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Indo-US Trade: चीन-PAK सब पीछे. अमेरिका ने दिया दोस्ती का सबूत, 15 देशों में सबसे ज्यादा भारत करीब!

उद्योग मंडल CII की ओर से कोलकाता में आयोजित ‘ईस्ट इंडिया समिट 2022’ में एक सत्र को संबोधित करते हुए Melinda Pavek ने कहा कि 2022 के पहले 6 महीने में भारत और अमेरिका के बीच 67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.

भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 14 सितंबर 2022, 7:06 PM IST)

भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच व्यापारिक रिश्तों में मजबूती के आंकड़े सामने आए हैं. खासकर पिछले एक साल में कारोबारी रिश्ते तेजी से बेहतर हुए हैं. वैसे तो बीते एक साल में अमेरिका और उसके शीर्ष 15 साझेदार देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी हुई है.

लेकिन इन सब देशों से में सबसे अधिक बढ़ोतरी भारत के साथ होने वाले व्यापार में हुई है. यह जानकारी कोलकाता में अमेरिका की महावाणिज्य दूत (Consul General) मेलिंडा पावेक (Melinda Pavek) ने दी. दरअसल, उद्योग मंडल CII की ओर से कोलकाता में आयोजित ‘ईस्ट इंडिया समिट 2022’ में एक सत्र को संबोधित करते हुए Melinda Pavek ने कहा कि 2022 के पहले 6 महीने में भारत और अमेरिका के बीच 67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.

अमेरिका-भारत के बीच कारोबारी रिश्ते हुए बेहतर

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उन्होंने कहा कि जनवरी से जून के बीच अमेरिका ने भारत को 23 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत ने अमेरिका को 44 अरब डॉलर का निर्यात किया है. मेलिंडा पावेक ने कहा, 'बीते एक साल में अमेरिका का अपने शीर्ष 15 साझेदारों के साथ व्यापार बढ़ा है और मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि सबसे बड़ी बढ़ोतरी भारत के साथ व्यापार में हुई है. अमेरिकी कंपनियां भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत हैं.'

गौरतलब है कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2021-22 में 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा था. जबकि वर्ष 2020-21 में यह 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. अमेरिका को निर्यात वर्ष 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलरा हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 2020-21 में आयात लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.

चीन का विकल्प बनेगा भारत?

उन्होंने बताया कि अमेरिका की कई एजेंसियां पूर्वी भारत में विकास परियोजनाओं में शामिल हैं. क्योंकि भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक फर्में आपूर्ति के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को कम कर रही हैं. तथा भारत जैसे अन्य देशों के माध्यम से व्यापार में विविधता ला रही हैं.

बता दें, अमेरिका को भारत से मुख्यत: पेट्रोलियम उत्पादों, पॉलिश हीरे, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल वगैरह का निर्यात किया जाता है. वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है.

सेवाओं के निर्यात के लिए अमेरिका लगातार भारत का सबसे बड़ा बाजार रहा है. हाल ही में अमेरिका को सामान की बिक्री के मामले में भी इसने चीन को पीछे छोड़ दिया, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक भागीदार बन गया. 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है.

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 रुझान के साथ व्यापार - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

भारत में व्यापार शुरू करना

एक बिलियन से भी अधिक जनसंख्या वाला भारतीय बाजार उचित उत्पादों, सेवाओं और प्रतिबद्धताओं वाले अमेरिकी निर्यातकों के लिए आकर्षक और विविध अवसर मुहैया कराता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण और विस्तार होने से मध्यावधि में भारत की ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य देखरेख, उच्च-प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, परिवहन और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उपकरणों और सेवाओं की आवश्यकताएं दसियों बिलियन डॉलर से भी अधिक होगी। उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान भारत का सकल घरेलू उत्पाद विकास दर 7.6 प्रतिशत थी। सरकार द्वारा नीतियों का उदारीकरण जारी रखने की संभावना के साथ, भारत के पास आगामी कुछ वर्षों तक सतत उच्च विकास दर कायम रखने की क्षमता है और अमेरिकी कंपनियों को विकसित होते भारतीय बाजार में प्रवेश के अवसर को अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

