स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर

गुजरात ने प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य सहित कई प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में लगातार सुधार किया है। हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, राज्य में 69 प्रतिशत किशोरियां और 36 प्रतिशत किशोर रक्तअल्पता (एनीमिया) से पीड़ित हैं। साथ ही, गुजरात में 10 प्रतिशत ग्रामीण और पांच प्रतिशत शहरी नागरिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। ये परियोजना किशोर लड़कियों और लड़कों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार पर विशेष ध्यान देगी। इसे उन 14 जिलों में प्राथमिकता दी जाएगी जहां 70 प्रतिशत से अधिक स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर किशोरियां रक्तअल्पता से पीड़ित हैं।
विश्व बैंक ने गुजरात में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और रोग निगरानी के लिए 35 करोड़ डॉलर मंजूर किए
नई दिल्ली, 21 सितंबर, 2022 - विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक बोर्ड ने आज पश्चिमी भारतीय राज्य गुजरात को अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार के लिए 35 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी। इस परियोजना में किशोरियों और रोग निगरानी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
गुजरात में परिवर्तित स्वास्थ्य उपलब्धियों के लिए प्रणालीगत सुधार प्रयत्न (श्रेष्ठ-जी) कार्यक्रम और अधिक लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंचने में समर्थ बनाएगा। वर्तमान में, राज्य अपने नागरिकों को प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य, संचारी और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) सहित स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर सात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। कार्यक्रम मानसिक स्वास्थ्य और बुजुर्गों और उपशामक स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल करने के लिए इनका और विस्तार करेगा और राज्य में गैर-संचारी सेवाओं को भी मजबूत करेगा।
स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर
30th July 2021 05:02 PM
भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 13 पैसे टूटकर 74.42 (अनंतिम) स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर पर बंद हुआ, घरेलू इक्विटी और बेरोकटोक विदेशी फंड के बहिर्वाह पर नज़र रखी।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, स्थानीय इकाई में उच्च अस्थिरता देखी गई। यह डॉलर के मुकाबले 74.30 पर खुला और सत्र के दौरान इंट्रा-डे हाई 74.27 और 74.44 का निचला स्तर देखा गया।
दो दिन की बढ़त को तोड़ते हुए स्थानीय इकाई ने अंतत: दिन का अंत 74.42 पर किया, जो पिछले बंद के मुकाबले 13 पैसे कम है। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.29 पर बंद हुआ था।
इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 91.86 पर अपरिवर्तित कारोबार स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर कर रहा था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा, "भारतीय रुपये ने गुरुवार के लाभ को मिटा दिया और लगातार तीन साप्ताहिक लाभ के बाद साप्ताहिक गिरावट दर्ज की।"
भू अधिकार आंदोलन: चुनिंदा उद्योगपतियों में बांटी जा रही सार्वजनिक संपदा
नई दिल्ली। भूमि अधिकार आन्दोलन का चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन 26-27 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में देश के 20 राज्यों- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल, हिमाचल, उत्तराखंड, असम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब के 70 से ज़्यादा जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
पूरे देश में स्थानीय लोगों के हाथों से जल, जंगल, ज़मीन और खनिज जैसी सार्वजनिक संपदा को छीनकर चुनिन्दा उद्योगपतियों और व्यवसायियों के लिए जबरन लूटा जा रहा है। सदियों से स्थानीय समुदायों के उपयोग में आते रहे इन संसाधनों को खुल्लमखुल्ला चंद लोगों के मुनाफे के लिए दिया जा रहा है।
