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पारदर्शी और उचित व्यापार

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पारदर्शी और उचित व्यापार

सीमा मुद्दा संपूर्ण चीन-भारत संबंध नहीं है : चीनी विदेश मंत्रालय

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने 31 मई को एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन हमेशा से यह मानता रहा है कि सीमा मुद्दा संपूर्ण चीन-भारत संबंध नहीं है।

भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका अब भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में चीन से आगे निकल गया है। चाओ लीच्येन ने चीन-भारत संबंधों में सुधार होगा या नहीं, इसका जवाब देते हुए उपरोक्त टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि चीन के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1 खरब 25 अरब 66 करोड़ डॉलर रहा। चीन अभी भी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और यह पहली बार 1 खरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। चीन और भारत के पास अलग-अलग सांख्यिकीय कैलिबर हैं, इसलिए उनके संबंधित प्रकाशित व्यापार आंकड़ों में अंतर पारदर्शी और उचित व्यापार होता है। चीन को भारत के अन्य देशों के साथ सामान्य व्यापार संबंधों के विकास पर कोई आपत्ति नहीं है और व्यापार मात्रा रैंकिंग के उतार-चढ़ाव में बहुत रुचि नहीं रखता है। चीन को इस बात की परवाह है कि क्या भारत द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापार निवेश सहयोग के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और टिकाऊ वातावरण बनाने, द्विपक्षीय पारस्परिक लाभकारी सहयोग का और विस्तार करने और दोनों देशों व दोनों लोगों के लिए ठोस लाभ देने के लिए तैयार है।

चाओ लीच्येन ने कहा कि वर्तमान में, भारत-चीन सीमा पर समग्र स्थिति स्थिर हो गई है, और दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से घनिष्ठ संचार बनाए हुए हैं। चीन का हमेशा से यह मानना रहा है कि सीमा मुद्दा संपूर्ण चीन-भारत संबंध नहीं है। इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थिति में रखा जाना चाहिए और प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाना चाहिए। आशा है कि भारत चीन के साथ मिलकर आपसी विश्वास को बढ़ाना और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि द्विपक्षीय संबंध सही रास्ते पर आगे बढ़े, दोनों देशों के लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले, क्षेत्र और दुनिया के लिए अधिक से अधिक योगदान दिया जा सके।

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1.विनियमित बाजार में पारदर्शी विक्रय सुविधा और मूल्य की खोज के लिए राष्ट्रीय ई-बाजार मंच प्रारंभ से ही है। अपनी राज्य कृषि विपणन बोर्ड/ ए.पी.एम.सी के द्वारा ई-व्यापार के विज्ञापन के लिए इच्छुक राज्य अपनी ए.पी.एम.सी अधिनियम में तदनुसार उपयुक्त प्रावधानों को पूरा करते हैं।
2.बाजार यार्ड में भौतिक उपस्थिति या दुकान / परिसर के कब्जे के किसी पूर्व शर्त के बिना राज्य के अधिकारियों द्वारा व्यापारियों / खरीदारों और कमीशन एजेंटों की लिबरल लाइसेंस।
3.व्यापारी का एक लाइसेंस राज्य भर के सभी बाजारों में मान्य रहेगा।
4.कृषि उपज की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप और खरीददारों द्वारा सूचित बोली सक्षम करने के लिए प्रत्येक बाजार में परख करने की क्रिया के लिए (गुणवत्ता परीक्षण) मूलभूत सुविधाओ का प्रावधान। सामान्य व्यापार के लिए गुणवतियो को अब तक 90 उपजों के लिए विकसित किया गया है।
5.बाजार शुल्क एकत्र करने के एक स्तर, अर्थात् किसान के पहले थोक खरीद पर।
आने वाले किसानों की सुविधा के लिए मंडी में ही इस सुविधा का उपयोग करने के लिए चयनित मंडी में/ या नजदीक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं का प्रावधान। सुश्री नागार्जुन फर्टलाइजर्स और केमिकल्स लिमिटेड रणनीतिक साथी (एस.पी) है, जो विकास, परिचालन और मंच का रखरखान करने के लिए जिम्मेदार है। रणनीतिक साथी की मुख्य भूमिका बहुत ही व्यापक है और इसमें सॉफ्टवेयर बनाना, ई-नाम के साथ एकीकृत होने के इच्छुक राज्यों में मंडियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसे अनुकूल बनाना और मंच पर चलाना शामिल है।