अमेरिका-भारत व्यापार

कैलेंडर वर्ष 2015 में भारत के लिए अमेरिकी निर्यातः 39.7 बिलियन डॉलर
कैलेंडर वर्ष 2015 में भारत से आयातः 69.6 बिलियन डॉलर
कैलेंडर वर्ष 2015 में कुल द्विपक्षीय व्यापार (माल और सेवाएं) 109.3 बिलियन डॉलर
कुल व्यापारः कैलेंडर वर्ष 2015 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 109.3 बिलियन डॉलर, 2014 से 3.6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई।
कैलेंडर वर्ष 2015 में भारत को अमेरिकी निर्यात बढ़कर 39.7 बिलियन डॉलर, पहले के साल के मुकाबले 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
कैलेंडर वर्ष में भारत से आयात बढ़कर 69.6 बिलियन डॉलर हो गया, पहले के साल के मुकाबले 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

अमेरिकी बिजनेस के लिए सीधे लाइनः अमेरिकी बिजनेस कार्यक्रम के लिए सीधे लाइन आपको हमारी ‘‘कंट्री टीम’’ का हिस्सा बनाते हुए, अमेरिकी उद्यमियों को विदेशों में अमेरिकी राजदूतों और अमेरिकी मिशन के कर्मचारियों से जोड़ती है। इससे आपको अपने बिजनेस के लिए बाजार की नवीनतम जानकारी प्राप्त होगी। अधिक जानकारी के लिए और नई कॉल्स के लिए यहां क्लिक करें।

बिजनेस जानकारी की डाटाबेस प्रणाली (द बिजनेस इन्फोर्मेशन डाटाबेस सिस्टम) अमेरिकी उद्यमियों को विदेशी सरकार और बहुपक्षीय विकास बैंक खरीदारियों के बारे में नवीनतम जानकारी प्रदान करता है। एक संवादात्मक मैप इंटरफेस द्वारा उद्यमी विदेशों में अमेरिकी सरकार के आर्थिक व वाणिज्यिक विशेषज्ञों द्वारा नए निर्यात अवसरों, का पता कर सकते हैं। सरकारी व निजी हिस्सेदार मैचमेकिंग, विश्लेषण और अन्य उद्देश्यों के लिए बीआईडीएस डेटा से लिंक या डाउनलोड कर सकते हैं।

Business USA.gov

कंट्री कमर्शियल गाइड

भारत की कंट्री कमर्शियल गाइड (सीसीजी) अमेरिकी उद्यमियों के लिए भारत में निर्यात और निवेश अवसरों की खोज करके एक उपयोगी आरंभिक जानकारी प्रदान करता है। रुझान के साथ व्यापार सीसीजी भारत में अमेरिकी दूतावास के विस्तृत दस्तावेज के में तैयार है जो वार्षिक रूप से प्रकाशित होता है। यह भारत के आर्थिक रुझानों और रूपरेखा, राजनीतिक वातावरण; व्यापार लिनयम, परंपराओं और मानकों; बिजनेस ट्रैवल; और आर्थिक व व्यापार आंकड़ों की जानकारी प्रदान करता है। यह भारत में अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं की मार्केटिंग, अमेरिकी निर्यात व निवेश के लिए प्रमुख भारतीय औद्योगिक क्षेत्रों; अमेरिकी निर्यातकों के लिए व्यापार और परियोजना की वित्तीय सहायता और अमेरिकी व भारतीय उद्यमियों के संपर्क की जानकारी भी प्रदान करता है।

भारत की कंट्री कमर्शियल गाइड (सीसीजी) भारत में निर्यात और निवेश अवसरों की खोज अमेरिकी उद्यमियों के लिए उपयोगी आरंभिक जानकारी प्रदान करता है। सीसीजी भारत में अमेरिकी दूतावास के विस्तृत दस्तावेज के रूप में तैयार है जो वार्षिक रूप से प्रकाशित होता है। यह भारत के आर्थिक रुझानों और रूपरेखा, राजनीतिक वातावरण; व्यापार नियम, शुल्क और मानकों; बिजनेस ट्रैवल; और आर्थिक व व्यापार आंकड़ों की जानकारी प्रदान करता है। यह भारत में अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं की मार्केटिंग, अमेरिकी निर्यात व निवेश के लिए प्रमुख भारतीय औद्योगिक क्षेत्रों; अमेरिकी निर्यातकों के लिए व्यापार और परियोजना के वित्तपोषण और अमेरिकी व भारतीय उद्यमियों के संपर्क की जानकारी भी प्रदान करता है।

