चलने की औसत

औसत चाल= वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी/ यात्रा में लगा कुल समय
औसत चाल से आपका क्या चलने की औसत अभिप्राय है इसका सूत्र लिखिए
किसी वस्तु द्वारा एक निश्चित समय में तय की गयी दुरी को चल कहते है। चल का सूत्र होता हैं
चाल= दुरी /समय
अर्थात यदि किसी वस्तु द्वारा 30 सेकण्ड में 300 मीटर की दूरी तय की गयी है , तब उस वस्तु की चाल 10 मीटर/ सेकंड होगी।
आगे हम आपको बताएंगे कि औसत चाल से आपका क्या अभिप्राय है व औसत चाल का सूत्र क्या है?
औसत चाल से आपका क्या अभिप्राय है?
जब कोई वस्तु समान समय में असमान दूरियाँ तय करती हैं, तब वस्तु द्वारा चली गयी कुल दूरी व यात्रा में लगे कुल समय के अनुपात उस वस्तु की औसत चाल कहलाती हैं। किसी वस्तु द्वारा तय की गयी कुल दूरी में, कुल समय का भाग देकर प्राप्त चाल उस वस्तु की औसत चाल का पता लगाया जाता हैं। औसत चाल एक अदिश राशि है।
औसत चाल का सूत्र
किसी भी वस्तु द्वारा चली गयी औसत चल को ज्ञात करने के लिए हमें उस वास्तु दवारा चली गयी कुल दुरी एवं यात्रा में लगा हुआ कुल समय पता होना चाहिए। औसत चाल का S.I मात्रक मीटर/सेकण्ड (m/s) होता है।
औसत चाल= वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी/ यात्रा में लगा कुल समय
औसत चाल का उदाहरण
एक व्यक्ति 9 km की दूरी 2 घण्टे में , 16 km की दूरी 5 घण्टे में तथा 12 km की दूरी 3 घण्टे में तय करता है, इस पूरी यात्रा में उसकी औसत चाल क्या होगी?
हवा चलने से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार, निर्माण गतिविधियों पर अगले आदेश तक रोक जारी
दिल्ली में सोमवार को हवा चलने से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर से बेहद खराब में पहुंच गया। शहर में 24 घंटे के औसत एक्यूएआई 389 दर्ज किया गया।
Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 29, 2021 20:49 IST
Image Source : PTI दिल्ली में सोमवार को हवा चलने से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया।
Highlights
- शहर में 24 घंटे के औसत एक्यूएआई 389 दर्ज किया गया।
- सफर के अनुसार, मंगलवार को निचली सतह वाली हवाओं के गतिमान होने से प्रदूषण में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
- गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी।
नयी दिल्ली: दिल्ली में सोमवार को हवा चलने से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर से बेहद खराब में पहुंच गया। शहर में 24 घंटे के औसत एक्यूएआई 389 दर्ज किया गया। दिल्ली में लगातार तीन दिन से वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बरकरार थी। फरीदाबाद में (276), गाजियाबाद (365), ग्रेटर नोएडा (350), गुरुग्राम (395) और नोएडा (356) में भी वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार देखा गया।
गौरतलब है कि एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब और 401 और 500 के बीच गंभीर श्रेणी में माना जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि 15 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवा चलने से दोपहर में प्रदूषण कारक तत्वों के बिखराव में मदद मिली।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रणाली सफर के अनुसार, मंगलवार को निचली सतह वाली हवाओं के गतिमान होने से प्रदूषण में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को देखते हुए दिल्ली में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। राय ने संबंधित विभागों के अधिकारों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि जरूरी सेवाओं में लगे ट्रकों को छोड़कर अन्य ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश करने पर सात दिसंबर तक प्रतिबंध जारी रहेगा, जबकि सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति होगी।
