तरीके और तकनीक

स्वैप क्या हैं?

स्वैप क्या हैं?
कम जोखिम में कमाना हो ज्यादा मुनाफा तो स्वैप है सटीक रास्ता

[Sansar Editorial] भारत और जापान के बीच करेंसी स्वैप करार – समझौते का महत्त्व


भारत और जापान ने 29 अक्टूबर, 2018 के बीच 75 अरब डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली (currency swap) की व्यवस्था पर समझौता हुआ. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह करार भारतीय रुपये की विनिमय दर और पूँजी बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा.

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The Indian Express Editorial – “Explained: Where India, Japan ties stand now and what is planned for the future.”

समझौते का आर्थिक महत्त्व

  • विदित हो कि भारत ने जापान के साथ 75 अरब डॉलर का मुद्रा अदला-बदली (currency swap) समझौता किया है. इस समझौते के अनुसार दोनों देश अब 75 अरब डॉलर तक के बराबर राशि का भुगतान आपसी मुद्रा में, यानी भारतीय रुपये या जापानी येन में कर सकेंगे. कहा जा रहा है कि इस समझौते के द्वारा भारत में गिरते रुपये के मूल्य और पूंजी बाज़ार की अस्थिरता को में सँभालने में मदद मिलेगी. भारत और जापान के मध्य टु-प्लस-टु संवाद को लेकर भी सहमति बन गई है.
  • इस महत्त्वपूर्ण भेंट में दोनों देशों ने एशिया-प्रशांत में साझी रणनीति और चीन के विस्तार नीति पर खुल कर चर्चा की.
  • 5-G लैब निर्मित करने के लिए टेक महिंद्रा और रॉकटेन के बीच करार हुआ.
  • दोनों देशों ने योग और आयुर्वेद में सहयोग करने का वादा किया.

इस समझौते का रणनीतिक महत्त्व

  • एशिया-प्रशांत में चीन की बढ़ती ताकत और सैन्य हस्तक्षेप को लेकर भारत और जापान दोनों देश चिंतित हैं. उधर अमेरिका भी चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर अत्यंत सजग है.
  • भारत सरकार भी Act East Policy के अंतर्गत दक्षिणी-पूर्वी एशिया और पूर्वी एशिया से संबंधों को दृढ़ बनाना चाहती है. जापान के सन्दर्भ में भारत के भरोसे का अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल जापान को ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश करने की अनुमति प्राप्त है.
  • वर्तमान में जापान की दो अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ, मेघालय स्वैप क्या हैं? और मिजोरम में चल रही हैं. इस समझौते से आपस रिश्ते मजबूत होने के बाद इस सूची में और अधिक परियोजनाओं के जोड़े जाने की संभावना है.
  • भारतीय और जापानी सेनाओं के मध्य पहला सैन्य अभ्यास ‘धर्मा गार्डियन‘ अगले मास ही आरम्भ होने जा रहा है. यह अभ्यास पू्र्वोत्तर भारत में सम्पन्न होगा.
  • वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत और जापान के मध्य केवल 13.61 अरब डॉलर का व्यापार हुआ इसलिए यह कहा जा सकता है कि इन दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है.

जापान Vs चीन

  • जापान और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. हालिया सर्वेक्षण के अनुसार केवल 11% जापानी चीन के लिए सकारात्मक मत रखते हैं और दूसरी तरफ मात्र 14% चीनी जापान देश के बारे में अच्छे राय रखते हैं.
  • 1931 में जापान ने चीन के मंचूरिया पर आक्रमण किया था. यह आक्रमण उस विस्फोट का बदला था जो जापानी नियंत्रण वाले रेलवे लाइन के निकट हुआ था. इसी बीच जापानी सैनिकों के विरुद्ध चीनी सैनिक टिक नहीं पाए और अंततः जापान ने चीन के कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया.
  • उसके बाद से जापान चीन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाता रहा. दूसरी तरफ चीन कम्युनिस्टों एवं राष्ट्रवादियों के गृह युद्ध से स्वयं परेशान था.
  • कई जापानियों को यह आपत्ति है कि चीन में जापान के इस आक्रमण को वहाँ की स्कूली टेक्स्ट बुक में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद सब शांत पड़ गया और चीन अब सैन्य ताकत के मामले में काफी तीव्र गति से आगे निकल रहा है.

