सकल आय मान

मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर 1100 करोड़ र था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ था। - Economics (अर्थशास्त्र)
मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर 1100 करोड़ र था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ है और | राष्ट्रीय आय 850 र है, तो मूल्यह्रास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।
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हमें पता है की
राष्ट्रीय आय = बाजार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कर्क आये - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - मूलयह्रस
∴ 850 = 1,100 + 100 - 150 मूलयह्रस
मूलयह्रस = 1,100 + 100 - 150 - 850
= 1,200 - 1,000 = 200 करोड़ रु
सकल कुल आय और कुल आय में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंकिसी देश की उत्पादन व्यवस्था से अंतिम उपभोक्ता के हाथों में जाने वाली वस्तुओं या देश के पूँजीगत साधनों के विशुद्ध जोड़ को ही राष्ट्रीय आय कहते हैं। किसी देश के नागरिकों का सकल घरेलू एवं विदेशी आउटपुट सकल राष्ट्रीय आय कहलाता है। समस्या – वाही पर लागु हो सकता था , जहाँ उत्पादक कारक ज्ञान है .
आयकर गणना कैसे करें?
इसे सुनेंरोकेंकैसे करें आयकर (Income Tax) की गणना? वेतन से होने वाली आय में बेसिक वेतन+एचआरए+स्पेशल भत्ता+परिवहन भत्ता+अन्य भत्ते शामिल होते हैं। वेतन में मिलने वाले कुछ भत्ते आयकर में शामिल नहीं होते हैं, जैसे कि टेलीफोन का बिल, एलटीए आदि। अगर आप एचआरए लेते हैं और किराये पर रहते हैं, तो फिर एचआरए में छूट पा सकते हैं।
कृषि आय की गणना कैसे करेंगे?
इसे सुनेंरोकेंकर देयता की गणना करने का सूत्र कर योग्य आय पर पहुंचने के लिए, किसान को पहले कृषि आय को कुल आय में से घटा देना चाहिए। मान लीजिए, एक किसान, जिसकी आयु ५० वर्ष है, एक वर्ष में आय के रूप में ५ लाख रुपये कमाता है। इसमें से 40,000 रुपये कृषि आय है, जबकि शेष राशि गैर-कृषि आय है।
गत वर्ष तथा कर निर्धारण वर्ष में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंचूंकि किसी वर्ष की आय पर आयकर का निर्धारण वर्ष समाप्ति के पश्चात अगले वर्ष किया जाता है अतः अगले वर्ष को कर निर्धारण वर्ष कहा जाता है। इसलिये जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है उस वर्ष को गतवर्ष के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रीय आय क्या है इसकी गणना कैसे की जाती है?
इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय आय से आशय किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित होने वाली समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के जोड़ से है जिसे हृास को घटाकर एवं विदेशी लाभ को जोड़कर निकाला जाता है। राष्ट्रीय आय एक दिए हुए समय में किसी अर्थव्यवस्था की उत्पादन शक्ति को मापती है।
इसे सुनेंरोकेंसकल कुल आय किसी एक व्यक्ति की कुल आय होती है, जो ऊपर उल्लिखित आय के स्रोतों के जुड़ने के बाद आती है जबकि कुल आय किसी निर्धारित की उस आय को संदर्भित करती है, जिस उसकी देयता की गणना की जाती है। सकल कुल आय में कटौती करने से पहले आयकर नहीं लगता जबकि कुल आय में कटौती करने के बाद आय पर कर लगता है।
गृह संपत्ति से कर योग्य आय की गणना में वार्षिक मूल्य से कितनी कटौती की अनुमति है हिंदी में?
इसे सुनेंरोकेंशुद्ध वार्षिक मूल्य का 30% कम करें के तहत कटौती के लिए शुद्ध वार्षिक मूल्य पर लगभग 30 प्रतिशत की अनुमति हैधारा 24 आयकर अधिनियम के।
कौन सा कारक गृह संपत्ति का वार्षिक मूल्य निर्धारित करता है?
इसे सुनेंरोकेंयदि होम लोन सकल आय मान के ब्याज का भुगतान किया जा रहा है, तो स्वयं अधिमत संपत्ति का वार्षिक मूल्य शून्य या नेगटिव होता है। अगर आप संपत्ति किराए पर देते हैं, तो आप जो किराया कमाते हैं तो वह आपका सकल वार्षिक मूल्य है। एक समान स्थान का उचित किराया किराए पर ली गई संपत्ति के लिए आपका सकल वार्षिक मूल्य है।
राष्ट्रीय आय का लेखांकन
मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रु० था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रु० था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रु० और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रु० है, तो मूल्यहास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।
हमें पता हैं कि
राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - मूल्यह्रास
∴ 850 = 1,सकल आय मान 100 + 100 - 150 - मूल्यह्रास
मूल्यह्रास = 1,100 + 100 - 150 - 850
= 1,200 - 1,000 = 200 करोड़ रु०
तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?