मंत्री ने कहा, “विशेषज्ञों ने कहा है कि कम तापमान और हवा की कम गति के कारण स्थिति स्थिर हो गई है और आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रहने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुमान के मुताबिक, बारिश होने पर स्थिति में सुधार हो सकता है।” उन्होंने कहा, “स्थिति को देखते हुए हमने दिल्ली में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर लगी रोक को अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया है। गैर-प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों जैसे प्लंबिंग कार्य, आंतरिक सजावट, बिजली के काम और बढ़ई के काम की इजाजत है।”
राय ने कहा कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार के रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान को 18 दिसंबर तक बढ़ाया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बृहस्पतिवार को निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर फिर से रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध से प्रभावित श्रमिकों को पांच-पांच हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी और उनकी सरकार न्यूनतम मजदूरी के नुकसान की भरपाई भी करेगी।
वहीं, दिल्ली में सोमवार से स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ सरकारी दफ्तर भी खुल गए हैं। सरकार ने शहर के 14 क्षेत्रों में सरकारी आवासीय कॉलोनियों से अपने कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए विशेष बस सेवा भी शुरू की है। इन आवासीय कॉलोनियों में गुलाबी बाग, मयूर विहार फेज दो, मोतिया खान, शालीमार बाग ब्लॉक ए, तिमारपुर, हरिनगर, द्वारका सेक्टर तीन, निमड़ी कॉलोनी - अशोक विहार, रोहिणी सेक्टर 11, कड़कड़डूमा, मॉडल टाउन फेज एक, विकास पुरी, पश्चिम विहार और वसंत कुंज शामिल हैं।
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चलने का यह तरीका योग व जिम से भी ज्यादा फायदेमंद
दरअसल फिजिकल एक्टिविटी की कमी व ज्यादातर वक्त बैठे रहने की वजह से युवा मोटापा, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में वो खुद को फिट रखने के लिए जिम का सहारा लेते हैं। वो कई घंटे जिम में पसीना बहाकर खुद को शेप में रख रहे हैं।
इसके अलावा आज के युवाओं की योग में भी रूचि बढ़ने लगी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने इतने अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की है कि युवा नए-नए आसन सीखकर अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त कर रहे हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो जिम जाने या योग करने का सोचते तो बहुत है, लेकिन अपनी सोच को वो अमल में नहीं ला पाते। ऐसे लोगों के लिए एक आसान उपाय यह है कि वो पैदल चलकर भी फिट रह सकते हैं। दरअसल एक खास तरीके से चला जाए तो वो योग करने या जिम जाने से भी ज्यादा फायदा पहुंचाता है।
चलिए आपको बताते हैं क्या है वो खास चलने का तरीका –
चलने का तरीका – चलने के कई फायदे
यह तो हम सभी जानते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने व रात में खाना खाने के बाद घूमने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। एक स्टडी के अनुसार तो रोजाना 20 मिनिट चलने से मौत का खतरा कई प्रतिशत तक कम हो जाता है।
इतना ही नहीं पैदल चलने से दिल स्वस्थ रहता है और दिल की बीमारियों का खतरा 40% तक कम होता है। जब आप प्रकृति के बीच चलते हैं तो आपकी बॉडी में गुड हार्मोन्स बनते हैं और तनाव दूर होता है। इसके अलावा पैर व घुटनों की मांसपेशियां तो मजबूत होती ही है।
मगर यदि आप नीचे बताए जा रहे खास तरीके से चलेंगे तो आपके लिए फायदे और बढ़ जाएंगे।
तेज चलने से होता है फायदा
हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि धीमे के बजाए औसत गति से चलने से दिल से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत का खतरा 20% तक कम हो जाता है। जबकि तेज चलने से मृत्युदर में 24% तक की कमी आ जाती है।
कैंसर पर नहीं असर
रिसर्च से जुड़े एक सूत्र का कहना है, “ लिंग या बॉडी मास इंडेक्स का परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि एवरेज या फ़ास्ट स्पीड से चलने का दिल संबंधी व अन्य बीमारियों से होने वाली मृत्यु के खतरे को कम करने से जरूर संबंध था। हालांकि कैंसर से होने वाली मौतों चलने की औसत पर इस गति से चलने से कोई प्रभाव होता है या नहीं इसका कोई सबूत नहीं मिला।”
क्या होती है तेज गति?