जापान-भारत-चीन

  • जापान और भारत दोनों देशों का चीन से रिश्ता कभी भी अच्छा नहीं रहा है. जापान और भारत का चीन से व्यापारिक हित ही वह कारक मात्र है जिसके चलते ये दोनों देश और खुद चीन भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. पर दोनों देश समान रूप से चीन की महत्वाकांक्षी योजना One Belt One Road का पुरजोर विरोध करते आये हैं
  • भारत का चीन के साथ सीमा-विवाद तो जगजाहिर है. दूसरी तरफ जापान का भी चीन के साथ समुद्री विवाद है. दक्षिण चीन सागर में जापान द्वारा युद्धपोत और हेलिकॉप्टर कैरियर JS Kaga तैनात किया गया है जो अमरीकी सैन्य बेड़े का सहयोग देता है.
  • जापान का अफ़्रीकी देश जिबूती में अपना नौसैनिक बेस है. यह पश्चिमी देशों और भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है. भारतीय प्रधानमंत्री ने इस दौरे में जापान के सामने एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं के प्रयोग पर भी समझौता करने का प्रस्ताव रखा है.
  • भारत का अनुमान है कि जापान से मित्रता विपरीत स्थिति में काम आ सकती है. रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन बार जापान जा चुके हैं और जापानी प्रधानमंत्री भी 2014, 2015 एवं 2017 में भारत आ चुके हैं. 2005 के बाद से दोनों देशों के प्रमुख लगभग प्रत्येक वर्ष मिलते रहे हैं.

विश्लेषण

आज भारत-जापान के बीच करीब 13 से 15 अरब डॉलर का व्यापार होता है जो चीन के साथ होने वाले व्यापार का एक चौथाई हिस्सा है. जबकि जापान-चीन का व्यापार लगभग 300 अरब डॉलर का है. जापान, भारत के लिए सबसे बड़ा दानकर्ता देश है और FDI प्रदान करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश भी है. हालाँकि 2013 से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार गिरावट आई है.

दोनों देशों ने उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के चलते इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए रक्षा संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया है.

हाल ही में कनेक्टिविटी निर्माण के लिए एक अन्य प्रमुख पहल के तौर पर एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का अनावरण किया गया. इस पहल के तहत जापान ने 30 बिलियन डॉलर और भारत ने 10 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है. इसे लाभप्रद बनाने के लिए भारत को विदेशों में परियोजनाओं को लागू करने की अपनी शैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है. भारत इस प्रकार की अधिकांश परियोजनाएँ लागत और पूरा करने में अधिक समय लेने जैसी समस्याओं से ग्रस्त है.

Tags: भारत और जापान के बीच क्या समझौते हुए? 2018 meeting Modi highlights. Japan and India currency swap explained. समझौते agreement का सामरिक, रणनीतिक महत्त्व in Hindi.

कैसे काम करेगी भारत की नई बैटरी स्वैप योजना? पढ़िए इसके बारे में

कैसे काम करेगी भारत की नई बैटरी स्वैप योजना? पढ़िए इसके बारे में

अगर आप भी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। बजट 2022 में EV को बढ़ावा देने के लिए एक महत्व्यपूर्ण घोषणा हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बैटरी स्वैप योजना की घोषणा की थी। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है इसका मतलब बैटरी का अदला-बदली करना है। आइए, जानते हैं इस योजना के लागू होने से ग्राहकों को क्या फायदा मिलेगा।

