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ETFs के प्रकार

ETFs के प्रकार

ETF क्या है?

ETF की इकाइयां मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के पंजीकृत ब्रोकर के ज़रिये खरीदी और बेची जाती हैं| ETF की इकाइयां स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं बाज़ारों की गति और रुझान के चलते NAV में बदलाव दिखता है| चूंकि ETF की इकाइयां सिर्फ स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं, किसी सामान्य खुले सिरे वाली इक्विटी फंड की तरह खरीदी बेची नहीं जा सकती| एक निवेशक जितना चाहे इकाइयां खरीद ले और उसपर एक्सचेंज की तरफ से कोई पाबंदी नहीं होती है|

सरल शब्दों में, ETF वो फंड है जो CNXNifty या BSE Sensex आदि के सूचकांक (इंडेक्स) पर नज़र रखते हैं| जब आप शेयर/ETF की इकाई खरीदते हैं, आप उस पोर्टफोलियो के शेयर/इकाई खरीद रहे हैं जो अपने मूल सूचकांक की प्राप्ति और लाभ पर नज़र रखे हुए है| ETFs और दूसरे ETFs के प्रकार किस्म की सूचकांक फंड में मुख्यतःजो फर्क है वो यह कि ETFs अपने सदृश सूचकांक को मात देने की कोशिश नहीं करते, उसके प्रदर्शन को दोहराते मात्र हैं| वो बाज़ार को पराजित करने की कोशिश नहीं करते, वो बाज़ार बनने की कोशिश करते हैं|

ETFs आम तौर पर म्यूच्यूअल फंड्स के बनिस्बत उच्च दैनिक तरलता और कम शुल्क लिए होते हैं, जो वैयक्तिक निवेशक के लिए आकर्षक विकल्प प्रस्तुत करते हैं|

ETF क्या होते हैं | ETF के प्रकार

21 वीं सदी में स्टॉक मार्केट में बहुत से निवेश के विकल्प मौजूद हैं। ETF भी उन्हीं निवेश के विकल्पों में से एक हैं। आपने भी ETF का नाम अवश्य सुना होगा, परन्तु क्या आप जानते हैं की ETF क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं? इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि ETF क्या होते हैं What is ETF और ETF के प्रकार (Types of ETF’s) .

ETF क्या होता हैं – What is ETF in Hindi

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भारत का पहला ETF फण्ड वर्ष 2001 में बेंच मार्क Mutual Fund द्वारा Nifty ETF Fund के रूप में लांच किया गया था। ETF menaing ETF यानि Exchange Traded Funds.

ETF जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा है, ETF एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं जैसे कि NSE, BSE. इसका मतलब हुआ कि Exchange पर ETF खरीदने-बेचने के लिए एक Buyer और seller होना आवश्यक है। ETF के खरीदने और बेचने का तरीका बिलकुल Shares जैसा ही होता हैं।

अधिकतर ETF फंड Passive funds होते हैं, यानी कि फंड मैनेजर द्वारा एक्टिवली मैनेज नहीं किए जाते है , निवेशकों का पैसा सीधा किसी index, sector में लगा दिया जाता हैं। इस प्रकार ETF इंडेक्स फंड की भांति होता है जिसमें Stocks चुनने नहीं होते हैं बल्कि पूरी एसेट किसी इंडेक्स या सेक्टर में लगा दी जाती हैं। जैसे फार्मा सेक्टर, निफ़्टी, बैंक निफ़्टी आदि।

  • ETF एक प्रकार से एक सिक्योरिटी होता है जिसमें stocks, securities का कलेक्शन होता है जो किसी विशेष index या सेक्टर के होते हैं।
  • ETF बिल्कुल म्यूचुअल फंड के समान ही होते हैं, हालांकि यह एक्सचेंज पर दिनभर ट्रेड करते हैं और इनका मूल्य लगातार घटता-बढ़ता रहता है।
  • किसी ETF में कई प्रकार की इन्वेस्टमेंट हो सकती है जैसे Stocks, Bonds, Commodities. Passive Funds होने के कारण इनमे बहुत कम एक्सपेंस रेशों होता है, जो इनके रिटर्न्स को ओर बढ़ा देते हैं।

ETF पर कितना Tax लगता हैं ?

