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विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके

विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की फाइल फोटो | ANI photo

रुपये में विदेशी व्यापार की मंजूरी से मुद्रा पर दबाव घटेगाः विशेषज्ञ

मुंबई, 12 जुलाई (भाषा) रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन की अनुमति देने से व्यापार सौदों के निपटान के लिए विदेशी मुद्रा की मांग घटने के साथ घरेलू मुद्रा की गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

भारतीय रिजर्व विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके बैंक (आरबीआई) ने गत सोमवार को बैंकों से कहा कि भारतीय रुपये में बिल बनाने, भुगतान और आयात-निर्यात सौदों को संपन्न करने के अतिरिक्त इंतजाम रखें। भारत से निर्यात बढ़ाने और रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती रुचि को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘इस व्यवस्था से रुपये पर दबाव कम होगा क्योंकि आयात के लिए डॉलर की मांग नहीं रह जाएगी।’

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने एक रिपोर्ट में कहा कि इस कदम से डॉलर की मांग पर दबाव तात्कालिक रूप से कम हो जाना चाहिए।

बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) राहुल बजोरिया ने कहा कि रुपये की मौजूदा कमजोरी के बीच यह कदम संभवतः व्यापार सौदों के रुपये में निपटान को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा की मांग घटाने के लिए उठाया गया है।

आरबीआई ने कहा है कि व्यापार सौदों के निपटान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार देश के एजेंट बैंक का विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी।

सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी ने कहा कि वोस्ट्रो खातों के जरिये रुपये में विदेशी सौदों के भुगतान की विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके मंजूरी देना खास तौर पर रूस के साथ व्यापार को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया कदम है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के सौम्यजीत नियोगी के मुताबिक, आरबीआई की यह घोषणा पूंजी खाते की परिवर्तनीयता के उदारीकरण की राह प्रशस्त करती है।

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

RBI ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए दिशानिर्देश, जनवरी 2023 से आएंगे प्रभाव में

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)

केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे. आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखि . अधिक पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : October 11, 2022, 22:01 IST

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को किसी भी यूनिट के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिये संशोधित दिशानिर्देश जारी किया है. इस पहल का मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई इकाइयों के जोखिम से बचाव के उपाए किए बिना उस विदेशी मुद्रा में लेन-देन (यूएफसीई) के मामले में बैंकों के लिये समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहा है, जो बैंकों से कर्ज के रूप में लिये गये हैं.

केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे. आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखिम से बचाव के कदम उठाये बिना विदेशी मुद्रा में लेन-देन चिंता का विषय रहा है. यह न केवल व्यक्तिगत इकाई के लिये बल्कि पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिये चिंता की बात होती है.

जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस नुकसान से संबंधित इकाई का बैंकों से लिये गये कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी और चूक की आशंका बढ़ेगी. इससे पूरी वित्तीय प्रणाली की सेहत पर असर पड़ेगा.

आरबीआई ने प्राथमिक डीलरों को एकल आधार पर उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति भी दे दी है. रिजर्व बैंक की तरफ से यह कदम मुद्रा जोखिम प्रबंधन के लिए ग्राहकों को व्यापक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है. वर्तमान में एकल प्राथमिक डीलरों (SPD) को सीमित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार की अनुमति मिली हुई है. देश में फिलहाल सात एसपीडी और 14 बैंक प्राथमिक डीलर हैं.

आरबीआई ने मंगलवार को जारी परिपत्र में कहा, ‘‘एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.’’