बैटरी स्वैपिंग योजना का मुख्य रूप से फायदा यह होगा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी को चार्ज करने की चिंता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। यानी आप चार्जिंग स्टेशन पर जाकर डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज करने के बजाय आप फुल चार्ज बैटरी ले सकते हैं। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों को बैटरी की लीज लागत का 20 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन दे सकती है और यह EV खरीदते समय मिलने वाले छूट के अतिरिक्त होगा।

भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बैटरी स्वैपिंग की पेशकश के लिए ब्रिटेन की BP PLC के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया है। वहीं, बाइक निर्माता हीरो मोटोकॉर्प और ताइवान के गोगोरो ने भी स्वैप स्टेशन स्थापित करने के लिए साझेदारी की है और साथ ही स्टार्ट-अप सन मोबिलिटी इस पर काम कर रही है। इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता बाउंस भी अपने स्कूटर के लिए स्वैपिंग स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रही है।

इस योजना के तहत बैटरी को रिप्लेस स्वैप क्या हैं? किया जा सकेगा। बैटरी रिप्लेस करना यानी की बैटरी अब गाड़ी का एक अलग हिस्सा हो जाएगी। ऐसे में EV की कीमतों में भी कमी आएगी। दरअसल EV की कीमत काफी ज्यादा होने के चलते लोग इसे खरीदने से पीछे हटते हैं। ऐसे में दामों के कटौती से इनकी बिक्री बढ़ेगी और ग्राहकों को भी बेहतर विकल्प मिलेगा। अलग-अलग स्वैपिंग स्टेशन का विस्तार करने से लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों से लंबी यात्रा कर सकेंगे।

बैटरी स्वैप योजना के तहत बनाए जा रहे स्वैपिंग स्टेशन की मदद से लोगो का समय बचेगा और उन्हें बार-बार अपने वाहन को चार्ज करने की चिंता से भी आजादी मिलेगी। बैटरी स्वैपिंग योजना के बाद चीजें आसान हो जाएंगी। वहीं अब लोग बिना बैटरी के भी इलेक्ट्रिक गाड़ी की खरीदारी कर सकते हैं। इससे कीमतों में भी कमी आएगी और दूसरी किसी भी पसंद की कंपनी से बैटरी लीज पर लेने की छूट भी रहेगी।

रिपोर्ट्स की माने तो बैटरी स्वैपिंग का विचार बड़ा ही दिलचस्प है लेकिन बिना सरकार की भागीदारी के इसे बेहतर तरीके से लागू नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सभी कार कंपनियों को बैटरियों के डिजाइन और तकनीक को सामान किये जाने की जरूरत है। इसके अलावा बैटरी पैक बनाना बहुत महंगा है इसलिए बिना सरकार के मजबूत सहारे व सब्सिडी के बड़े पैमाने पर लागू करना संभव नहीं है।

पार्टनर स्वैप का विकृत चलन

केरल की घटना आटे में नमक समान ही लगती है। परदे के पीछे शायद आसपास बहुत कुछ हो रहा है जो सामने नहीं आता। ऐसे में क्या पार्टनर स्वैप के विकृत चलन को लेकर भारतीय समाज को अपने विचार बदलने की ज़रूरत है या नहीं? यह सब विकासशील समुदाय के लिए बड़ी चुनौती है…