NMCE Full Form Hindi

नेशनल मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE) भारत में एक मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज था। यह पारदर्शी और उचित व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य वितरण आधारित निपटान द्वारा समर्थित है। NMCE वृक्षारोपण, मसाले, खाद्यान्न, अलौह धातु, तिलहन, और उनके डेरिवेटिव में भविष्य के व्यापार के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक पारदर्शी और उचित व्यापार मंच प्रदान करता है।

भ्रष्टाचार से लड़ने को पारदर्शिता आवश्यक: प्रो. सुंदर लाल

आगरा। भ्रष्टाचार पर इस समय देश में काफी बातें हो रही हैं। उच्च शिक्षा भी इसकी चपेट में है। सिस्टम कोई भी हो, जब तक उसे पारदर्शी पारदर्शी और उचित व्यापार नहीं बनाया जाएगा। भ्रष्टाचार का हल ढूंढना मुश्किल होगा। यह कहना है वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुंदर लाल का।
पूर्व में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर रहे डॉ. सुंदर लाल ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर, भ्रष्टाचार और प्रवेश, परीक्षा तथा मूल्यांकन प्रणाली पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिस्टम को खुला होना चाहिए। एक विश्वविद्यालय में प्रवेश, परीक्षा और मूल्यांकन प्रणाली पारदर्शी होनी चाहिए। आजकल साइबर युग है। ऐसे में सब कुछ ओपेन किया जा सकता है। इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए। जब वस्तुस्थिति सभी केसामने होगी तो गलत करने की गुंजाइश बहुत कम रहती है। शैक्षिक स्तर में आई गिरावट पर डा. लाल का कहना है कि हमें बदलाव की आवश्यकता है। आजकल मूल्यांकन के नाम पर समझिये कि घास काटी जा रही है। लाखों कापियां जांचनी होती है। सेंट्रल एवैल्यूएशन सिस्टम है। एक शिक्षक सैकड़ों कापियां एक दिन में जांचता है। रिजल्ट निकालने का प्रेशर रहता है। ऐसे में कापियों का उचित मूल्यांकन कैसे हो सकता है? सिर्फ खानापूर्ति होती है। यही हाल प्रवेश और परीक्षा का है। रही बात शिक्षा के स्तर मे गिरावट की तो शिक्षा के निजीकरण करते समय यह नहीं सोचा गया कि इसके नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। गली मोहल्लों में उच्च शिक्षा संस्थान खुले हैं। राजनीति का क्षेत्र हो या व्यापार। किसी भी क्षेत्र के धनपशुओं ने इसे व्यापार के तौर पर लिया और संस्थान खोल लिया। इनका शिक्षा के मूल्य उद्देश्यों से कोई लेना देना नहीं है। अधिक मुनाफा कमाने को कम वेतन पर अयोग्य शिक्षकों की भर्ती होती है। कागजों में कुछ और वास्तविकता कुछ और होती है। ऐसी स्थिति में गुणवत्तायुक्त अध्यापन कैसे संभव है?
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अलग हो रहे शिक्षा और संस्कार
आगरा। प्रो. सुंदर लाल का कहना है कि शिक्षा अपने संस्कारों से कट रही है। नए दौर में शिक्षण संस्थानों की अब सामाजिक जवाबदेही नहीं रही। अभी हाल में हरियाणा में एक महिला की मृत्यु और उसके राजनेता से संबंध का मामला प्रकाश में आया है। सच्चाई उसमें कुछ भी हो। लेकिन आप देखिए वहां शिक्षा की कमी नहीं कह सकते। महिला पढ़ी लिखी थी। बात संस्कारों की है। शिक्षा से जो संस्कार मिलने चाहिए, वह नहीं मिले। इसीलिए ऐसी घटनाएं पढ़े लिखे तबकों में होती है।