उद्योग विशेष की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया हमसे संपर्क करें।

भारत में व्यापार किस प्रकार करें

तेजी से बढ़ते मध्य वर्ग, आय बढ़ने और महंगे कृषि उत्पादों के उपभोग का तरीका बदलने से अमेरिकी कृषि के बड़े स्तर पर भारत में निर्यात बढ़ने की संभावनाएं हैं। भारत में आधुनिक फुटकर क्षेत्र का विस्तार हो रहा है, खाद्य प्रसंस्करणकर्ता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश चाहते हैं, और खाद्य सेवा के सेफ नए प्रयोग करना चाहते हैं एवं नए उत्पादों और वैश्विक व्यंजनों को चखने के इच्छुक युवाओं व उच्च आय वाले उपभोक्ताओं को आकर्षित करना चाहते है। भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के इच्छुक निर्यातकों को पहले यह पता लगाना चाहिए कि क्या उस उत्पाद की बाजार तक पहुंच हैं और छोटे स्तार शुरुआत करने तथा विशिष्ट लेबलिंग एवं पैकेजिंग आवश्यकताओं को पूरा करने लिए तैयार रहना चाहिए।

महत्वपूर्ण रिपोर्टें:

अनुवाद

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अमेरिका से कर रहे हैं
सबसे पहले 011-91-11- डायल करें
भारत के अंदर से लेकिन दिल्ली के
बाहर से फोन कर रहे हैं तो
पहले 011- डायल करें

रॉबर्ट जे. गारवेरिक, आर्थिक, पर्यावरण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

स्कॉट एस सिंडलर, कृषि मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

जॉन मैक्कैसलिन, वरिष्ठ वाणिज्यिक अधिकारी व वाणिज्यिक मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

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  • 14 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 14 सितंबर 2022, 7:06 PM IST)

भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच व्यापारिक रिश्तों में मजबूती के आंकड़े सामने आए हैं. खासकर पिछले एक साल में कारोबारी रिश्ते तेजी से बेहतर हुए हैं. वैसे तो बीते एक रुझान के साथ व्यापार साल में अमेरिका और उसके शीर्ष 15 साझेदार देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी हुई है.

लेकिन इन सब देशों से में सबसे अधिक बढ़ोतरी भारत के साथ होने वाले व्यापार में हुई है. यह जानकारी कोलकाता में अमेरिका की महावाणिज्य दूत (Consul General) मेलिंडा पावेक (Melinda Pavek) ने दी. दरअसल, उद्योग मंडल CII की ओर से कोलकाता में आयोजित ‘ईस्ट इंडिया समिट 2022’ में एक सत्र को संबोधित करते हुए Melinda Pavek ने कहा कि 2022 के पहले 6 महीने में भारत और अमेरिका के बीच 67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.

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उन्होंने कहा कि जनवरी से जून के बीच अमेरिका ने भारत को 23 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत ने अमेरिका को 44 अरब डॉलर का निर्यात किया है. मेलिंडा पावेक ने कहा, 'बीते एक साल में अमेरिका का अपने शीर्ष 15 साझेदारों के साथ व्यापार बढ़ा है और मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि सबसे बड़ी बढ़ोतरी भारत के साथ व्यापार में हुई है. अमेरिकी कंपनियां भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत हैं.'

गौरतलब है कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2021-22 में 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा था. जबकि वर्ष 2020-21 में यह 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. अमेरिका को निर्यात वर्ष 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलरा हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 2020-21 में आयात लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.

चीन का विकल्प बनेगा भारत?

उन्होंने बताया कि अमेरिका की कई एजेंसियां पूर्वी भारत में विकास परियोजनाओं में शामिल हैं. क्योंकि भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक फर्में आपूर्ति के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को कम कर रही हैं. तथा भारत जैसे अन्य देशों के माध्यम से व्यापार में विविधता ला रही हैं.

बता दें, अमेरिका को भारत से मुख्यत: पेट्रोलियम उत्पादों, पॉलिश हीरे, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल वगैरह का निर्यात किया जाता है. वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है.

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