एक्सपर्ट्स के अनुसार 5-7 किलोमीटर/घंटा की गति से चलना तेज चलना माना जाता है, परंतु असल में यह चलने वाले के फिटनेस लेवल पर भी निर्भर करता है।
इसे जानने का दूसरा तरीका यह है कि उस गति से चला जाए कि वॉक खत्म होने तक पसीना आने लगे या सांस फूलने लग जाए।
टीम को पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में पब्लिक हेल्थ से जुड़े मैसेज व कैंपेन आदि में चलने की गति पर भी ध्यान दिया जाएगा।
ये है बेस्ट चलने का तरीका – तो यदि आप फिट रहना चाहते हैं तो रोज सुबह धीरे नहीं बल्कि तेज या कम से कम औसत गति में चलने निकल जाइए।
बड़ा तालाब हुआ लबालब, चलने लगा नाका
आगर मालवा। आगर तहसील में अब तक 900 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी हैं। सामान्य औसत वर्षा का आंकड़ा पार होते ही शहर व आस-पास के सभी जलाशयों में पर्याप्त पानी इकट्ठा हो चुका हैं। शहर ही नही जिले की प्रमुख जल संरचना बड़ा तालाब पुरा भराने के बाद उसका पानी अब छलकने लगा हैं। बड़े तालाब का चलता नाका देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग तालाब पहुंच रहे ह
आगर मालवा। आगर तहसील में अब तक 900 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी हैं। सामान्य औसत वर्षा का आंकड़ा पार होते ही शहर व आस-पास के सभी जलाशयों में पर्याप्त पानी इकट्ठा हो चुका हैं। शहर ही नही जिले की प्रमुख जल संरचना बड़ा तालाब पुरा भराने के बाद उसका पानी अब छलकने लगा हैं। बड़े तालाब का चलता नाका देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग तालाब पहुंच रहे हैं।गत वर्ष की अपेक्षा इस बार अच्छी बारिश
मानसुन का आरम्भ एक जून से माना जाता हैं तथा 15 अक्टूबर तक मानसुन सक्रिय होने का अनुमान भू-अभिलेख तथा मौसम विभाग लगाता हैं। आप को बातदे कि आगर तहसील में अब तक 900 एमएम अर्थात 35.43 इंच से अधिक बारिश हो चुकी हैं। जबकि गत वर्ष इस दिन तक 650 एमएम बारिश हुई थी। आगर के अलावा बड़ौद में 932, सुसनेर में 747 व नलखेड़ा में सबसे अधिक 1099 एमएम बारिश हो चुकी है। जबकि पुरे आगर मालवा जिले में 916.7 एमएम वर्षा चलने की औसत दर्ज की गई हैं। इस बार गत वर्ष की अपेक्षा अच्छी वर्षा हो रही हैं। गत वर्ष आगर के अलावा नलखेड़ा, सुसनेर, बड़ौद में भी कम हुई थी। गत वर्ष एक जून से 20 अगस्त तक आगर मालवा जिले में 794 एमएम बारिश हुई थी। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार अच्छी बारिश हुई हैं।
करीब एक हजार साल पहले बने एतिहासिक मोती सागर (बड़ा तालाब) जो करीब 400 बीघा में फैला हैं में पानी मापने का कोई यंत्र नही लगा हैं। लेकिन तालाब पर प्रतिदिन जाने वाले जागरूक लोगों ने तालाब में पानी की स्थिति का पता लगाने के लिए एक पाईप हनुमान घाट पर लगा रखा हैं। हनुमान घाट के पास लगा पाईप जब पुरी तरह पानी में डुब जाता हैं तो स्थानीय लोग यह मान कर चलते हैं कि तालाब लबालब हो चुका हैं तथा तालाब का पानी अब नाके के माध्यम से बाहर निकलने लगेगा। आप को बतादे कि जब तालाब में पर्याप्त से अधिक पानी इकट्ठा हो जाता हैं तो भोला की बावड़ी के पास बने पाल के उपर से तालाब का पानी बाहर निकलने लगता हैं। पाल के उपर से बहकर निकलने वाले इस पानी को स्थानीय लोग नाका चलना कहते हैं। विगत दो दिनों से तालाब का पानी पाल के उपर से बाहर आ रहा हैं, तालाब का नाका चलने व लबालब हुए तालाब को देखने के लिए प्रतिदिन महिला, पुरूष व बधों बड़ी संख्या में तालाब पहुंच रहे हैं।