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अगर आप पहली बार कर रहे हैं निवेश तो इन बातों का रखें विशेष ख्याल, जानिए तरीका
धैर्य के साथ निवेश की कुछ खास स्ट्रैटेजी पर फोकस करें तो इक्विटी मार्केट से अच्छा हाई रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel
Updated on: Oct 21, 2022 | 3:59 PM
अगर आप पहली बार निवेश करने जा रहे हैं तो ये जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है. पहली बार इक्विटी में निवेश करने वाले बहुत से निवेशकों को बाजार के उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. इसी डर के कारण इक्विटी मार्केट में उनकी भागीदारी सबसे कम रहती है. हालांकि इस डर को दूर करना आसान है. लेकिन इसके लिए बाजार में मौजूद रिस्क और रिटर्न के बारे अच्छे से जानकारी करना बहुत ही आवश्यक है. इसका एक सुरक्षित जरिया इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड भी है. बता दें कि धैर्य के साथ निवेश की कुछ खास स्ट्रैटेजी पर फोकस करें तो इक्विटी मार्केट से अच्छा हाई रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
अगर भारत की बात करें तो बहुत से निवेशकों ने बचपन से ही फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों में एक निश्चित तरीके से निवेश करना देखा है, जिससे उनकी भी यहीं सोच रहती है. ऐसे प्रोडक्ट में जोखिम नहीं के बराबर होते हैं. ट्रेडिशनल इन्वेस्टर्स इंफ्लेशन एडजस्टेड रिटर्न या रीयल रेट ऑफ रिटर्न के बारे में नहीं सोचते हैं. इस वजह से रिस्क लेने की क्षमता कम होती है. गलती यह होती है कि बहुत से निवेशक मार्केट लिंक वाले विकल्पों में निवेश को भी फिक्स्ड इनकम वाले निवेश की तरह देखते हैं.
PGIM India Mutual Fund के CEO अजीत मेनन के अनुसार, मान लीजिए किसी ने निफ्टी 500 इंडेक्स (अधिकांश फ्लेक्सी कैप फंडों के लिए बेंचमार्क) और क्रिसिल हाइब्रिड 50:50 मॉडरेट इंडेक्स (बैलेंस एडवांटेज फंड के लिए बेंचमार्क) में पैसे लगाए और बिना स्विच किए 12 साल तक बना रहा. इस दौरान निफ्टी 500 टीआरआई इंडेक्स ने 12.2 फीसदी CAGR का रिटर्न दिया और क्रिसिल हाइब्रिड 50:50 मॉडरेट इंडेक्स ने 10.7 फीसदी CAGR रिटर्न दिया. जबकि आपको एक कटेगिरी से दूसरी कटेगिरी बदलने में इस दौरान सिर्फ 7.4 फीसदी का रिटर्न मिला.
लक्ष्य बनाकर करें निवेश
अगर आपको बेटी के हायर एजुकेशन के लिए 15 साल बाद अधिक पैसे की जरूरत पड़ती है. तब हायर एजुकेशन की लागत 2 करोड़ रुपये हो सकती है. अगर आप किसी बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट खोलते हैं, जहां 7 फीसदी सालाना रिटर्न मिलता है. ऐसे में आपको हर साल 15 साल 7,43,825 रुपये जमा करना होगा. लेकिन अगर बैंक ब्याज घटाते हैं या किसी साल आप इतना अमाउंट नहीं जमा कर पाते तो दिक्कत आएगी. ऐसे में इतनी बड़ी रकम हर साल निवेश से बचने के लिए उन विकल्पों को देखना चाहिए, जहां यील्ड ज्यादा हो यानी रिटर्न ज्यादा मिल रहा हो.
वहीं बहुत से ट्रेडिशनल निवेशक ऐसे हैं जो फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों से हटकर कहीं और पैसा लगाने के आदी नहीं हैं. इसी वजह से कंपाउंडिंग का फायदा हीं मिलता. ऐसे निवेशकों के लिए भारतीय म्यूचुअल फंड सेक्टर में 2 बेहतर विकल्प हैं. पहला बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैटेगरी, जो अपने प्रोडक्ट डिजाइन के आधार पर बाजार की अस्थिरता को दूर करने का प्रयास करता है. दूसरा विकल्प है लक्ष्य-आधारित निवेश और एसेट अलोकेशन पर फोकस करना.