भू अधिकार आंदोलन: चुनिंदा उद्योगपतियों में बांटी जा रही सार्वजनिक संपदा
नई दिल्ली। स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर भूमि अधिकार आन्दोलन का चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन 26-27 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में देश के 20 राज्यों- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल, हिमाचल, उत्तराखंड, असम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब के 70 से ज़्यादा जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
पूरे देश में स्थानीय लोगों के हाथों से जल, जंगल, ज़मीन और खनिज जैसी सार्वजनिक संपदा को छीनकर चुनिन्दा उद्योगपतियों और व्यवसायियों के लिए जबरन लूटा जा रहा है। सदियों से स्थानीय समुदायों के उपयोग में आते रहे इन संसाधनों को खुल्लमखुल्ला चंद लोगों के मुनाफे के लिए दिया जा रहा है।
‘बाहरी लोगों को कैसे टारगेट करें’, कश्मीर में हत्याओं से पहले लश्कर की शाखा ने सर्कुलेट किया था दस्तावेज
(प्रतीकात्मक तस्वीर) श्रीनगर में स्कूल की दीवारों में गोलियों के छेद जहां इस महीने की शुरुआत में एक प्रिंसिपल और शिक्षक की मौत हो गई थी | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि अक्टूबर महीने की शुरुआत में कश्मीर में आम नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला शुरू होने से ठीक एक महीने पहले लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा, दि रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने एक दस्तावेज़ सार्वजानिक रूप से प्रसारित किया था, जिसमें इस ‘रणनीति’ का उल्लेख किया गया था कि कैसे घाटी में रह रहे बाहरी लोगों स्थानीय और सैन्य रूप से लक्षित एवं बहिष्कृत किया जाए.
विदित हो कि टीआरएफ ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई कई हत्याओं की जिम्मेदारी ली है.
‘दुश्मनों की सूची’ में शामिल है अधिकारी, पुलिसकर्मी
इस दस्तावेज़ के अनुसार, सभी कश्मीरियों द्वारा गैर-स्थानीय लोगों को ‘अस्वीकार’ किया जाना चाहिए, और जो कोई भी उनकी मदद करने की कोशिश करेगा वह ‘दुश्मनों की सूची’ में शामिल हो जायेगा.
यह स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर कहता है, ‘जो कोई भी किसी गैर-स्थानीय व्यक्ति को जमीन आवंटित करने में शामिल पाया जायेगा, उसे कश्मीर का दुश्मन माना जाएगा. वे अधिकारी भी, चाहे वे कोई भी हों, चाहे वे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं या फाइलों को आगे बढ़ाते हैं, वे भी इस दुश्मनी वाली सूची की जद में आएंगे.’
इसमें यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों को कश्मीरियों के खिलाफ अभियान वाली गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ‘इनाम’ का स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर लालच दिया गया’ है, और इस वजह से इसके कर्मी भी निशाने पर हैं.
इस दस्तावेज़ में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ‘आक्रमणकारी ताकतों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर पुलिस, की संपत्तियों को निशाना बनाया जाये, खास तौर पर उन लोगों को लक्षित करते हुए जो सक्रिय रूप से कश्मीर के संघर्ष के विरुद्ध हो रही गतिविधियों में भाग ले रहे हैं’.
‘गैर स्थानीय लोगों के कालेज में दाखिले का विरोध’
दस्तावेज़ आगे कहता है कि (कश्मीर के) शिक्षा संस्थानों में गैर-स्थानीय लोगों के प्रवेश का ‘पुरजोर और हरसंभव विरोध किया जाना चाहिए’.
इसमें लिखा गया है, ‘आधिपत्यवादी भारतीय शासन तंत्र ने अपने शातिर और कश्मीर विरोधी मंसूबों के तहत विश्वविद्यालयों और कालेजों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. उन्होंने इन संस्थानों में गैर-स्थानीय छात्रों और यहां तक कि गैर-स्थानीय कर्मचारियों को भी दाखिल करना शुरू कर दिया है (केंद्रीय स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर विश्वविद्यालय में चुने गए लगभग 85% छात्र गैर-कश्मीरी हैं). इसलिए छात्र संगठनों के स्तर पर कश्मीर के वास्ते इस तरह के चयनों अथवा दाखिलों का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए. सशस्त्र संघर्ष के स्तर पर भी इस तरह के दाखिलों का विरोध किया जाएगा.’
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)