बॉन्ड फ्यूचर्स

म्यूचुएल फंड की तरह ही गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स डीमैट अकाउंट के जरिए खरीदे या बेचे जा सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ में 99.9 फीसदी शुद्धता का सोना होता है, जिससे निवेशकों को क्वॉलिटी की चिंता नहीं करनी पड़ती है। इसके अलावा गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से सोने की चोरी का जोखिम भी नहीं रहता है। साथ ही, गोल्ड ईटीएफ में छोटी रकम भी निवेश की जा सकती है।
कमोडिटीज़ ट्रेडिंग ऑनलाइन
कमोडिटी व्यापार इक्विटी, बॉन्ड और रियल एस्टेट के पारंपरिक अवसरों से अलग, निवेश के लिए विविध अवसरों को लाता है। ऐतिहासिक डेटा के आधार पर, अपने मौजूदा पोर्टफोलियो में कमोडिटी एक्सपोज़र जोड़ने से जोखिम कम करते हुए आपको रिटर्न बढ़ाने में मदद मिलती है। अन्य परिसंपत्ति वर्गों के साथ वस्तुओं का बहुत कम या नकारात्मक सहसंबंध है।
- बुलियन, ऊर्जा, कृषि में व्यापार
- कम मार्जिन पर व्यापार करना
- पोर्टफोलियो का विविधीकरण
- निवेश, व्यापार, बचाव और अनुमान लगाना
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत कीमतें
- जोखिम से बचाव
कमोडीटीज़ में निवेश के लिए हमें क्यों चुनें
- लाभ -4 गुना एक्सपोजर
- सुरक्षित व्यापार अनुभव
- इंट्राडे और स्थिति संबंधी सलाह
- दैनिक और साप्ताहिक बाजार रिपोर्ट
- समर्पित सलाहकार दल
अभी डीमैट खाता खोलें!
Loading.
कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए अनुशंसाएं
- CMP 52375.00
- Target Price 52243.00
- Stop Loss 52535.00
- CMP 52301.00
- Target Price 52085.00
- Stop Loss 52445.00
- CMP 298.40
- Target Price 277.00
- Stop Loss 277.00
- CMP 6552.00
- Target Price 6530.00
- Stop Loss 6530.00
13 दिनों में उछाल 10.60 %
12 दिनों में प्राप्त किया 7.00 %
9 दिनों में प्राप्त किया 7.60 %
8 दिनों में प्राप्त किया 5.40 %
Loading.
Share Market Opening: मंगलवार को स्टॉक मार्केट में भी 'मंगल' के संकेत, मेटल और पावर सेक्टर के शेयरों में दिख रही तेजी
दुनियाभर के बाजारों में अच्छे संकेत दिखने के बाद भारतीय बाजारों से भी उम्मीद बढ़ी है। सेंसेक्स 200 अंक ऊपर (53501) जबकि निफ्टी 15909 के लेवल पर खुला है। सोमवार को अमेरिकी बाजार बंद थे लेकिन एशिया के बाजारों में काफी अच्छा मूवमेंट देखने को मिला है। डाओ फ्यूचर्स में 100 अंकों की तेजी देखने को मिली है। वहीं बॉन्ड फ्यूचर्स अमेरिकी बॉन्ड यील्ड हल्की बढ़त के साथ 3 फीसदी के करीब पहुंच गया है।
सोमवार के ट्रेडिंग सेशन में पूरे यूरोप के बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला है। यूके के बाजार में करीब 1 फीसदी और फ्रांस में आधे परसेंट की तेजी देखने को मिली. जर्मनी का बाजार लाल बॉन्ड फ्यूचर्स निशान में बंद हुआ है। तेल में तेजी से ऑयल एंड गैस शेयरों को सहारा मिला है। SGX Nifty की बात करें तो इसमें तेजी देखने को मिली है और ये इंडेक्स 35 अंकों की तेजी के साथ हरे निशान में कारोबार कर रहा है।
विस्तार
दुनियाभर के बाजारों में अच्छे संकेत दिखने के बाद भारतीय बाजारों से भी उम्मीद बढ़ी है। सेंसेक्स 200 अंक ऊपर (53501) जबकि निफ्टी 15909 के लेवल पर खुला है। सोमवार को अमेरिकी बाजार बंद थे लेकिन एशिया के बाजारों में काफी अच्छा मूवमेंट देखने को मिला है। डाओ फ्यूचर्स में 100 अंकों की तेजी देखने को मिली है। वहीं अमेरिकी बॉन्ड यील्ड हल्की बढ़त के साथ 3 फीसदी के करीब पहुंच गया है।