बार बार निवेश बदलने से होती है हानि
अगर किसी निवेशक ने 2010 में निवेश करना शुरू किया और बेहतर प्रदर्यान को देखते हुए स्मॉलकैप इंडेक्स में निवेश करने का फैसला किया. 3 साल बाद उसने सिर्फ इसलिए फाइनेंशियल सेक्टर में स्विच कर लिया, क्योंकि स्मालकैप के मुकाबले वहां रिटर्न बेहतर था. फिर 3 साल बाद किसी और सेक्टश्र में स्विच कर लिया. लेकिन इस दौरान स्मालकैप का रिटर्न बेहतर होता गया. ऐसे में उसे बाजार से वह फायदा नहीं मिल पाया, जो मिलना चाहिए था. जिससे निवेशकों को हानि का सामना करना पड़ता है.
Investment Tips : विदेशी शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले समझें जरूरी बातें, फिर यूं करें शुरुआत
विदेशी बाजार में पैसा लगाने से पहले कुछ जरूरी बातें जरूर समझ लें.
निवेशक जागरूक हुए हैं और डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेशों बाजारों में पैसा लगाना पसंद कर रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों को देखें तो विदेशों में भारतीयों को निवेश काफी बढ़ गया है. विदेशी बाजार में पैसा लगाने से पहले कुछ जरूरी बातें जरूर समझ लें.
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 17:30 IST
हाइलाइट्स
भारत के लोगों का विदेशी बाजारों में निवेश लगाता बढ़ रहा है.
तकनीक ने ओवरसीज़ निवेश करना काफी आसान बना दिया है.
भारत में कई म्यूचुअल फंड हाउस विदेशी निवेश का विकल्प मुहैया कराते हैं.
नई दिल्ली. निवेशक इन दिनों विदेशी शेयरों में भी निवेश कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के हिसाब से 2021-22 में भारतीयों ने 19,611 मिलियन डॉलर का निवेश विदेशी बाजारों में किया है. इससे पिछले साल यह महज 12,684 मिलियन डॉलर था.
भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक भारतीय एक वित्त वर्ष में 2,50,000 (ढाई लाख) डॉलर विदेश भेज सकता है. रिजर्व बैंक ने समय के साथ इस सीमा में बढ़ोतरी की है. साल 2004 में जब यह स्कीम शुरू हुई थी, तब इसकी सीमा महज 25 हजार डॉलर थी. म्यूचुअल फंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करना आसान हो गया है. इसका प्रोसेस कुछ यूं है…
यहां एक महत्वपूर्ण बात ये है, चूंकि आपने भारतीय रुपये में निवेश किया है तो यह निवेश LRS यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं के तहत कवर नहीं होते हैं. ACE MF के आंकड़ों को देखा जाए तो 15 अक्टूबर तक ऐसी 63 स्कीमें बाजार में मौजूद थीं, जो विदेशों में निवेश कराती हैं. इनमें निवेश लगातार बढ़ रहा है.
विदेशों में निवेश करना आसान
हेक्सागन वेल्थ के हेक्सागन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक श्रीकांत भागवत कहते हैं कि इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का बढ़ा है. भागवत मनीकंट्रोल के सिंपली सेव पॉडकास्ट में बतौत मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, कई मंच सामने आए हैं, जिससे भारतीय निवेशकों के लिए न केवल विदेशों में निवेश करना आसान हो गया है, बल्कि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के विकास में भाग लेना भी संभव हो गया है, जिनके उत्पादों और ऑफरिंग्स का उपयोग हम लगभग हर दिन करते हैं, जैसे कि Apple, Alphabet (Google), Facebook इत्यादि. भागवत कहते हैं, “इन सबसे ऊपर, इकोसिस्टम की उपलब्धता के साथ हमने पिछले एक दशक में अमेरिकी बाजार में एक शानदार तेजी देखी है, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा है.”