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Forex Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा, एसडीआर बढ़ा

Forex Reserves: 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके 367 बिलियन डॉलर था। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

फॉरेक्स

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।

आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

देश का स्वर्ण भंडार (गाेल्ड रिजर्व) इस दौरान 247 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 37.206 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, एसडीआर) का मूल्य 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.440 अरब डॉलर हो गया।

बता दें कि बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दिख रही है क्योंकि आरबीआई के बाजार में बढ़ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को थामने के लिए संभवतः हस्तक्षेप करता है। वहीं दूसरी ओर, आयातित वस्तुओं की बढ़ती लागत ने भी व्यापार निपटान के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की उच्च आवश्यकता को जरूरी बना दिया है, इससे इसमें कमी आ रही है।

प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारतीय रुपया पिछले कुछ हफ्तों विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके में कमजोर होकर नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले हफ्ते रुपया इतिहास में पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार कर गया था। इस साल अब तक रुपये में करीब 10-12 फीसदी तक की गिरावट आई है।

आमतौर पर रुपये में भारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री सहित तरलता प्रबंधन के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करता है। फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 100 बिलियन अमरीकी डालर की गिरावट आ गई थी। ऐसा वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात महंगा होने के कारण हुआ था। पिछले 12 महीनों के दौरान संचयी आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 115 बिलियन अमेरीकी डालर की गिरावट आ चुकी है।

विस्तार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।

आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

देश का स्वर्ण भंडार (गाेल्ड रिजर्व) इस दौरान 247 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 37.206 बिलियन डॉलर पर विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके पहुंच गया। हालांकि, आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, एसडीआर) का मूल्य 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.440 अरब डॉलर हो गया।

बता दें कि बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दिख रही है क्योंकि आरबीआई के बाजार में बढ़ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को थामने के लिए संभवतः हस्तक्षेप करता है। वहीं दूसरी ओर, आयातित वस्तुओं की बढ़ती लागत ने भी व्यापार निपटान के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की उच्च आवश्यकता को जरूरी बना दिया है, इससे इसमें कमी आ रही है।

प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारतीय रुपया पिछले कुछ हफ्तों में कमजोर होकर नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले हफ्ते रुपया इतिहास में पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार कर गया था। इस साल अब तक रुपये में करीब 10-12 फीसदी तक की गिरावट आई है।

आमतौर पर रुपये में भारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री सहित तरलता प्रबंधन के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करता है। फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 100 बिलियन अमरीकी डालर की गिरावट आ गई थी। ऐसा वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात महंगा होने के कारण हुआ था। पिछले 12 महीनों के दौरान संचयी आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 115 बिलियन अमेरीकी डालर की गिरावट आ चुकी है।

‘कई देश रुपये में ‘द्विपक्षीय व्यापार’ करने के इच्छुक,’ सीईए बोले- हमारी मुद्रा खुद इसमें सक्षम

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर से अधिक घटकर 561.04 अरब डॉलर रह गया.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की फाइल फोटो | ANI photo

नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि भारत अपनी मुद्रा रुपये का ‘बचाव’ नहीं कर रहा है और केंद्रीय बैंक द्वारा रुपये के उतार-चढ़ाव को धीमा और बाजार रुख के अनुरूप रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में एक विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके तंत्र की घोषणा के बाद कई देशों ने रुपये में ‘द्विपक्षीय व्यापार’ करने में रुचि दिखाई है.

नागेश्वरन ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि रुपये का प्रबंधन जिस तरीके से किया जा रहा है वह अर्थव्यवस्था की बुनियाद को दर्शाता है.

उन्होंने कहा, ‘भारत अपने रुपये का ‘बचाव’ नहीं कर रहा है. मुझे नहीं लगता है कि देश की बुनियाद ऐसी है जहां हमें अपनी मुद्रा का बचाव करना पड़े. रुपया इसमें खुद सक्षम है.’

अगस्त में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 80.15 प्रति डॉलर पर आ गया था. फिलहाल या 79.25 प्रति डॉलर पर है.

सीईए ने कहा, ‘रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित कर रहा है कि रुपया जिस भी दिशा में जा रहा है, वह काफी तेजी से नहीं हो और बाजार रुख के अनुरूप हो.’

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विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचाव का रुख पूंजी को यहां आने से रोक रहा है. निश्चित रूप से इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है.’

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर से अधिक घटकर 561.04 अरब डॉलर रह गया.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में एक तंत्र की घोषणा के बाद कई देशों ने रुपये में ‘द्विपक्षीय व्यापार’ करने विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके में रुचि दिखाई है.