फ्रंट ख़बरों के अनुसार केरल पुलिस ने कोट्टायम जिले में एक महिला की शिकायत के बाद सेक्स पार्टनर बदलने के एक मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन समूहों में 1000 से अधिक जोड़े हैं और वे सेक्स के लिए महिलाओं का आदान-प्रदान कर रहे थे। वहां से आ रही रिपोर्टों के अनुसार इनका काम पहले सोशल मीडिया समूहों में शामिल होना होता है और फिर दो या तीन जोड़े समय-समय पर मिलते हैं। उसके बाद महिलाओं का आदान-प्रदान किया जाता था। उपलब्ध मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कुछ पुरुषों ने पैसे के लिए अपनी पत्नियों को शारीरिक संबंध बनाने के लिए इस्तेमाल किया था। सेक्स पार्टनर बदलने की यह सामाजिक बुराई अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में बहुत पहले से है। हाल ही में पेरिस में इस संबंध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पोलिंग इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक तकरीबन एक चौथाई पेरिस वाले ग्रुप सेक्स में शामिल हैं और हर छह में से एक ने सेक्स क्लब के जरिए अपने पार्टनर्स बदले हैं। इस सर्वे में दो हजार पेरिस निवासियों से सवाल किए गए जिसके मुताबिक औसतन हर पेरिस निवासी के 19 सेक्सुअल पार्टनर्स रहे हैं। इस सर्वे में दो हजार पेरिस निवासियों से सवाल किए गए जिसके मुताबिक औसतन हर पेरिस निवासी के 19 सेक्सुअल पार्टनर्स रहे हैं। सर्वे में 44 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि उन्होंने ऐसी महिलाओं के साथ सेक्स किया है जिनका उन्हें नाम तक नहीं पता, वहीं 14 प्रतिशत महिलाओं ने भी यही बात स्वीकार की।

सर्वे के मुताबिक 43 प्रतिशत पुरुषों ने यह भी माना कि उन्होंने एक साथ दो महिलाओं के साथ सेक्स किया है। वहीं 17 प्रतिशत महिलाओं ने भी यही बात मानी। 35 प्रतिशत पुरुषों और 10 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्होंने 3 या उससे ज्यादा पार्टनर्स के साथ सेक्स किया है और ऐसा करना उन्हें आनंद देता है। पेरिस के 23 प्रतिशत पुरुषों ने यह भी माना कि उन्होंने सेक्स क्लब में अपने पार्टनर्स स्वैप किए हैं। हालांकि इस मामले में महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं। 7 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्होंने सेक्स के लिए अपने पार्टनर स्वैप किए। पार्टनर से धोखेबाजी की बात करें तो 58 प्रतिशत पेरिसवालों ने माना कि उन्होंने अपने पार्टनर्स को धोखा दिया है। इससे लगता है कि पाश्चत्य समाज में इसके लिए महिला और पुरुष बराबरी पर हैं। हरेक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद अपने देश में सेक्स एक अवांछित चर्चा का विषय है। हमारे लिए तो इस पर लिखना भी रस्सी पर चलने के समान है। फिर भी सेक्स से जुड़े मनोविज्ञान को समझना हमारे वयस्क समाज के लिए जरूरी है। वैसे तो हमारे आसपास पुरुष तो फिर भी सेक्स के बारे में अपना नज़रिया बयां कर देते हैं, लेकिन देशी महिलाएं अगर खुलकर इस बारे में बात करना भी चाहें तो उन्हें ग़लत नज़रों से देखा जाता है। सेक्स के मामले में महिलाएं शर्म और सामाजिक बंदिशों के चलते अक्सर मौन रहती हैं। अतीत में प्राचीन भारतीय समाज शारीरिक संबंधों को लेकर काफी खुले ज़हन का रहा था, जिसकी मिसाल हमें खजुराहो के मंदिरों से लेकर वात्स्यायन के विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ कामसूत्र तक में देखने को मिलती है। लेकिन जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ा, हमारा देश जिस्मानी रिश्तों के प्रति संकुचित होता चला गया। मर्द-औरत के यौन संबंध से जुड़ी बातों में पर्देदारी और पहरेदारी हो गई। हालांकि, अब सेक्स संबंधों को लेकर फिर से एक बड़ा बदलाव आ रहा है। यह एक ऐसा बदलाव है जो चुनौतीपूर्ण है। ग्रीस के बड़े दार्शनिक अरस्तू इस विषय पर रोशनी डालते हुए कहते हैं कि प्यार कामुक इच्छाओं का अंत है। यानी अगर दो लोगों के बीच मोहब्बत है तो उसका मुकाम शारीरिक संबंध बनाने पर पूरा होता है। इनके मुताबिक़ सेक्स कोई मामूली काम नहीं है, बल्कि ये किसी को प्यार करने और किसी का प्यार पाने के लिए एक ज़रूरी और सम्मानजनक काम है। जबकि अमरीकी समाजशास्त्री डेविड हालपेरिन का कहना है कि सेक्स सिर्फ सेक्स के लिए होता है। उसमें ज़रूरत पूरी करने या कोई रिश्ता मज़बूत करने जैसी कोई चीज़ शामिल नहीं होती।