NVAFC(NDPFC) = सकल उत्पाद - मध्यवर्ती उपभोग - मूल्यह्रास - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
GDP = ∑ i = 1 सकल आय मान N GVA i
प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतना ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतना ही अंतिम व्यय होगा।
i.e. राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय व्यय
उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?
उत्पादन के चार कारक और उनके पारिश्रमिक निम्नलिखित हैं :
उत्पादन के कारक | पारिश्रमिक |
(i) सकल आय मान भूमि | किराया |
(ii) श्रम | मज़दूरी |
(iii) पूँजी | ब्याज |
(iv)उद्यम | लाभ |
बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रु० था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रु० थी। उस देश के बजटीय घाटे का सकल आय मान परिमाण क्या था?
बजटीय घाटा: कर द्वारा अर्जित आय की अपेक्षा सरकारी व्यय जितने अधिक होते हैं, उसे 'बजटीय घाटा' के रूप में सूचित किया जाता है।
व्यापार घाटा: एक देश द्वारा अर्जित निर्यात आय की अपेक्षा अति-रिक्त आयत व्यय की मात्रा व्यापर घाटा कहलाता हैं।बजटीय घाटा = सरकारी व्यय - सरकारी प्राप्तियाँ
व्यापार घाटा = आयत (M) - निर्यात (X)
और
व्यापार घाटा = निवेश (I) - बजत (S)
इस प्रकार,
M - X = (I - S) + (G - T)
= 2,000 + 1,500 = 3,500 करोड़ रूपए
∴ व्यापार घाटा = 3,500 करोड़ रूपए
नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अंतर है? किसी फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।
नियोजित माल: सकल आय मान इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से हैं, जो नियोजित ढंग से होता है। नियोजित माल समावेश की स्थिति में फर्म को अपना माल बढ़ाने के लिए योजना करनी होगी।
अनियोजित माल: इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से है, जो बिना किसी अपेक्षा के हो जाता है। अनियोजित माल समावेश की स्थिति में विक्रय में अनपेक्षित कमी होने के कारण फर्म को बिना बिका माल संग्रहित करना पड़ेगा।
फर्म के सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा उत्पादित माल का सकल मूल्य (Q) - फर्म द्वारा उपयोग की गई मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य (Z)
अथवा
सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा विक्रय का मूल्य (V) + स्टॉक में परिवर्तन (A) - (Z)।
प्रभावी सकल आय (ईजीआई)
खैर, अपनी संपत्ति से कुल किराए को 12 से गुणा करने से काम नहीं चलेगा। सटीक पता लगाने के लिएआय, आपको प्रभावी सकल की गणना करने की आवश्यकता हैआय. यह आपकी संपत्ति पर रखरखाव शुल्क, कर और अन्य मासिक खर्चों में कटौती के बाद सटीक मासिक किराए का पता लगाने में आपकी सहायता करता है।
सरल शब्दों में, प्रभावी सकल आय, रिक्ति भत्ते को छोड़कर, आपकी विभिन्न किराये की सकल आय मान संपत्तियों से आपकी वार्षिक आय को संदर्भित करती है। जब आप अपनी संपत्ति बेचते हैं तो आपको ईजीआई की गणना करनी होगी। आइए एक उदाहरण के साथ अवधारणा को समझते हैं।
प्रभावी सकल आय उदाहरण
मान लीजिए कि आप एक निवेश संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे हैं जिसमें कुल 10 अपार्टमेंट हैं। प्रत्येक अपार्टमेंट का किराया $1000 है। अब रेंट को 10 से गुणा करने पर आपको $10 मिलते हैं,000.
