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ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
ICICI बैंक और मंहिंद्रा फाइनेंस दोनों में ही पैसा जमा होता है और दोनों से ही लोन मिलता है। ऐसे में बहुत से लोग कहेंगे कि दोनों तो एक ही ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? जैसे हुए दोनों में अंतर क्या हुआ? लेकिन दोनों में पर्याप्त अंतर है।

बैंक और एनबीएफसी

Square Off Meaning In Hindi

स्टाक मार्केट में निवेश ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? करने वाले कई व्यापारी ऐसे हैं जिन्होंने इंट्राडे ट्रेडिंग की अभी शुरुआत की है और इंट्रा ट्रेडिंग करते समय उनकी Position ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? Square off हो जाती है। परंतु वह समझ नहीं पाते की Square off का मतलब क्या होता है?

इसलिए आज ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? के इस लेख में हम square off meaning in hindi के बारे में जानकारी दे रहे हैं और Stock यदि आप भी इनका ट्रेडिंग करते हैं और Square off के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।

Table of Contents

Square off का मतलब क्या है? (Square Off Meaning In Hindi)

Square off इंट्रा ट्रेडिंग करते समय उपयोग में लाई जाने वाली एक व्यापारिक शैली है। सबसे पहले कोई निवेशक किसी कंपनी के Stock को खरीदता है या बेचता है और बाद में एक्सचेंज बंद होने से पहले ही उस लेन देन को उलट देता है यानी कि अगर स्टॉक खरीदा है तो उसे बेच देता है और यदि स्टॉक बेचा है तो उसे खरीद लेता है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी निवेशक ने किसी कंपनी के 100 शेयर खरीदे। और उसी दिन वह निवेशक ट्रेडिंग बंद होने से पहले उसे बेच देता है।

इसके विपरीत व्यापारी ने इंफोसिस के शेयर को शार्ट सेल किया है तो वह व्यापारी उसी दिन बाजार बंद होने से पहले उन शेयरों को buy order करेगा। उदाहरण ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? में दी गई प्रक्रिया ही Square off कहलाती है।

Position को Square off कैसे किया जाता है? (How to Square off Position)

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एक निवेशक की दृष्टि से Square off सभी शेयरों में निवेश की गई राशि की निपटान शैली है। जहां निवेशक द्वारा खरीदे गए सभी शेयरों को लाभ कमाने के लिए अधिक कीमत पर एक्सचेंज बंद होने से पहले भेज दिया जाता है।

इसके अलावा निवेशक अपने शेयरों को दिन के शुरुआत में किसी कीमत पर बेचता है और उन्हीं शेयरों को बाजार बंद होने से पहले कम कीमत पर खरीद लेता है। इस Square off की शैली से निवेशक इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय अधिक मात्रा में लाभ कमाते हैं।

Square off का उद्देश्य क्या है? (Objective of Square off)

Square off का उद्देश्य एक ही दिन में किसी व्यापारी के द्वारा किए गए व्यापार को पूरा करना है। अर्थात यदि कोई व्यापारी अपने शेयरों को सुबह खरीदता या बेचता है तो स्टॉक बाजार बंद होने से पहले उन्हीं शेयरों को बेच देता है या खरीद लेता है।

Auto Square off किसे कहते हैं? (What is Auto Square ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? off?)

Auto Square off वह होता है जो हमें ब्रोकर द्वारा प्रदान किया जाता है। यदि कभी कोई निवेशक अपने खरीदे या बेचे गए शेयरों को बाजार बंद होने से पहले Square off नहीं कर पाता है तो ब्रोकर के द्वारा निवेशक के उन शेयरों को खुद ही Square off कर दिया जाता है। ब्रोकर के द्वारा प्रदान की गई Square off की सेवा ही Auto Square off आती है। यदि ब्रोकर आपकी Position को Square off करता है तो इसके कुछ चार्ज भी लेता है।

उदाहरण के लिए, यदि व्यापारी का कोई Position खुला हुआ है तो ब्रोकर द्वारा उस Position को 3:15 बजे से 3:20 बजे के बीच Square off कर ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? दिया जाएगा।

बैंक किसे कहते हैं?

1949 में भारतीय बैंकिंग कंपनी कानून बनाया गया। इस कानून में बैंक की परिभाषा इस तरह से दी गई है, “लोन देना और विनियोग के लिए समान्य जनता से पैसा जमा करना तथा चेकों, ड्राफ्टों तथा लिखित निवेदन के जरिये पैसा माँगने पर उस राशि का भुगतान करना बैंकिंग बिजनेस कहलाता है और इस बिजनेस को करनेवाली संस्था बैंक कहलाती है।“

बैंक को अगर हमें और अधिक आसान भाषा में समझाना है तो हम उस बिजनेस को बैंक कहते हैं जहां पर पैसे जमा होता है। जमा पैसों पर ब्याज मिलता हो, ग्राहक द्वारा जमा किये गये पैसों के लिए चेक, ड्राफ्ट और लिखित रुप से पर्ची से पैसा मांगने पर पैसा मिलना, ग्राहक को ब्याज पर पैसा उधार देने का काम करने वाली संस्था को बैंक कहा जाता है।

इसे हम इस तरह भी कहते हैं कि बैंक (Bank) उस ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को लोन देने का काम करत है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं।

एनबीएफसी किसे कहते हैं ?

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी पूरा नाम है एनबीएफसी का। यह एक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन है। इस फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का कार्य बैंकों की तरह ही होता है। यह फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन लोगों लोगों का पैसा जमा करते हैं, लोगों को लोन प्रदान करते हैं।

ऐसा नहीं है की जिन वित्तीय संस्थाओं में पैसा जमा होता है और पैसा निकाला जाता है सिर्फ वही एनबीएफसी हैं। इसके अतिरिक्त बीमा, चिटफंड, निधि, मर्चेंट बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग और इन्वेस्टमेंट का बिजनेस करने वाली कंपनियां भी एनबीएफसी होती हैं।

1963 में एनबीएफसी का नियम बना

नॉन – बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) 1963 से पहले भी चल रही थी लेकिन यह अपने आप में स्वतंत्र थी यानी इन संस्थाओं पर सरकार का किसी प्रकार का नियन्त्रण नहीं था। 1960 के दशक में कुछ ऐसा हुआ की कुछ एनबीएफसी कंपनियों में पैसा जमा करने वाले लोगों का जमा पैसा डूब गया।

जब इस मुद्दे को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के सम्मुख उठाया गया तो आरबीआई ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? ने 1963 से एनबीएफसी पर नजर रखना और उनके लिए नियम बनाना शुरू कर दिया।

तब से भारतीय रिजर्ब बैंक उन सभी एनबीएफसी पर नजर रखना शुरु कर दिया है जो बैंक जैसी गतिविधियां करती हैं। सभी एनबीएफसी कंपनियों का अब नियमन भारतीय ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? रिजर्व बैंक करता है।

जो एनबीएफसी इंश्योरेंस इंश्योरेंस यानी बीमा क्षेत्र में में काम करती हैं। उन सभी एनबीएफसी का नियमन इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (आइआरडीए) करता है।

एनबीएफसी और बैंक में अंतर क्या है ?

  • बैंक चेक जारी कर सकता है। एनबीएफसी कंपनी से कोई चेक जारी नहीं हो सकता है।
  • ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
  • बैंक में डिमांड डिपोजिट एक्सेप्ट किया जाता है। एनबीएफसी में किसी तरह का कोई डिमांड डिपोजिट एक्सेप्ट नहीं होता है।

इस तरह हम देखते हैं तो बैंक और एनबीएफसी में पर्याप्त अंतर होता है।

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