सोमवार के ट्रेडिंग सेशन में पूरे यूरोप के बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला है। यूके के बाजार में करीब 1 फीसदी और फ्रांस में आधे परसेंट की तेजी देखने को मिली. जर्मनी का बाजार लाल निशान में बंद हुआ है। तेल में तेजी से ऑयल एंड गैस शेयरों को सहारा मिला है। SGX Nifty की बात करें तो इसमें तेजी देखने को मिली है और ये इंडेक्स 35 अंकों की तेजी के साथ हरे निशान में कारोबार कर रहा है।
बाजार में मेटल और पावर सेक्टर में तेजी देखने को मिल रही है। कोटक महिंद्रा बैंक और इंडसइंड बैंक के शेयरों पर भी बाजार की नजर बनी हुई है। आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मानदंडों का पालन नहीं करने के कारण कोटक महिंदा बैंक पर 1.05 करोड़ का जुर्माना लगाया है। वहीं इंडसइंड बैंक पर भी एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस क्या हैं? निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Sep 16, 2022 | 5:35 PM
हर कोई अपने निवेश से मुनाफा कमाना चाहता है. मार्केट (बाजार) में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. आज हम वित्तीय साधनों (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) के बारे में बात करेंगे, जिन्हें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के तौर पर जाना जाता है. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के जरिए न केवल शेयरों में, बल्कि सोने, चांदी, एग्रीकल्चर कमोडिटी और कच्चे तेल (क्रड ऑयल) सहित कई अन्य डेरिवेटिव सेगमेंट में भी कारोबार करके पैसा कमाया जा सकता है. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस को समझने से पहले उस मार्केट को समझना जरूरी है, जिसमें ये प्रोडक्ट्स खरीदे और बेचे जाते हैं.
डेरिवेटिव्स क्या होते हैं?
डेरिवेटिव वित्तीय साधन (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) हैं, जो एक अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) या बेंचमार्क से अपनी कीमत (वैल्यू) हासिल करते हैं. उदाहरण के लिए, बॉन्ड फ्यूचर्स स्टॉक, बॉन्ड, करेंसी, कमोडिटी और मार्केट इंडेक्स डेरिवेटिव में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉमन एसेट हैं. अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) की कीमत बाजार की स्थितियों के मुताबिक बदलती रहती है. मुख्य रूप से चार तरह के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट हैं – फ्यूचर (वायदा), फॉरवर्ड, ऑप्शन और स्वैप.
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के जरिए खरीदार (या विक्रेता) भविष्य में एक पूर्व निर्धारित तिथि पर एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर संपत्ति खरीद या बेच सकता है. वायदा कारोबार (फ्यूचर ट्रेडिंग) करने वाले दोनों पक्ष अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) को पूरा करने के लिए बाध्य होते हैं. इन अनुबंधों का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है. वायदा अनुबंध की कीमत अनुबंध खत्म होने तक मार्केट के हिसाब से बदलती रहती है.
बॉन्ड फ्यूचर्स
एमसीएक्स एसएक्स में ट्रेडिंग कब शुरु होगी?
छठ पूजा के दिन मॉक टेस्टिंग के साथ सांकेतिक ट्रेडिंग की शुरुआत हो चुकी है । शेयर ट्रेडिंग की सफलता के लिए मॉक टे्रडिंग की गई थी, जो सफल रही। इस मॉक टेस्टिंग में 135 सदस्यों ने उपलब्ध 100 शेयरों का 225.53 करोड़ रुपये का कारोबार किया। एमसीएक्स-एसएक्स इस सफल टेस्टिंग से सीधे कारोबार के लिए तैयार है और 350 सदस्यों के पंजीकृत होते ही कारोबार की शुरुआत कर दी जाएगी। एक्सचेंज को 700 नए बॉन्ड फ्यूचर्स सदस्य बनने के आवेदन मिले हैं, जो एक रिकॉर्ड है। तारीख बताना थोड़ी जल्दबाजी होगी लेकिन यह खुशखबरी जल्द मिलेगी।
देश में पहले से ही स्टॉक एक्सचेंज हैं, ऐसे में नए एक्सचेंज की क्या जरूरत है ?