कैसे लगाएं विदेशी बाजारों में पैसा
श्रीकांत भागवत ने बताया कि आपको डायवर्सिफिकेशन को ध्यान में रखना चाहिए, न कि अतिरिक्त पैसा बनाने के बारे में. और यदि आप डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो आपको सभी जियोग्राफिक्स को देखना होगा. आप सिर्फ अमेरिकी इक्विटी बाजारों को ही क्यों देख रहे हैं? दुनियाभर में कई अच्छे बिजनेस हैं. तो आपको सभी बाजारों को देखना चाहिए.
यदि आप यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो अच्छी कंपनियां खोजकर सीधे उनके स्टॉक लेने चाहिएं. परंतु यदि आप नहीं कर सकते हैं तो आपको पैसिवली मैनेज्ड (इंडेक्स) फंड्स पर फोकस करना चाहिए. निवेश करते समय गलती की गुंजाइश नहीं होती. हर गलती का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. यदि आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सीधा विदेशों बाजारों पर ध्यान न लगाएं. आपको पहले भारतीय बाजारों में मौजूद म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए. जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़ेगी, आप विदेशों के इंडेक्स को समझने लगेंगे और वहां निवेश करना आपके लिए आसान हो जाएगा. अपने पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी पैसा विदेशी बाजारों में लगाना चाहिए.
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शेयरों में निवेश करने से पहले ध्यान में रखने योग्य बातें
हिंदी
शेयर बाजार में निवेश अब एक जटिल या अत्यधिक मांग वाली गतिविधि नहीं है। डिजिटल होने के कदम ने नए लोगों के लिए ट्रेडिंग को आसान और पेशेवर निवेशकों के लिए ट्रेडिंग को सक्षम किया है। डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता व्यवस्थित करना 20 मिनट का कार्य है, जो आपको भारत और विदेशों में ऑनलाइन शेयर बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरों में निवेश करने में आसानी के बावजूद, वित्तीय बाजारों में निवेश करने में डुबकी लगाने से पहले आपको कुछ चीजें याद रखना चाहिए।
वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें
निवेश शुरू करने से पहले वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करना बेहद महत्वपूर्ण है।आप अपने पैसे कैसे खर्च करना चाहते हैं और आपको कितनी बचत करने की जरूरत हैं, इस पर एक उचित योजना के बिना निवेश एक उद्देश्यहीन मेहनत है। आप सोच सकते हैं कि अपने वित्तीय लक्ष्यों की प्रतीक्षा करने में,अपने पैसे को अपने बचत खाते में बेकार रखे रहने के बजाय शेयर बाजार में निवेश करना बेहतर है, ताकि आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को तैयार कर सकें। लेकिन स्टॉक निवेश के अवसरों की व्यापक विविधता के साथ, यदि आप क्षितिज पर कुछ व्यापक वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित नहीं करते हैं तो आपको यह नहीं पता होगा कि कब प्रवेश करें या कब बाहर निकलें।वित्तीय लक्ष्य आपको यह निर्धारित करने में सहायता करते हैं कि आपको कितने समय तक और कितना निवेश करने की आवश्यकता है। यह आपको उस निवेश रणनीति को भी सूचित करता है जो आपके पैसे को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। जिन कंपनियों और शेयरों में आप निवेश करना चुनते हैं, वे स्पष्ट वित्तीय लक्ष्यों के उप-उत्पाद हैं।
आप किस तरह के निवेशक हैं?
