाह के मौके पर लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी। हालांकि एक बार जब बाजार में नए नोट चलन में आ गए तो धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई। नोटबंदी के बाद देश में करेंसी नोटों के प्रचलन में भी खासी तेजी देखने को मिली है।
डिजिटल-यूपीआई भुगतान का नया चलन शुरू
फिलहाल देश में करेंसी नोटों के कैश सर्कुलेशन में करीब 72 फीसदी का इजाफा हो चुका है। हालांकि इस दौरान डिजिटल और यूपीआई के माध्यम से भुगतान का नया चलन भी देश में शुरू हो गया। काेरोना काल के दौरान इसमें और बढ़ोतरी आई और वर्तमान में डिजिटल पेंमेंट लगभग-लगभग करेंसी नोटों की तरह ही सामान्य हो चुका है। नोटबंदी के बाद देश में पब्लिक डाेमेन में नकद के रूप में मौजूद करेंसी में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक के 21 अक्तूबर 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार बीते छह वर्षों में देश में जनता के पास मौजूद करेंसी बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि विमुद्रीकरण के छह साल बाद और डिजिटल लेनदेन बढ़ने के बावजूद लोग अब भी नकदी का उपयोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
नोटबंदी के बाद करेंसी नोटों का चलन 72 फीसदी बढ़ा
जनता के पास मौजूद 30.88 लाख करोड़ रुपये की करेंसी का आंकड़ा 4 नवंबर 2016 को समाप्त पखवाड़े के दौरान मौजूद करेंसी के स्तर से 71.84 प्रतिशत अधिक है। चार नवंबर 2016 को देश के पब्लिक डोमेन में 17.7 लाख करोड़ रुपये की करेंसी मौजूद थी। जनता के पास मौजूद मुद्रा से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन करने, व्यापार निपटाने और सामान और सेवाओं की खरीदारी के लिए करते हैं। प्रचलन में मौजूद मुद्रा से बैंकों में मौजूद नकदी को घटना के बाद यह आंकड़ा निकाला जाता है।
नकद पर लोगों का भरोसा कायम
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार भुगतान के नए और सुविधाजनक डिजिटल विकल्पों के लोकप्रिय होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में नकदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, पहले नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी के दौरान लोग बड़े पैमाने पर नोटबंदी का उपयोग करने लगे हैं।
वर्ष 2019 में आरबीआई की ओर से डिजिटल भुगतान से जुड़े एक अध्ययन ने भी इस बात पर आंशिक रूप से मुहर लगाई है। अध्ययन में कहा गया है है कि हालांकि हाल के वर्षों में डिजिटल भुगतान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, पर आंकड़ों के अनुसार इसी दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में प्रचलन में मौजूद मुद्रा में भी वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अनुसार डिजिटल भुगतान का चलन बढ़ने से देश में करेंसी के प्रचलन में कमी नहीं आई है। आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के बाद भारत में डिजिटल तरीके से लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है पर देश की जीडीपी के अनुपात में पारंपारिक रूप से यह फिर भी कम है।
बीते दो दशकों में पहली बार कैश इन सर्कुलेशन बीती दिवाली पर घटा
एक ताजा नोट में एसबीआई से जुड़े आर्थिक मामलों के जानकारों ने कहा है कि चलन में मौजूद मुद्रा (Currency in Circulation, CIC) में दिवाली के हफ्ते के दौरान 7600 करोड़ रुपये की कमी गई है। वर्ष 2009 के दिवाली सीजन को छोड़ दें तो यह पिछले दो दशकों में नकद के इस्तेमाल में आई सबसे बड़ी कमी है। माना जा रहा है वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की अशंका के बीच नकद के इस्तेमाल में यह कमी दर्ज की गई है।
भ्रष्टाचार और काले धन रोकने लिया गया था नोटबंदी का फैसला
बता दें कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये और 1,000 रुपये मूल्यवर्ग (Demonetisation) के नोटों को वापस लेने के निर्णय की घोषणा की थी। सरकार की ओर से उस समय कहा गया था कि यह कदम अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन के प्रचलन को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
Chqbook ने लॉन्च किया डिजिटल चालू खाता
फिनटेक लेनदेन इतिहास कंपनी Chqbook ने छोटे कारोबारियों के लिए एक नियोबैंक, अपनी तरह का पहला डिजिटल चालू खाता लॉन्च किया है। व्यापार के लिए चकबुक का चालू खाता छोटे व्यवसाय के मालिक जैसे किराना, केमिस्ट, दूसरों के बीच, अपने स्मार्टफोन से और जिस भाषा में वे सहज हैं, उसमें तुरंत चालू खाता खोल सकने की सुविधा देगा और यूपीआई लेनदेन को भी स्वीकार करेगा। यह चालू खाता आठ भाषाओं में उपलब्ध है जो अधिक सुलभ और समझने में आसान बनाता है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि Chqbook अपने ऐप पर चालू खाता खोलने की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाती है। कोई भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स व्यवसाय स्वामी तुरंत एक चालू खाता खोल सकता है। डिजिटल चालू खाता लेनदेन को समेटने के लिए खाता विवरण डाउनलोड करने, लाभार्थियों को जोड़ने और प्रबंधित करने, लेनदेन इतिहास प्रदान करने, आसान फंड हस्तांतरण सुनिश्चित करने और बायोमेट्रिक सुरक्षा को बढ़ाने सहित सभी सुविधाएंं प्रदान करता है। ग्राहक आसानी से इसमें नकद जमा भी कर सकते हैं।
कंपनी ने कहा कि लेनदेन इतिहास डिजिटल चालू खाते में शून्य रखरखाव शुल्क होगा और यह एक शून्य शुल्क रुपे डेबिट कार्ड भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, ग्राहकों के पास Chqbook ऐप के माध्यम से भुगतान स्वीकृति डिवाइस और पॉइंट ऑफ़ सेल मशीन का लाभ उठाने का विकल्प भी होगा। यह छोटे व्यवसाय मालिकों को वित्तीय सेवाओं, चालू खातों, उधार और बीमा तक पहुँचने के लिए, बिना किसी कागजी कार्रवाई के अपने व्यवसाय को चलाने और विकसित करने में मदद करेगा। कंपनी ने कहा कि भारत में 63 मिलियन से अधिक छोटे व्यवसायों के लिए चालू खाता सुविधा एक नवाचार है।