बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?

निजीकरण को बढ़ावा
अर्थव्यवस्था
यह मध्यप्रदेश में पावरलुम उद्योग का केंद्र भी है। विनिर्माण क्षेत्र, इस क्षेत्र में भी प्रचलित है, पाइप और कृषि उपकरण दोनों का निर्माण यहाँ भी किया जाता है। कई कपास और तेल मिल भी हैं।
यह मध्य प्रदेश में केले का सबसे बड़ा उत्पादक है और मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी पेपर मिल भी यही है। यह यूनानी मेडिसिंस का एक बड़ा बाजार है। कपड़ा उद्योग की भारी मांग के लिए बुरहानपुर में बड़े पैमाने पर कपास की खेती की जाती है।
बुरहानपुर में कृषि और बागवानी :- बुरहानपुर एक कृषि प्रमुख क्षेत्र है। बुरहानपुर में कपास की खेती और केले प्रमुख कृषि उत्पाद हैं। अधिकांश किसान इन दो प्रमुख फसलों के उत्पादन में व्यस्त हैं। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में केला का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा सोयाबीन और जौ की अच्छी मात्रा में खेती की जाती है। यहां आने वाली अन्य फसलों में कबूतर मटर, गेहूं, ग्राम, मिर्च, धनिया, आम, नारंगी आदि शामिल हैं।
किसानों की बदहाली तभी दूर होगी, जब वे बाजार अर्थव्यवस्था से जुड़ेंगे
किसानों की बदहाली तभी दूर होगी जब बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? वे बाजार अर्थव्यवस्था से जुड़ेंगे और अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे। मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के जरिये किसानों की बदहाली दूर करने और उन्हें मजदूर बनने से रोकने का कारगर उपाय कर रही है।
रमेश कुमार दुबे। आजादी के बाद खेती-किसानी को देश का आत्मा मानते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन खेती नहीं।’ दुर्भाग्यवश लोकलुभावन नीतियों और वोट बैंक की राजनीति के कारण खेती का इंतजार खत्म नहीं हुआ और वह बदहाली का शिकार बनती गई। आज स्थिति यहां तक आ गई है कि ग्रामीण मजदूरों की आमदनी किसानों से ज्यादा हो गई है। 2012-13 में एक औसत भारतीय किसान परिवार की खेती से होने वाली मासिक आमदनी 3,081 रुपये थी। छह साल बाद अर्थात 2018-19 में यह बढ़कर महज 3,798 रुपये पर पहुंची। बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? दूसरी ओर इन छह वर्षों में मजदूरी से होने वाली कमाई 2,071 रुपये से बढ़कर 4,063 रुपये हो गई। पुराने कृषि कानूनों की ही देन है कि अब किसानों से ज्यादा मजदूरों की संख्या बढ़ रही है।
शेयर बाजार की बढ़ती चमक: शेयर बाजार जुआघर नहीं, अर्थव्यवस्था की बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? चाल को नापने का है आर्थिक बैरोमीटर
हम उम्मीद करें कि कोविड-19 से ध्वस्त देश के उद्योग-कारोबार सेक्टर को पुनर्जीवित करने में शेयर बाजार बहुत प्रभावी भूमिका निभाएगा। निवेशक शेयर बाजार का लाभ लेने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे। इस समय शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।
[ डाॅ. जयंतीलाल भंडारी ]: इस समय दुनियाभर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तस्वीर में भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखाई दे रही है। भारतीय शेयर बाजार का चमकीला परिदृश्य निवेशकों, उद्योग-कारोबार और सरकार, तीनों के लिए लाभप्रद है। पिछले वर्ष 23 मार्च, 2020 को जो बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 25,981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह पांच अगस्त, 2021 को 54,717.24 अंकों के स्तर को छूने में सफल रहा। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों यानी बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? अप्रैल से जुलाई में शेयर बाजार के निवेशकों ने 31 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। इस समय शेयर बाजार में आइपीओ लाने की होड़ मची हुई है। आइपीओ में खुदरा निवेशकों की भागीदारी 25 फीसद बढ़ी है। पिछले वित्त वर्ष में 1.4 करोड़ से ज्यादा डीमैट खाते खुले हैं। देश में डीमैट खातों की संख्या 6.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। यह बात महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से दशक में पहली बार भारत की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से ज्यादा हो गया है। इस लिहाज से बाजार पूंजीकरण और बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? जीडीपी का अनुपात 100 फीसद को पार कर गया है। अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, हांगकांग, कनाडा, आस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में भी यह अनुपात 100 फीसद से अधिक है।
बाजार अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं
बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। अर्थशास्त्र के अनुसार, बाजार एक ऐसी संस्था है बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? जो अपने आर्थिक क्रियाकलापों का अनुसरण करने वाले व्यक्तियों को निर्बाध अंतःक्रिया प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, बाजार व्यवस्थाओं का ऐसा समुच्चय है जहाँ आर्थिक अभिकर्ता मुक्त रूप से अपने धन अथवा अपने उत्पादों का परस्पर निर्बाध आदान-प्रदान कर सकते हैं। बाजार में वस्तुओं को खरीदने तथा उनके विक्रय के लिए व्यक्ति एक-दूसरे से किसी वास्तविक भौतिक स्थल पर मिल भी सकते हैं अथवा नहीं भी । क्रेताओं तथा विक्रेताओं के बीच क्रियाकलाप विभिन्न परिस्थितियों में संभव है, जैसे— गाँव के चौक पर या शहर के सुपर बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? बाजार में अथवा वैकल्पिक रूप से क्रेता और विक्रेता टेलीफोन अथवा इंटरनेट द्वारा भी वस्तुओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
अर्थव्यवस्था की परिभाषा
ए.जे. ब्राउन के अनुसार, ‘‘अर्थव्यवस्था एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा लोग जीविका प्राप्त करते हैं।’’ जिस विधि से मनुष्य जीविका प्राप्त करने का प्रयास करता है वह समय तथा स्थान के सम्बन्ध में भिन्न होती है।
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था:- ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें निजी क्षेत्रों व बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? बाजार की भूमिका प्रभावकारी होती है, आर्थिक गतिविधियों के समस्त निर्णय जैसे कितना उत्पादन किया जाए किसका किया जाए कैसे किया जाए। निजी क्षेत्र द्वारा लिए जाते है दूसरे शब्दों में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था बाजार की शक्तियों अर्थात मांग एवं पूर्ति द्वारा संचालित होती है जिसका एकमात्र उद्देश्य लाभ प्राप्त करना है उदाहरण के लिए अमेरिका, कनाडा, मेक्सिकों की अर्थव्यवस्थाएँ पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है।
2. समाजवादी अर्थव्यवस्था- ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें आर्थिक बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? क्रियाओं का निर्धारण एवं नियंत्रण केन्द्रीय इकाई या राज्य के बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? द्वारा होता है इसीलिए इसे नियंत्रित अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है यहाँ बाजार के कारकों की भूमिका सीमित होती है, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था जहाँ उपभोग एवं उत्पादन का निर्धारण करता है वहीं समाजवादी अर्थव्यवस्था उत्पादन एवं उपभोग का निर्धारण करती है, वहीं दूसरी और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था लाभ से प्रेरित होती है, जबकि समाजवादी अर्थव्यवस्था कल्याणकारी राज्य की संकल्पना पर आधारित होती है उदाहरण के लिए चीन, वियतनाम, उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्थाएँ।