शेयर बाजार में बिना एक रुपए का निवेश किए यह पता लगाना मुश्किल है कि आप किस तरह के निवेशक हैं। लेकिन यहां कुछ प्रश्न हैं जो आप निवेश करने से पहले खुद से पूछ सकते हैं:
- क्या आप मूल्य या विकास से प्रेरित होते हैं
मूल्य निवेशक
मूल्य निवेशक( Value investors ) निवेशकों का वह प्रकार हैं जो ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं, जिनके बारे में उनका मानना होता है कि ये अपने काम के कारण बहुत ही मूल्यवान हैं।वे इन शेयरों में निवेश करते हैं क्योंकि उन्होंने कंपनी का संपूर्ण वित्तीय विश्लेषण किया होता है – राजस्व, नकदी प्रवाह, लाभ, ऐतिहासिक प्रदर्शन और स्टॉक का ऊपर जाना या फिर जब यह अपने बुक मूल्य या वास्तविक मूल्य से नीचे ट्रेड कर रहा हो। इसका कारण यह है कि मूल्य निवेशक अच्छी ठोस बुनियादी बातों वाली कंपनियों की तलाश में होते हैं, क्योंकि वे शर्त लगाते हैं कि लंबे समय इनका प्रदर्शन बहुत अच्छा होगा। फिर, वे इस तरह के शेयरों की कीमत उनकी वास्तविक कीमत से नीचे गिरने का इंतजार करते हैं और उन्हें जल्दी से चुन लेते हैं और उन्हें तब तक होल्ड करके रखते हैं, जब तक कि ये उनके दिमाग में मौजूद मूल्य को न छू लें।
मूल्य निवेश के पीछे तर्क यह है कि जब आप स्टॉक के सच्चे और आंतरिक मूल्य का निर्धारण करते हैं और इसे रियायती मूल्य पर यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं खरीदते हैं, तो यदि स्टॉक नकारात्मक पक्ष पर आपकी अपेक्षा के अनुसार काम नहीं करता है, तो आपके पैसे खोने की संभावना कम होती है।लेकिन सकारात्मक पक्ष की बात करें तो, न केवल शेयर वापस अपने वास्तविक मूल्य पर आ जाएंगे बल्कि वास्तविक मूल्य पर वृद्धिशील वृद्धि का अर्थ है कि आपको अपने निवेश बहुत अधिक कमाई भी होगी। एक नवोदित मूल्य निवेशक के रूप में, आप बिग-कैप कंपनियों के शेयरों को देख सकते हैं और उन्हें खरीदने से पहले उनकी कीमतों में गिरावट का इंतजार कर सकते हैं।
विकास निवेशक( Growth Investors ), मूल्य निवेशकों के विपरीत, अधिक आक्रामक हैं।विकास आधारित निवेश पूंजी अधिमूल्यन पर केंद्रित है और नई कंपनियों को उनके विकास के चरण में लक्षित करते हैं। विकास निवेशक कंपनियों की क्षमता में निवेश कर रहे हैं, और जब भी ऐसे निवेश लाभ प्रदान करते हैं तो बड़ा लाभ प्रदान करते हैं। लेकिन अगर कंपनी अपनी पूरी क्षमता को अनलॉक नहीं करती है, तो आप अपनी निवेश की गई मूल राशि भी खो सकते हैं।
- आपकी जोखिम भूख क्या है?
हालांकि,हम विकास निवेश के विषय पर हैं, यह अपनी जोखिम भूख का मूल्यांकन करने के लिए एक अच्छा समय है। आप कितना पैसा बनाना चाहते हैं और इसे बनाने के लिए आप कितना पैसा खोने के लिए तैयार हैं। निवेश करने से पहले अपनी जोखिम की भूख को समझना, आपको यह पता लगाने में मदद करेगा कि आप किस प्रकार की कंपनियों और वित्तीय साधनों में निवेश करना चाहते हैं।जबकि कोई भी यह सिफारिश नहीं करता है कि आप केवल एक ही प्रकार की सुरक्षा में निवेश करें, इस बात पर निर्भर करते हुए कि आप यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं कितना सुरक्षित या आक्रामक बनना चाहते हैं, इस पर निर्भर करते हुए आप अपनी अधिक से अधिक बचत को किसी भी प्रकार की प्रतिभूति में निवेशित कर सकते हैं।
यदि आप बेहद सुरक्षित अल्पकालिक निवेश और लिक्विडिटी की तलाश में हैं, तो ऋण उपकरण अच्छा चुनाव मार्ग है। यदि आप लंबे समय तक निवेश करने की योजना बनाते हैं और घर खरीदने के लिए पैसे बचा रहे हैं (वित्तीय लक्ष्य!) तो इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड, सुरक्षित स्टॉक विकल्प, गोल्ड आदि आपकी आवश्यकताओं के अनुकूल हैं। पूंजी और वित्त बाजार में पृष्ठभूमि के साथ एक गहरी नजर वाले, चतुर निवेशक के लिए डे-ट्रेडिंग और एफएंडओ( F&Os ) तथा कमोडिटी में ट्रेडिंग उसकी विशेषज्ञता को लागू करने और इससे लाभ कमाने के लिए सबसे अधिक अवसर प्रदान करेगा।
निवेश शुरू करने में कभी देर नहीं होती है, लेकिन आपकी उम्र यह निर्धारित करती है कि आपको अपने पोर्टफोलियो को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में कितना जोखिम देना चाहिए। अनुभव पर आधारित एक नियम का वर्णन किया जाता है, जो निर्धारित करता है कि आपकी उम्र को 100 से घटाकर प्राप्त होने वाली संख्या वह राशि है जिसे आपको शेयर बाजार में इक्विटी में रखना चाहिए।आपकी उम्र जितनी कम होगी, आपके निवेश को अपनी पूरी क्षमता के लिए परिपक्व होने के लिए उतना ही अधिक समय होगा। जैसे-जैसे आपकी आयु बढ़ती जाती है, अपने लिए निर्धारित किए गए वित्तीय लक्ष्यों पर पहुंचने के बाद और जल्दी बाहर निकलने की इच्छा से आप अपनी बचत को सुरक्षित, अल्पकालिक उपकरणों में रख सकते हैं।
- आप एक लंबी अवधि के निवेशक हैं, एक ट्रेडर हैं, या फिर दोनों?