ETF पर मिलने वाला Dividend वित्त वर्ष 2020-21 से निवेशक की वार्षिक आय में जुड़ जायेगा और उनकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार से टैक्सेबल होता हैं।

More than 12 months – 10%

1 लाख से ज्यादा पर LTCG

More than 36 months

ETF की लिस्टिंग

ETF को म्यूच्यूअल फंड की भांति NFO (New Fund Offer) के माध्यम से लांच किया जाता है। आप इसे IPO की तरह भी समझ सकते हैं। शुरुवाती दौर में नए ETF के लिए निवेशकों से पैसे जुटाए जाते हैं। बाद में इसकी खरीद-बिक्री एक्सचेंज के माध्यम से प्रारंभ हो जाती है। इसे आप अपने Stock Broker के माध्यम से खरीद-बेच सकते हैं।

ETF का वैल्यूएशन

Mutual Fund की वैल्यू ट्रेडिंग डे के अंत पर NAV के आधार पर निकाली जाती है परंतु ETF के मामले में ऐसा नहीं हैं। ETF का मूल्य ट्रेडिंग सेशन के दौरान एक शेयर की भांति लगातार बदलता रहता हैं।

ETF कैसे ख़रीदे

आप ETP अपने Stock Broker के माध्यम से ख़रीद सकते हैं। आप सीधा अपने ब्रोकर से सम्पर्क करके या उनके ऑनलाइन ट्रेडिंग टर्मिनल जैसे की उनका ऐप प्रयोग में लेकर भी ETF खरीद सकते हैं।

ETF के प्रकार – Types of ETF

वर्तमान में निवेशकों की जरूरतों एवं लक्ष्यों के हिसाब से बहुत सी ETF Schemes उपलब्ध है। आपको Index, Gold, Currency से सम्बंधित ETF मिल जायेंगे। आप उनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से ETF का चुनाव कर सकते हैं।

एक ETF स्टॉक्स, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट, बांड्स, करेंसी और सिक्योरिटीज से मिलकर बना हो सकता हैं।

1. Index Fund ETF

आपने इंडेक्स फंड का नाम तो सुना ही होगा उसी का मिलता-जुलता रूप है Index Fund ETF. इंडेक्स फंड ईटीएफ एक Passively मैनेज फण्ड होता है जो किसी विशेष इंडेक्स को फॉलो करता है। जैसे NIFTY 50 भारत की सबसे बड़ी 50 कंपनियों से मिलकर बना है, अब यदि कोई NIFTY 50 का कोई ETF है तो वह ETF उन्हीं 50 शेयर्स के पूल से मिलकर बना होगा।

Index Fund ETF का मुख्य उद्देश्य किसी विशेष इंडेक्स की परफॉर्मेंस को ट्रैक करना होता है जैसे सेंसेक्स, बैंक निफ़्टी, निफ़्टी 50 . सरल भाषा में समझे तो यदि आप बैंक निफ़्टी का कोई ETF खरीद रहे हो तो इसका मतलब हुआ कि आप बैंक निफ़्टी के Stocks के पूल में निवेश कर रहे हैं।

Index Fund ETF के उदाहरण – Motilal Oswal Nasdaq 100, Nippon India ETF Bank BeES

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2. Bond ETF

BOND ETF भी एक तरह से Bond mutual fund की तरह होते हैं। Bond ETF का पोर्टफोलियो बांड्स से मिलकर बना होता है। इसमें Fixed income securities होती है जैसे की कॉर्पोरेट बांड्स। आप अगर Bond ETF में निवेश कर रहे हैं तो आपको Bonds के interest rate पर अवश्य ध्यान रखना चाहिए। कम ब्याज दर होने पर आपको इस प्रकार के फंड्स से दूर रहना चाहिए।

एक्सचेंज पर एक स्टॉक जैसे ट्रेड होने की वजह से Bonds के ऊपर एक आम निवेशक द्वारा आसानी से निवेश किया जा सकता है।