तो, इस संपत्ति से आपकी वार्षिक किराये की आय $120,000 होगी। यह आपकी संभावित सकल आय है। मूल रूप से, आप इस 10-अपार्टमेंट संपत्ति से $120,000 कमाएंगे, यह देखते हुए कि सभी अपार्टमेंट पूरे वर्ष भर में रहते हैं।
हालांकि, नहींइन्वेस्टर सकल संभावित आय पर निर्भर हो सकता है। आपको रिक्ति को भी ध्यान में रखना होगा। उदाहरण के लिए, वर्तमानरिक्ति दर संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 10% है। यदि हम इस रिक्ति दर को ध्यान में रखते हैं, तो आपके पास 10 अपार्टमेंटों में से कम से कम एक अपार्टमेंट खाली होगा।
अब, यदि आप प्रति अपार्टमेंट कुल किराये की आय को 9 इकाइयों से गुणा करते हैं, तो आपको $9,000 मिलते हैं। इसका मतलब है कि किराए से आपकी वार्षिक सकल आय $106,000 है। यह आपकी प्रभावी सकल आय है। आप इसे तब बेहतर ढंग से समझ पाएंगे जब आप वर्षों से निवेश संपत्ति के मालिक होंगे और सालाना प्रभावी सकल आय की गणना करेंगे।
ईजीआई का महत्व
संपत्ति खरीदने से पहले प्रभावी सकल आय को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। यहां तक कि निवेशक जो कुल अपार्टमेंट से किराये की आय का 100% अर्जित करने का प्रबंधन करते हैं, कुल लागत से रिक्ति आय घटाते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, कोई भी अपार्टमेंट पूरे वर्ष के लिए किराए पर नहीं लिया जाता है।
रिक्ति लागत कुल अवधि की भविष्यवाणी है जो भूमि मालिक अपने अपार्टमेंट में किरायेदार के बिना होगा। अब, पहलेनिवेश एक संपत्ति में, आपको इसकी प्रभावी सकल आय जानने की जरूरत है। बेशक, आपके पास कुछ बिंदु पर खाली अपार्टमेंट होने जा रहे हैं। तो, आप ईजीआई की गणना एक मानक रिक्ति दर के साथ कर सकते हैं, जो कि 7 से 10 प्रतिशत के बीच है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आपकी संपत्ति से किराया और आय बढ़ाने के कई तरीके हैं। यहां हम अतिरिक्त अपार्टमेंट बनाने या किराया बढ़ाने की बात नहीं कर रहे हैं। आप कुछ उन्नत सिस्टम जोड़ सकते हैं और मासिक किराया बढ़ाने के लिए अपनी संपत्ति की सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।
आप अपनी किराये की आय बढ़ाने के लिए कुछ ऐड-ऑन भी दे सकते हैं। ये ऐड-ऑन पार्किंग परमिट, लॉन्ड्री, इंटरनेट सेवाएं, पालतू जानवरों की फीस, वेंडिंग मशीन, किराये के फर्नीचर सेट आदि हो सकते हैं।
सकल कुल आय सकल आय मान एवं कुल आय (Gross Total Income & Total Income)
विभिन्न व्यक्तियों एवं संस्थाओं को विभिन्न स्रोतों से आय प्राप्त होती है । उन आय के स्रोतों को आयकर की भाषा में आय के शीर्ष भी कहा जाता है । यदि आय के शीर्षों की बात की जाय तो कुल 5 आय के शीर्ष होते हैं।
जब किसी भी संस्था या व्यक्ति के आयों की गणना की जाती है तो उपरोक्त सभी शीर्षकों के अंतर्गत कर योग्य आय की गणना भारतीय आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की जाती है। जब कर योग्य आय की गणना भलीभाँति कर ली जाती है तो सभी आयों का योग किया जाता है या जोड़ा जाता है । आय के इसी योग या जोड़ को ही सकल कुल आय कहा जाता है ।
इस कुल आय की विशेषता यह है कि इसमें से आयकर अधिनियम की धारा 80C से लेकर 80U तक की कटौतियाँ नहीं की गई होती हैं।
यदि किसी करदाता की आय सभी शीर्षकों से नहीं आती है, बल्कि कुछ शीर्षकों से ही आती है तो उसी को सकल कुल आय मान लिया जाता है।
कुल आय (Total Income)
कुल आय, सकल कुल आय में से आयकर अधिनियम की धारा 80C से लेकर 80U तक की कटौतियों को घटाने के उपरांत प्राप्त होती है।
जब किसी भी संस्था या व्यक्ति की कुल आय की गणना की जाती है तो सबसे पहले उसके आय के सभी शीर्षों के हिसाब से सकल कुल आय की गणना की जाती है। जब सकल कुल आय की गणना कर ली जाती है तो उसमें से धारा 80C से लेकर 80U तक की कटौतियों को घटा दिया जाता है । इन धाराओं के अंतर्गत कटौतियों के बाद आयकर के लिए जो राशि बचती है उसे कुल आय कहा जाता है।
आयकर की गणना इसी आय (कुल आय) पर की जाती है। आयकर के लिए कुल आय को धारा 288A के अनुसार ₹10 के निकटतम गणक (in multiple of ₹10) तक पूर्ण (round - off) किया जायेगा।