अगर शारीरिक सुख और ख़ुशी के लिए सेक्स किया जाए तो वो अनैतिक है। एक पुरानी किताब के एक गीत में जोश के साथ सेक्स करने को बेहतरीन बताया गया है। साथ ही यौन संबंध को पति-पत्नी के बीच ही नहीं, बल्कि दो प्यार करने वालों के बीच की निजी चीज़ बताया गया है। हो सकता है कि जब इनसान ने सेक्स शुरू किया हो, तब वो सिर्फ शारीरिक ज़रूरत पूरी करने का माध्यम भर रहा हो। लेकिन जब परिवार बनने लगे तो हो सकता है कि इसे रिश्ता मज़बूत करने का भी माध्यम समझा जाने लगा। लेकिन आज समाज पूरी तरह बदल गया है। आज तो सेक्स पैसे देकर भी किया जा रहा है। बहुत से लोग पेशेवर जि़ंदगी में आगे बढ़ने के लिए सेक्स को हथियार बनाते हैं। ऐसे हालात में यक़ीनन किसी एक की शारीरिक ज़रूरत तो पूरी हो जाती है, लेकिन रिश्ता मज़बूत होने या जज़्बाती तौर पर एक-दूसरे से जुड़ने जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ऐसे में फिर सेक्स का मतलब क्या है? इसका मतलब यही है कि सेक्स सिर्फ सेक्स के लिए किया जाए। इसमें बारीकियां न तलाशी जाएं। पर यह सामाजिक दृष्टि से हैरानीजनक है और इसका हां या न में जवाब देना कठिन है। कड़वा सच यह है कि बदलते समय के साथ आज न सिर्फ इनसानी रिश्ते बदल रहे हैं, बल्कि यौन संबंध को लेकर लोगों का बर्ताव और रिश्तों के प्रति सोच भी बदल रही है। 2015 में अमरीका की सैन डियागो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जीन एम. ट्वींग ने एक रिसर्च पेपर में कहा था कि 1970 से 2010 तक अमरीका में बहुत हद तक लोगों ने बिना शादी के सेक्सुअल रिलेशनशिप को स्वीकार करना शुरू कर दिया था। नई पीढ़ी का मानना है कि सेक्सुएलिटी समाज की बंदिशों में नहीं बंधी होनी चाहिए। रिसर्चर के मुताबिक़ सेक्सुअल नैतिकता समय की पाबंद नहीं है। उसमें बदलाव होते रहे हैं, हो रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे। अब तो ये बदलाव इतनी तेज़ी से हो रहे हैं कि शायद स्वैप क्या हैं? हम ये बदलाव स्वीकार करने के लिए तैयार भी नहीं हैं।