Bond ETF के उदाहरण – LIC Nomura AMC

3. Gold ETF

Gold ETF मुख्यतः Gold Bullion में निवेश करते हैं। Gold ETF का मूल्य गोल्ड के मूल्य के अनुसार ही ऊपर-नीचे होता रहता है। Gold ETF निवेशकों को आसानी से गोल्ड में निवेश का विकल्प प्रदान करता है, जो आसानी से NSE – BSE पर खरीदा एवं बेचा जा सकता है। जब आप Gold ETF खरीदते हो इसका मतलब है कि आपने गोल्ड को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में खरीदा है।

Gold ETF के उदाहरण – Nippon Gold ETF, SBI Gold ETF

4. Sector ETF

यह ETF सेक्टर फंड की तरह होते हैं। Sector ETF किसी विशेष सेक्टर या इंडस्ट्री के स्टॉक व सिक्योरिटी से मिलकर बना होता है, जैसे ऑटो सेक्टर, फार्मा सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर आदि। किसी विशेष सेक्टर में तेजी का फायदा उठाने के लिए Sector ETF ख़रीदे जा सकते हैं।

Sector ETF के उदाहरण – Nippon India ETF Bank BeES

5. Currency ETF

Currency ETF वह ETF होते हैं जो निवेशकों को किसी फॉरेन करेंसी या करेंसी के पुल में निवेश ऑफर करते हैं। Currency ETF अपने निवेशकों को करेंसी में निवेश का विकल्प प्रदान करती है, वह भी बिना किसी विशेष करेंसी में निवेश किये। Currency ETF को भी Passively मैनेज किया जाता है। इस प्रकार के ETF में करेंसी मूवमेंट के द्वारा मुनाफा कमाया जाता है।

6. Real State ETF

Real State ETF अपनी Assets को REIT (Real estate investment Trust) और उनसे सम्बंधित Derivatives में निवेश करते हैं। Returns के हिसाब से Real State ETF बहुत ही आकर्षक होते हैं।

दोस्तों, आपने यहां समझा की ETF क्या होते हैं (What is ETF) और Types ETFs के प्रकार of ETF. अगर आपको ETF से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs)

ETF शब्द ने पिछले दशक में न केवल विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, बल्कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। हालांकि, अभी भी बहुत सारी अस्पष्टता है कि ETF कैसे काम करते हैं या उनमें चयन या निवेश के बारे में कैसे जाना जाता है। इस लेख में, हम ETF की मूल बातें कवर करते हैं और उनके फायदे और नुकसान को भी उजागर करते हैं।

ETF क्या हैं:

ETF या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड ETFs के प्रकार म्यूचुअल फंड की तरह हैं। ETF और म्यूचुअल फंड दोनों विभिन्न निवेशकों से निवेश का एक पूल का उपयोग करते हैं, कई अलग-अलग परिसंपत्तियों का मिश्रण खरीदने के लिए और निवेशकों के लिए विविधता लाने के लिए एक सामान्य तरीके का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ETF आम तौर पर प्रतिभूतियों की एक टोकरी होती है जो किसी विशेष सूचकांक, कमोडिटी या परिसंपत्तियों के पूल के प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करती है। हालांकि, एक ETF को सक्रिय रूप से प्रबंधित किया जा सकता है, लेकिन बहुत कम ETF सक्रिय रूप से विश्व स्तर पर प्रबंधित किए जाते हैं। सक्रिय प्रबंधन का तात्पर्य है कि वित्तीय विशेषज्ञ या फंड प्रबंधन टीम है जो अपने या अपने स्वयं के विश्लेषण द्वारा शेयरों या ओवरवैल्यूड (जो वर्तमान में उनकी वास्तविक कीमतों से अधिक / कम है) स्टॉक का निर्धारण करके बाजार या बेंचमार्क को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय कॉल लेता है एक विशेष शुल्क (जैसे कमीशन)। निष्क्रिय प्रबंधन केवल एक विशेष सूचकांक को ट्रैक करता है और पोर्टफोलियो बनाने में कोई सक्रिय प्रबंधन शामिल नहीं है।

ETF और म्युचुअल फंड के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि वे किस तरह से कारोबार करते हैं। जहां एक ओर म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC ) से बेचा या खरीदा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर ETF को शेयर बाजार में शेयरों की तरह कारोबार किया जाता है।