हमारे एक्सचेंजों ने भारत के वित्तीय समुदाय को विश्वास दिलाया है कि पूंजी बाजार के विकास का कार्य स्क्रीन आधारित ट्रेडिंग, इंडेक्स, इंडेक्स फ्यूचर्स ऐंड ऑप्शंस में कारोबार होने से पूरा हो गया और अब दूसरे एक्सचेंजों की यहां कोई जगह नहीं है। लेकिन बाजार के विकास के बारे में हमारा नजरिया अलग है। भारत में और एक्सचेंजों की जगह है। अगर हम वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो विश्व के सबसे बड़े वित्तीय बाजार अमेरिका में 10 एक्सचेंज है और वहां की कुल आबादी का 60 प्रतिशत स्टॉक मार्केट से जुड़ा है। अमेरिका और यूरोप में जिस तरह अनेक एक्सचेंज हैं, भारत में भी उनकी उतनी ही एक्सचेंजों की जरूरत है, जिससे कि देश का आर्थिक विकास सबल हो सके। यहां तो तीन से भी ज्यादा स्टॉक एक्सचेंजों की खास जरूरत है। भारत के स्टॉक मार्केट की संरचना में फिलहाल एकाधिकार है। एक उत्पाद में भी सट्टïा लगने से कारोबार अचानक बढ़ जाता है। नतीजतन भारी मुनाफा होता है।
4- गोल्ड क्वाइन स्कीम
सोने के सिक्के जूलर, बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खरीदे जा सकते हैं। सरकार ने भी खास सोने के सिक्के लॉन्च किए हैं। इनमें एक तरफ अशोक चक्र और दूसरी ओर महात्मा गांधी की तस्वीर है। ये सिक्के 5 और 10 ग्राम में उपलब्ध हैं। सोने की छड़ 20 ग्राम में आती है। इंडियन गोल्ड क्वाइन और बार 24 कैरेट में आते हैं। इनकी बीआईएस स्टैंडर्ड के अनुसार हॉलमार्किंग होती है। इन सिक्कों का वितरण पंजीकृत एमएमटीसी आउटलेट, बैंक की शाखाओं और डाकघरों के जरिए होता है।
गोल्ड या जूलरी सेविंग स्कीम दो तरीके की होती हैं। एक आपको हर महीने एक निश्चित अवधि के लिए तय रकम जमा करने की अनुमति देती है। इस अवधि के खत्म होने पर आप जमा किए गए मूल्य के बराबर सोना खरीद सकते हैं। इसमें बोनस रकम शामिल होती है।
6- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी)
पेपर गोल्ड खरीदने का यह एक और विकल्प है। इन्हें सरकार जारी करती है। ये हर समय खरीदने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। बजाय इसके सरकार इन्हें खरीदने के लिए थोड़े-थोड़े समय पर विंडो खोलती है। अक्सर 2-3 महीने में यह विंडो खुलती है। एक हफ्ते तक यह खुली रहती है, इसी दौरान एसजीबी बॉन्ड फ्यूचर्स खरीदने का मौका रहता है।
अब आप सोने के सिक्के, बार और जूलरी ऑनलाइन खरीद सकते हैं। पेटीएम के मोबाइल वॉलेट पर 'डिजिटल गोल्ड' की पेशकश की जा रही है। स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया अपनी वेबसाइट पर 'गोल्डरश' की पेशकश कर रहा है। मोतीलाल ओसवाल ने मी-गोल्ड लॉन्च किया है। इन सभी की पेशकश एमएमटीसी-पीएएमपी के साथ गठजोड़ में की जा रही है। एमएमटीसी-पीएएमपी सार्वजनिक क्षेत्र बॉन्ड फ्यूचर्स की एमएमटीसी और स्विटजरलैंड की पीएएमपी के बीच ज्वाइंट वेंचर है।
कैसे चुनें विकल्प?
बार या सिक्कों के रूप में फिजिकल सोना खरीदने की शुरुआती लागत लगभग 10 फीसदी है। आभूषणों के लिए यह इससे भी अधिक है। एसजीबी और गोल्ड ईटीएफ लागत किफायती हैं। एसजीबी में कोई एंट्री कॉस्ट नहीं है। एसजीबी उनके लिए फायदेमंद है जो लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश करना चाहते हैं। कारण है कि इनकी मैच्योरिटी 8 साल बाद होती है। हालांकि, लॉक-इन अवधि 5 साल में खत्म हो जाती है। वैसे गोल्ड ईटीएफ में एसजीबी के मुकाबले ज्यादा बेहतर लिक्विडिटी होती है।
प्रत्येक देश की मुद्रा उस देश की सीमा के भीतर ही चलती है, जबकि सोना हर जगह चलता है। सोने की मांग हमेशा रहती है। इसके खरीदार हमेशा रहते हैं, यानी कैश के बाद सोना सबसे तरल निवेश है। सोने को कभी भी बेचकर बाजार मूल्य के बराबर पैसा पाया जा सकता है। भारत में सोने की सबसे अधिक दीवानगी आभूषणों को लेकर है। महिलाओं को आभूषण अधिक आकर्षित करते हैं, लेकिन निवेश के लिहाज से सोने के सिक्के और छड़ अधिक मुफीद हैं।