आप कब तक निवेशित रहना चाहते हैं और क्या आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं, यह आपके वित्तीय साधनों और आकांक्षाओं का परिणाम होता है।डे ट्रेडिंग, मध्यस्थता ट्रेडिंग, पेशेवर निवेशक,विदेश में स्टॉक में निवेश,पेशेवर निवेशकों,हेज फंड प्रबंधकों और वित्तीय संस्थानों के क्षेत्र हैं। समय के साथ, आप स्वयं की विशेषज्ञता का निर्माण कर सकते हैं।लेकिन अगर आप एक उत्सुक शिक्षार्थी हैं और प्रयोग करने के लिए आपके पास लिक्विडिटी है तो आप डे ट्रेडिंग का भी यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं प्रयास कर सकते हैं।अनुसंधान, हालांकि अभी भी शेयर बाजार में किसी भी प्रकार के निवेश के लिए पूर्व पूर्वनर्धारित शर्त बना हुआ है – यहां तक कि डे ट्रेडिंग में भी। लोकप्रिय राय के विपरीत, डे ट्रेडिंग अंतर्ज्ञान या भाग्य पर आधारित नहीं होती है, बल्कि सावधानीपूर्वक योजना और रणनीतिकरण पर आधारित होती है।
अपने निवेश को वैसे ही जानें जैसे कि आप खुद को जानते हैं। शेयर बाजार में निवेश के लिए एक उचित योजना बनाना अपने पैसे को बढ़ाने के लिए निश्चित तरीका है। उचित शोध और धैर्य तथा रणनीति बनाने के साथ, आपके निवेश केवल लाभ प्रदान करेंगे।
शेयर मार्केट में पहली बार कर रहे हैं निवेश तो इन बातों का रखें खास ध्यान, जानिए क्या है निवेश का सही तरीका
किसी भी सेक्टर में निवेश करने के लिए सिर्फ़ रिटर्न ही नहीं देखना चाहिए.
लगातार बढ़ती महंगाई से मुकाबला करने के लिए शेयर मार्केट में निवेश करना काफ़ी फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए मार्केट को समझते हुए सही तरीके से निवेश करना जरूरी है. शेयर मार्केट में हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है. इसमें आपको कभी फायदा होगा तो कभी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. इसलिए आपको धैर्य से काम लेना पड़ता है, इसमें जल्दबाजी काम नहीं आती.
- News18Hindi
- Last Updated : October 27, 2022, 08:20 IST
हाइलाइट्स
लगातार बढ़ती महंगाई से मुकाबला करने के लिए शेयर मार्केट में निवेश करना काफ़ी फायदेमंद हो सकता है.
शेयर मार्केट में निवेश सीखने का कोई शॉर्टकट नहीं है, इसलिए खुद ही इसे अनुभव से सीखना पड़ता है.
किसी के कहने से अपने निवेश को बदलने की बजाय अपनी रिसर्च और प्लानिंग को ध्यान में रखना चाहिए.