यह प्राथमिक अंतर ETF और म्यूचुअल फंड के बीच एक और महत्वपूर्ण अंतर है - मूल्य निर्धारण। चूंकि ETF किसी भी समय स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदे और बेचे जा सकते हैं, जब बाजार व्यापार के लिए खुले होते हैं, तो उनकी कीमत गतिशील होती है और ट्रेडिंग दिवस के माध्यम से बदल जाती है। दूसरी ओर, प्रत्येक यूनिट के एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) के आधार पर, म्यूचुअल फंड मूल्य निर्धारित किया जाता है।

चूंकि ETF को एक्सचेंज में कारोबार किया जाता है, काउंटर पार्टी एक और निवेशक है जो विपरीत व्यापार को लेना चाहता है। हालांकि, म्यूचुअल फंड के मामले में, काउंटर पार्टी म्यूचुअल फंड हाउस या AMC है।

इस तथ्य को देखते हुए कि ETF आमतौर पर निष्क्रिय रूप से प्रबंधित होते हैं, इन पर शुल्क या व्यय अनुपात अपेक्षाकृत कम है। हालांकि, इन पर व्यापार करने से ब्रोकरेज लागत मिलती है।

ETF और म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर

ETFs के प्रकार:

● इक्विटी ETF - इक्विटी ETF वे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड हैं, जो या तो व्यापक और अधिक विविध बाजार सूचकांक (जैसे निफ्टी 50 या सेंसेक्स) या एक विशिष्ट क्षेत्र सूचकांक (बैंकिंग या आईटी, आदि) को दोहराने की कोशिश करते हैं। पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए इस प्रकार का निवेश एक सस्ता तरीका है।

● बॉन्ड / फिक्स्ड इनकम ETF - फिक्स्ड इनकम ETF (बॉन्ड ETFs के प्रकार और बॉन्ड ETF) ETF हैं जो फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। एक निश्चित आय ETF का हालिया उदाहरण भारत बॉन्ड ETF है जो सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करता है। आय के स्थिर स्रोत प्रदान करते हुए समग्र आय में कमी लाने के लिए फिक्स्ड इनकम ETF को एक के पोर्टफोलियो का हिस्सा बनने की सलाह दी जाती है।
● कमोडिटी ETF - ये ETF विभिन्न परिसंपत्तियों में अपनी संपत्ति का निवेश करते हैं। ETF निवेश के लिए सबसे लोकप्रिय वस्तु सोना है। कमोडिटी निवेश समग्र पोर्टफोलियो को एक अच्छा विविधीकरण प्रदान कर सकता है, क्योंकि वस्तुओं में आमतौर पर इक्विटी और बॉन्ड के साथ नकारात्मक सहसंबंध होता है। गोल्ड ETF मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में भी काम कर सकता है।

● मुद्रा ETF - हालांकि भारत में बहुत लोकप्रिय नहीं है, मुद्रा ETF विकसित बाजारों में उचित बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा करते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, ये ETF एक मुद्रा में निवेश करते हैं। एक मुद्रा ETF में निवेश दोनों सट्टेबाजी के साथ-साथ किसी विशेष मुद्रा में भविष्य के दायित्वों के लिए हेजिंग लाभ प्रदान करता है।

● अन्य - कुछ और प्रकार के ETF हैं जो वास्तव में लोकप्रियता के मामले में दूर नहीं हुए हैं, जैसे कि रियल एस्टेट ETF और विशेष निधि।

ETF के लाभ और नुकसान:

ETF में निवेश के फायदे निम्नलिखित हैं:

कम लागत: लागत बचत के संदर्भ में, ETF एक प्रमुख भूमिका निभाता है क्योंकि यह निष्क्रिय रूप से प्रबंधित है, और प्रबंधन शुल्क या अन्य संबंधित लागत के संबंध में शामिल लागत सक्रिय म्यूचुअल फंड की तुलना में बहुत कम है। हालांकि, ETF की खरीद या बिक्री पर ब्रोकरेज को ध्यान में रखना चाहिए।

लचीलापन: ETF की कीमतें पूरे दिन ट्रेड करती हैं जो निवेशकों को शानदार लचीलापन और तरलता प्रदान करता है।

लाभांश: आमतौर पर, म्यूचुअल फंड में लाभांश को आगे के रिटर्न के लिए पुनर्निवेशित किया जाता है लेकिन ETF में लाभांश आमतौर पर निवेशक के लिए नकदी प्रवाह बन जाता है।