इसके अलावा आज पोर्न देखने का चलन जितना बढ़ चुका है, उससे साफ ज़ाहिर है कि लोगों में सेक्स की भूख कितनी ज़्यादा है। पोर्न देखने से कुछ मिले या न मिले, लेकिन सेक्स की ख्वाहिश बहुत हद तक शांत हो जाती है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में सेक्स और भी ज़्यादा डिजिटल और सिंथेटिक हो जाएगा। यही नहीं, भविष्य में सेक्स के और भी नए-नए तरीके सामने आ सकते हैं। 1960 से 2017 तक इनसान की औसत उम्र क़रीब 20 साल बढ़ चुकी है। एक अंदाज़े के मुताबिक़ 2040 तक इसमें 4 साल का और इजाफा हो जाएगा। अमरीकी जीव वैज्ञानिक और भविष्यवादी स्टीवेन ऑस्टाड के मुताबिक़ आने वाले समय में हो सकता है कि इनसान 150 बरस तक जिए। इतनी लंबी जि़ंदगी में सिर्फ एक ही सेक्स पार्टनर के साथ गुज़ारा मुश्किल होगा। लिहाज़ा वो समय-समय पर अपने यौन संबंध का साथी बदलता रहेगा और इसकी शुरुआत हो चुकी है। केरल जैसा एपिसोड और बड़े शहरों में इसकी मिसालें ख़ूब देखने को मिल सकती हैं। तलाक़ के मामले बढ़ रहे हैं। 2013 के सर्वे के मुताबिक़ अमरीका में हर दस में से चौथे जोड़े की दूसरी या तीसरी शादी होती है। आने वाले समय में कमिटमेंट और शादीशुदा जि़ंदगी को लेकर भी कई नए आइडिया सामने आ सकते हैं। कुदरत अपने मुताबिक़ इनसान को बदलती रही है और बदलती रहेगी। केरल की घटना आटे में नमक समान ही लगती है। परदे के पीछे शायद आसपास बहुत कुछ हो रहा है जो सामने नहीं आता। ऐसे में क्या पार्टनर स्वैप के विकृत चलन को लेकर भारतीय समाज को अपने विचार बदलने की ज़रूरत है या नहीं? यह सब विकासशील समुदाय के लिए बड़ी चुनौती है।

सिम स्वैपिंग के जरिए आपका अकाउंट मिनटों में हो रहा खाली, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: आज हर किसी के पास स्मार्टफोन है, जिसके जरिए वो हर समय सोशल मीडिया प्लेटफॉम का इस्तेमाल और डिजिटल लेन-देने का काम करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिम स्वैपिंग के जरिए आपके बैंक अकाउंट को मिनटों में खाली कर दिया जा रहा है। हालांकि ज्यादातर लोगों को सिम स्वैपिंग और सिम क्लोनिंग की जानकारी अभी नहीं है। चालिए आज हम इसपर ही चर्चा करते हैं और आपको इससे बचने के उपाय बताते हैं। ताकी आने वाले समय में आपको ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

sim swapping

सिम स्वैपिंग और सिम क्लोनिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से किसी भी सिम का डुप्लीकेट सिम बनाया जा सकता है। सिम स्वैप का मतलब है सिम एक्सचेंज, जिसमें आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन कर लिया जाता है। ऐसा होते ही आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और फोन से सिग्नल गायब हो जाते हैं। अब आपके नंबर से रजिस्टर हुए दूसरे सिम पर आने वाले ओटीपी का इस्तेमाल करके कोई भी व्यक्ति आपके पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है।

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ऐसे होती है ठगी

सबसे पहले आपके पास एक व्यक्ति का कॉल आएगा, जो यह दावा करता है वो एयरटेल, आइडिया या फिर किसी भी कंपनी का सर्विस प्रवाइडर स्वैप क्या हैं? का एग्जिक्युटिव है और कहता है कि वो कॉल ड्रॉप ठीक करने और इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने की बात करते हैं। ध्यान दें कि जब यह बात करते हैं तो इसकी पूरी कोशिश होती है कि वो आपके 20 डिजिट वाला यूनिक नंबर जान लें। इस दौरान आपको एक नंबर दबाने के लिए कहा जाएगा, जिससे ऑथेंटिकेशन प्रकिया पूरी होती है और सिम स्वैपिंग को अंजाम दिया जाता है। बता दें कि यूनिक नंबर आपके सिम कार्ड के पीछे ही लिखा होता है।

अगर आपका सिम स्वैप हो गया तो आपके मोबाइल नेटवर्क का सिग्नल बंद हो जाएगा और वही दूसरी ओर आपके नंबर वाले स्कैमर के सिम कार्ड वाले फोन में पूरे स्वैप क्या हैं? सिग्नल आ जाएंगे। बता दें कि ज्यादातर लोगों के पास आपकी बैंकिंग आईडी और पासवर्ड होते हैं। इसके बाद उन्हें सिर्फ ओटीपी की जरूरत होती है। ऐसे में वो सिम स्वैप करके आपके ओटीपी को जान लेते हैं और आपके बैंक अकाउंट से पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद वो नकली सिम कार्ड को तोड़ देते हैं और आपका सिग्नल आने लगता है।