नई दिल्ली. अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी इनकम का कुछ हिस्सा कहीं ऐसी जगह निवेश करें, जो जरूरत पड़ने पर काम आ सके. हमारे देश में ज्यादातर लोग निवेश के लिए ट्रेडिशनल तरीकों को ही अपनाते हैं जो कि रिटर्न के मामले में उतने कारगर नहीं होते हैं. लगातार बढ़ती महंगाई से मुकाबला करने के लिए शेयर मार्केट में निवेश करना काफ़ी फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए मार्केट को समझते हुए सही तरीके से निवेश करना जरूरी है.
शेयर मार्केट में निवेश करना जोखिम भरा होता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखते हुए यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं आप इससे अच्छा रिटर्न ले सकते हैं. शेयर मार्केट में निवेश सीखने का कोई शॉर्टकट नहीं है, इसलिए खुद ही इसे अनुभव से सीखना पड़ता है. यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं और जानकारी के अभाव में अब तक नहीं कर पाए हैं, तो आज हम आपके काम की जानकारी लेकर आए हैं. इस आर्टिकल में हम इसी पर बात करेंगे.
निवेश के लिए स्टॉक कैसे तय करें
शेयर मार्केट में निवेश की शुरूआत में निवेशक को रिटर्न पर ज्यादा फोकस नहीं करना चाहिए. शुरूआत में ज्यादा उतार चढ़ाव वाले स्टॉक की बजाय ऐसे स्टॉक को चुनना यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं फायदेमंद होता है, जो फंडामेंटली मजबूत होते हैं. स्टॉक का चुनाव कंपनी की ग्रोथ देखकर करना चाहिए. शुरुआती निवेशक को स्मॉलकैप शेयरों की बजाय लार्जकैप शेयरों में पैसा लगाना चाहिए. फिर धीरे-धीरे मार्केट को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
निवेश से पहले टारगेट तय करें
भविष्य में आपको किस काम के लिए और कितने रुपयों की जरूरत पड़ सकती है, उसके मुताबिक अभी से प्लानिंग करके निवेश की शुरुआत करें. निवेश करते समय आप इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि जिस सेक्टर में आप पैसा लगाने जा रहे हैं उसमें अभी कितना रिटर्न मिल रहा है और भविष्य में आगे उसकी क्या संभावनाएं है.
धैर्य रखना बेहद जरूरी
शेयर मार्केट में हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है. इसमें आपको कभी फायदा होगा तो कभी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. इसलिए आपको धैर्य से काम लेना पड़ता है, इसमें जल्दबाजी काम नहीं आती. किसी भी स्टॉक में एक बार पैसे लगाने के बाद रुककर मार्केट की गतिविधियों को देखना चाहिए और सही समय पर अच्छे रिटर्न के साथ यदि आप निवेश नहीं कर रहे हैं पैसे को निकालना चाहिए. स्टॉक मार्केट में आप अपने अनुभव से सीखते हैं और उसी के अनुसार आगे की प्लानिंग करते हैं. इसलिए अपने हर अनुभव से सीखते रहना जरूरी है.
निवेश बदलने से होता है नुकसान
अगर कोई निवेशक एक जगह निवेश करने के बाद, किसी दूसरे सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन को देखकर अपने निवेश को स्विच कर लेता है, तो वह उसे शॉर्ट टर्म के लिए तो लाभ दे सकता है लेकिन बार-बार ऐसा करने से उसको बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है. किसी भी सेक्टर में निवेश करने के लिए सिर्फ़ रिटर्न ही नहीं बल्कि बाकी सब चीजों को भी ध्यान से देखना चाहिए कि वह वास्तव में कितना लाभ दे सकता है.
फ्री की सलाह पर निवेश से बचें
शेयर मार्केट में निवेश के लिए गाइड करने वाली किसी विश्वसनीय वेबसाइट या एक्सपर्ट के अलावा किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए. विशेष तौर पर सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले टिप्स के चक्कर में पड़ने से बचें. किसी के कहने से अपने निवेश को बदलने की बजाय अपनी रिसर्च और प्लानिंग को ध्यान में रखना चाहिए. मार्केट के उतार-चढ़ाव से घबराकर पैसे निकालने के बारे में सोचना भी सही नहीं है. इसके अलावा मार्केट की गतिविधियों को ध्यान से देखते हुए अपनी प्लानिंग में बदलाव कर सकते हैं.
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