ETF में निवेश करने के नुकसान निम्नलिखित हैं:

डीमैट खाता: द्वितीयक बाजारों में व्यापार करने के लिए, चाहे वह स्टॉक में हो या ETF में, किसी को डीमैट खाता रखने की आवश्यकता होती है। म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में डीमैट खाता खोलने की बाध्यता नहीं है।

लिक्विडिटी रिस्क: भले ही ETF का कारोबार दिन के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन अगर कोई काउंटर पार्टी उपलब्ध है तो ETF यूनिट खरीद या बेच सकता है। म्यूचुअल फंड के मामले में, AMC प्रतिपक्ष है और इसलिए इस सीमा तक कोई जोखिम शामिल नहीं है।

लेन-देन की लागत: तरलता जोखिम के बारे में पहले का बिंदु उच्च लेनदेन लागत की ओर जाता है। चूंकि भारत में ETF पर वॉल्यूम अभी भी कम है, इसलिए खरीदारों और विक्रेताओं की अनुपस्थिति उच्च बोली-पूछ फैलता है। यह ETF को व्यापार करने योग्य बनाता है।

कोई अल्फा नहीं: बाजार में रिटर्न पाने के इच्छुक निवेशकों के लिए ETF सबसे पसंदीदा उत्पाद नहीं है क्योंकि वे केवल सूचकांक को दोहराते हैं।

निष्कर्ष

भले ही ईटीएफ के कई अलग-अलग फायदे हैं, फिर भी वे भारत में निवेश के लिए पसंदीदा वाहन नहीं हैं। यह बहुत कम कारोबार की मात्रा और निवेशक समुदाय के भीतर ज्ञान की कमी के कारण है। ईटीएफ में निवेश पर विचार करने से पहले बोली-पूछना स्प्रेड के संदर्भ में शामिल उच्च लेनदेन लागतों पर विचार करना चाहिए। यदि कोई निवेशक औसत बाजार रिटर्न की मांग कर रहा है, तो वे कम लागत सूचकांक फंडों पर विचार कर सकते हैं क्योंकि वे उचित लागत पर अच्छी तरलता और कम जोखिम प्रदान करते हैं।

Investment Tips: जानिए कितने तरह के होते हैं ETFs, आपको किस ऑप्शन में मिल सकता है बढ़िया रिटर्न

Investment Tips: आज के समय में लोग नए-नए इंस्ट्रुमेंट्स में इंवेस्ट कर रहे हैं. इनमें एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) भी शामिल है. Ventura Securities Ltd के डायरेक्टर Juzer Gabajiwala ने ETFs के प्रकार बताया कि ETFs इंवेस्टमेंट का इंस्ट्रुमेंट है और इसमें अब लोग रुचि दिखाने लगे हैं. आइए जानते हैं कि ईटीएफ कितने तरह के होते हैं.

ETF

ETFs करीब एक दशक से ज्यादा समय से हैं और वैश्विक स्तर पर वे काफी पॉपुलर हैं. पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. भारत में अधिकतर ETFs का वर्गीकरण पोर्टफोलियो में निहित एसेट्स के आधार पर होता है; कुछ निफ्टी और सेंसेक्स पर आधारित होते हैं जबकि कुछ उनके वेरिएंट्स होते हैं.

1. इक्विटी ईटीएफ (Equity ETFs)

मौजूदा समय में इक्विटी ईटीएफ सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं. इसकी वजह ये है कि वे आम तौर पर निफ्टी 50 और उसके अन्य वैरिएंट्स को ट्रैक करते हैं. कछ उदाहरण इस प्रकार हैंः DSP Nifty 50 ETF, ICICI Pru Nifty 100 ETF, Nippon India ETF Nifty Midcap 150, Motilal Oswal Midcap 100 ETF, और Aditya BSL Nifty Next 50 ETF. इस समय कुल 89 इक्विटी ईटीएफ स्कीम इंवेस्टमेंट के लिए अवेलेबल हैं और Nippon India ETF Nifty BeES सबसे पुराना ईटीएफ है.