आगरा। भ्रष्टाचार पर इस समय देश में काफी बातें हो रही हैं। उच्च शिक्षा भी इसकी चपेट में है। सिस्टम कोई भी हो, जब तक उसे पारदर्शी नहीं बनाया जाएगा। भ्रष्टाचार का हल ढूंढना मुश्किल होगा। यह कहना है वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुंदर पारदर्शी और उचित व्यापार लाल का।


पूर्व में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर रहे डॉ. सुंदर लाल ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर, भ्रष्टाचार और प्रवेश, परीक्षा तथा मूल्यांकन प्रणाली पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिस्टम को खुला होना चाहिए। एक विश्वविद्यालय में प्रवेश, परीक्षा और मूल्यांकन प्रणाली पारदर्शी होनी चाहिए। आजकल साइबर युग है। ऐसे में सब कुछ ओपेन किया जा सकता है। इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए। जब वस्तुस्थिति सभी केसामने होगी तो गलत करने की गुंजाइश बहुत कम रहती है। शैक्षिक स्तर में आई गिरावट पर डा. लाल का कहना है कि हमें बदलाव की आवश्यकता है। आजकल मूल्यांकन के नाम पर समझिये कि घास काटी जा रही है। लाखों कापियां जांचनी होती है। सेंट्रल एवैल्यूएशन सिस्टम है। एक शिक्षक सैकड़ों कापियां एक दिन में जांचता है। रिजल्ट निकालने का प्रेशर रहता है। ऐसे में कापियों का उचित मूल्यांकन कैसे हो सकता है? सिर्फ पारदर्शी और उचित व्यापार खानापूर्ति होती है। यही हाल प्रवेश और परीक्षा का है। रही बात शिक्षा के स्तर मे गिरावट की तो पारदर्शी और उचित व्यापार शिक्षा के निजीकरण करते समय यह नहीं सोचा गया कि इसके नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। गली मोहल्लों में उच्च शिक्षा संस्थान खुले हैं। राजनीति का क्षेत्र हो या व्यापार। किसी भी क्षेत्र के धनपशुओं ने इसे व्यापार के तौर पर लिया और संस्थान खोल लिया। इनका शिक्षा के मूल्य उद्देश्यों से कोई लेना देना नहीं है। अधिक मुनाफा कमाने को कम वेतन पर अयोग्य शिक्षकों की भर्ती होती है। कागजों में कुछ और वास्तविकता कुछ और होती है। ऐसी स्थिति में गुणवत्तायुक्त अध्यापन कैसे संभव है?


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अलग हो रहे शिक्षा और संस्कार
आगरा। प्रो. सुंदर लाल का कहना है कि शिक्षा अपने संस्कारों से कट रही है। नए दौर में शिक्षण संस्थानों की अब सामाजिक जवाबदेही नहीं रही। अभी हाल में हरियाणा में एक महिला की मृत्यु और उसके राजनेता से संबंध का मामला प्रकाश में आया है। सच्चाई उसमें कुछ भी हो। लेकिन आप देखिए वहां शिक्षा की कमी नहीं कह सकते। महिला पढ़ी लिखी थी। बात संस्कारों की है। शिक्षा से जो संस्कार मिलने चाहिए, वह नहीं मिले। इसीलिए ऐसी घटनाएं पढ़े लिखे तबकों में होती है।

कल्पना और लक्ष्य

हमारा दृष्टिकोण स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करना तथा अप्रत्यक्ष करों के संग्रह के लिए एक कुशल और पारदर्शी तंत्र प्रदान करना है। हमारा लक्ष्य माल और सेवा कर (जीएसटी) कानूनों और प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता प्राप्त करना है:

  • एक निष्पक्ष, न्यायसंगत, पारदर्शी और कुशल तरीके से राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करना
  • व्यावहारिक तरीके से सरकार की आर्थिक, कराधान और व्यापार नीतियों का प्रशासन करना
  • जीएसटी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और सरल बनाने और भारतीय प्रतिस्पर्धा को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद करके व्यापार और उद्योग को सुविधा प्रदान करना
  • जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करके स्वैच्छिक अनुपालन के लिए वातावरण प्रदान करना
  • राजस्व चोरी, वाणिज्यिक धोखाधड़ी और सामाजिक खतरे का प्रतिरोध करना
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों को पूरक बनाना।

हमारी प्रतिबद्धता

  • ईमानदारी और न्यायशीलता
  • निष्पक्षता और न्याय
  • सौजन्य और समझदारी
  • उद्देश्य और पारदर्शिता
  • उदारता और ईमानदारी
  • शीघ्रता और दक्षता
  • देश और उसके नागरिकों की सेवा में रहें
  • देश की आर्थिक सुरक्षा और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए काम करें
  • हमारी प्रक्रियाओं और लेनदेन को यथासंभव पारदर्शी बनाएं
  • स्वैच्छिक कर अनुपालन को प्रोत्साहित करें और सहायता करें।

हम आगे प्रतिबद्ध है

सभी अधिकारियों के पहचान पत्र होंगे और सभी वर्दीधारी अधिकारी आधिकारिक कर्तव्यों पर नाम बैज पहनेंगे। हमें बताए गए व्यक्तिगत और व्यावसायिक सूचना को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के अधीन गोपनीय रखा जाएगा।निर्धारिती का केवल अधिकृत अधिकारियों द्वारा दौरा किया जाएगा। निर्धारिती के कर अनुपालन रिकॉर्ड को उचित सम्मान दिया जाएगा।किसी परिसर या व्यक्तियों को खोजने से पहले, इसके कारणों को समझाया जाएगा। कोई भी खोज संचालन करने वाले अधिकारी पहले से ही व्यक्तिगत खोज के लिए खुद को पेश करेंगे।

जांच अधिकारी कानूनी प्रावधानों और आपके अधिकारों और दायित्वों की व्याख्या करेगा। अपील प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी उन अधिकारियों के ब्योरे के साथ प्रदान की जाएगी जिनके साथ अपील की जा सकती है। हमारी नीतियों और प्रक्रियाओं की समीक्षा करते समय शेयरधारकों से लगातार परामर्श किया जाएगा। कानून और प्रक्रियाओं में सभी परिवर्तनों का समय पर प्रचार प्रदान किया जाएगा। सभी कार्यक्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे और व्यापार को आईटी आधारित सूचना पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाएगा।

प्रत्येक संभावित सहायता विभागीय कार्यालय / आयुक्त कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी द्वारा प्रदान की जाएगी। जनसंपर्क अधिकारी का नाम और टेलीफोन नंबर प्रमुख रूप से ऐसे कार्यालयों में प्रदर्शित किया जाएगा। प्रक्रियाओं की प्रासंगिक जानकारी और विवरण, जैसा कि आवश्यक हो, भी प्रदान किया जाएगा। सेवा विशेषताओं को सेवा वितरण में निरंतर सुधार के इरादे से उपरोक्त प्रतिबद्धताओं पर ग्राहक धारणा प्रतिक्रिया के माध्यम से मापा जाएगा।

हमसे संपर्क करें

केन्द्रीय माल और सेवा कर आयुक्त कार्यालय दिल्ली दक्षिण
पता : दूसरा और तीसरा तल ईआईएल अनुबंध भवन भिकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली - 110066
फ़ोन :011-40785800
ईमेल : system[dot]delhisouth[at]gmail[dot]com

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