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ठगी से ऐसे बचें

अगर आपके पास किसी टेलिकॉम कंपनी से कॉल आए और वो नंबर पूछे तो उन्हें अपनी जानकारी न साझा करें। बता दें कि स्कैमर्स अक्सर 20 डिजिट वाले सिम कार्ड नंबर के बारे में पूछते हैं। ऐसे में उन्हें जानकारी ने दें वरना लेने के देने पड़ सकते हैं। स्कैमर्स सिम कार्ड नंबर पता करने के बाद 1 नंबर दबाने के लिए कहते हैं, जिससे की ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाए। इसके लिए एक नंबर को प्रेस न करें। वहीं अगर बैंक से कॉल आता है और वो इस तरह से कुछ पूछे तो जानकारी देने से बचे।

कम जोखिम में कमाना हो ज्यादा मुनाफा तो स्वैप है सटीक रास्ता

नई दिल्ली: ऐसे में जब देश-दुनिया भर के कमोडिटी बाजार की हालत पतली है, घरेलू एवं विदेशी समीकरणों ने बाजार में उहापोह की स्थिति पैदा कर दी है और बाजार के हालात के मद्देनजर निवेशकों

India TV Business Desk
Updated on: June 17, 2015 15:00 IST

कम जोखिम में कमाना हो. - India TV Hindi News

कम जोखिम में कमाना हो ज्यादा मुनाफा तो स्वैप है सटीक रास्ता

नई दिल्ली: ऐसे में जब देश-दुनिया भर के कमोडिटी बाजार की हालत पतली है, घरेलू एवं विदेशी समीकरणों ने बाजार में उहापोह की स्थिति पैदा कर दी है और बाजार के हालात के मद्देनजर निवेशकों में में घबराहट का माहौल है हम आपको अपनी खबर में स्वैप रेश्यो के जरिए कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफे वाले निवेश की रणनीति के बारे में बताएंगे। तो सबसे पहले जानिए क्या है स्वैप ट्रेडिंग।

स्वैप ट्रेडिंग-

परपस्पर विरोधी मूलभूत गुणों वाली दो कमोडिटी पर एक समय में एक साथ निवेश करना स्वैप ट्रेडिंग कहलाता है। आसान शब्दों में समझे तो अगर बाजार का किसी कमोडिटी पर सकारात्मक असर बनता है तो जाहिर तौर पर इसका दूसरी कमोडिटी पर नकारात्मक असर पड़ेगा यानी आपको कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफे के मौके मिल जाते हैं। यानी जिसमें लाभ होगा आप उसमें खरीदारी करेंगे और दूसरी जिसमें घाटा हो रहा है आप उसमें बिकवाली करने की कोशिश करेंगे।

मान लीजिए देश में इस साल जीडीपी को अच्छी ग्रोथ मिली है और इससे बेस-मेटल और क्रूड की कीमतों में तेजी के रुझान के साथ साथ सोने की कीमतों में गिरावट का माहौल है तो बेस-मेटल और क्रूड की मांग तो बढ़ेगी लेकिन लोगों के पसंदीदा सोने की मांग में कमी भी देखने को मिलेगी। ऐसी स्थिति में स्वैप के जरिए सोने में बिकवाली और कॉपर और क्रूड में खरीदारी की रणनीति बनाकर अच्छे मुनाफे की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि आपको यह ध्यान देना होगा कि स्वैप में खरीददारी और बिकवाली का सौदा किस कमोडिटी में किया जाए। इस निर्णय में दो कमोडिटी के बीच का कोट भी कारोबारी के लिए मददगार साबित हो सकता है।

अगली स्लाइड में पढ़िए क्या हैं स्वैप ट्रेडिंग के फायदे

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