2. बॉन्ड ईटीएफ (Bond ETF)
बॉन्ड ईटीएफ के तहत डिबेंचर और सरकारी बॉन्ड जैसे फिक्स इनकम इंस्ट्रुमेंट में एक्सपोजर देखने को मिलता है. बॉन्ड ईटीएफ में स्टॉक इंवेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी और म्यूचुअल फंड्स की सहजता के साथ डेट इंवेस्टमेंट के फायदे में मिलते हैं. सरकारी सिक्योरिटीज और निफ्टी भारत बॉन्ड इसके उदाहरण हैं. कुल 13 बॉन्ड ईटीएफ हैं, जिनमें Nippon India ETF Liquid BeES सबसे पुराना है. दिसंबर 2021 में भारत बॉन्ड ईटीएफ इन अप्रैल 2032 के लॉन्च के साथ अब तक भारत बॉन्ड ईटीएफ की पांचवीं किस्त लॉन्च की जा चुकी है.

3. कमोडिटी ईटीएफ
भारत में अभी गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ अवेलेबल हैं. ये ईटीएफ इन धातुओं की मौजूदा कीमतों को दिखाते हैं. भारतीय बाजार में निवेश के लिए अभी किसी अन्य कमोडिटी का ईटीएफ उपलब्ध नहीं है. अभी इन दोनों कमोडिटी से जुड़े 12 ETFs Schemes मौजूद हैं. इनमें Nippon India ETF Gold BeES सबसे पुरानी ईटीएफ स्कीम है. गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को मूल्यवान धातु में फिजिकल गोल्ड की तुलना में डिजिटल फॉर्मेट में निवेश का मौका उपलब्ध कराते हैं. गोल्ड ईटीएफ में मार्केट में सोने के दाम को ट्रैक किया जाता है.

4. सेक्टोरल/ थीमैटिक ईटीएफ
सेक्टोरल या थीमैटिक ईटीएफ वह होता है, जिसमें एक खास सेक्टर में निवेश किया जाता है. इसका रिटर्न उस खास सेक्टर के परफॉर्मेंस को दिखाता है. Kotak IT ETF, ICICI Prudential Nifty Auto ETF, Axis Banking ETF, SBI ETF Consumption, और Aditya BSL Nifty Healthcare ETF इस तरह के ईटीएफ के कुछ उदाहरण हैं. ये इक्विटी ईटीएफ से अलग होते हैं, जिनके बारे में पहले बात हो चुकी है.

5. इंटरनेशनल ईटीएफ
इंटरनेशनल ईटीएफ के तहत इंवेस्टर्स को सीधे विदेशी कंपनियों में इंवेस्ट करने का मौका मिलता है. यह ग्लोबल मार्केट के इंडेक्स या किसी भी अन्य देश के इंडेक्स को दिखाता है. इस तरह के ईटीएफ के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैंः MOSL NASDAQ 100, HDFC World Index Fund, और Mirae Asset NYSE FANG+ETF.

कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान

ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प

इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंट . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 15, 2022, 13:46 IST

नई दिल्ली. अगर आप लंबे समय के निवेश में बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प हो सकता है. ETF शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं और शेयर की तरह ही इनकी खरीद बिक्री होती है. इसमें एक म्यूचुअल फंड की तरह एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए इसे एक निष्क्रिय इक्विटी इन्वेस्टमेंट माना जाता है.

मार्केट में कई प्रकार के है ETF
इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF.

निवेश का तरीका
ETF को शेयरों की तरह स्टॉक मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है. ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है. एक ETF की कीमत रीयल टाइम में घट या बढ़ सकती है. यह एक म्यूचुअल फंड के यूनिट की कीमत के विपरीत होता है, जिसे सिर्फ एक ट्रेडिंग सेशन के अंत में तय किया जाता है.

निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को

>> ETF को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
>> ETF की लिक्विडिटी से ETFs के प्रकार निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी.
>> आमतौर पर ETF के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए.
>> किसी भी ETF को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0 2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
>> किसी ETF का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.

नॉन इक्विटी ETF जैसे गोल्ड और इंटरनैशनल ETFs में 3 साल से कम समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है, जबकि 3 साल से ज्यादा समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है. नॉन इक्विटी ETFs के STCG पर मामूली दर से टैक्स लगता है. नॉन इक्विटी ETF के LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.

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