वित्त मंत्री ने हीरो माइंडमाइन शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों के साथ पूर्ण पूंजी खाता परिवर्तनीयता की दिशा में उठाया गया कदम है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत पूंजी खाते में बदलाव के लिए तैयार है, उन्होंने कहा यह रूबल-रुपये का पुराना प्रारूप नहीं है. अब विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके यह द्विपक्षीय रुपया व्यापार का प्रारूप आया है. मुझे खुशी है कि केंद्रीय बैंक इसे ऐसे समय लाया है, जब यह बहुत महत्वपूर्ण था.

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि कई देशों ने रुपये में व्यापार करने में रुचि दिखायी है, कहा, ‘एक तरह से यह भारतीय अर्थव्यवस्था को हमारी उम्मीद से अधिक खोलने के समान है.’

सीतारमण ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के बाद भारत काफी अधिक संख्या में कुछ अलग हटकर समाधान लेकर आ रहा है…जिस तरह से हम आगे बढ़कर अन्य देशों से बात कर रहे हैं, वैसे ही हम सीमापार लेनदेन को सक्षम करने के लिए देशों के बीच अपने डिजिटल मंच को अंतर-संचालित (इंटरऑपरेबल) बनाने के भी इच्छुक हैं.’

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने इस साल जुलाई में एक विस्तृत परिपत्र जारी कर बैंकों से घरेलू मुद्रा में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि को देखते हुए रुपये में निर्यात और आयात लेनदेन के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए कहा था.

रिजर्व बैंक द्वारा रुपये में सीमापार व्यापार लेनदेन की अनुमति देने की घोषणा मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में समय पर उठाया गया कदम है.

मौजूदा समय में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका एवं यूरोप द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों के चलते रुपये में हो रहा है.

केंद्रीय बैंक ने कहा था कि व्यापार लेनदेन के निपटान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार व्यापारिक देश के बैंकों के विशेष रुपया ‘वोस्ट्रो’ खातों की जरूरत होगी. वोस्ट्रो विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके ऐसा खाता होता है जो एक संपर्ककर्ता बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है. उदाहरण के लिए किसी विदेशी बैंक का वोस्ट्रो खाता भारत में किसी घरेलू बैंक द्वारा संभाला जा रहा है. इन खातों का इस्तेमाल विदेशी व्यापार के निपटान किया जाता है.

Bangladesh Crisis: श्रीलंका की राह पर बांग्लादेश! केवल 5 महीने के आयात के लिए बचा है विदेशी मुद्रा भंडार

Bangladesh Financial Crisis: बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयात पर होने वाला खर्च बढ़ा है पर उसके मुकाबले निर्यात से होने वाला आया नहीं बढ़ा है. इसके चलते व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है.

By: ABP Live | Updated at : 17 May 2022 02:48 PM (IST)

Bangladesh Financial Crisis: श्रीलंका ( Sri Lanka) तो पहले से ही कंगाल हो चुका है अब पड़ोती मुल्क बांग्लादेश ( Bangladesh) पर भी वित्तीय संकट ( Financial Crisis) के बादल मंडरा रहे हैं. बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserves) में लगातार गिरावट आ रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी, ईंधन, माल ढुलाई और खाद्य सामग्रियों की कीमतों में उछाल के चलते बांग्लादेश का आयात खर्च बढ़ा है. जुलाई 2021 से मार्च 2022 के बीच बांग्लादेश द्वारा किए जाने वाले वस्तुओं पर खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.

आयात पर बढ़ा खर्च
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयात पर होने वाला खर्च बढ़ा है पर उसके मुकाबले निर्यात से होने वाला आय नहीं बढ़ा है. इसके चलते व्यापार घाटा ( Trade Deficit) लगातार बढ़ता जा रहा है. आयात पर ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं उस मुकाबले निर्यात से विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके विदेशी मुद्रा प्राप्त नहीं हुआ है जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है. और जितना विदेशी मुद्रा भंडार बचा है उसके जरिए केवल 5 महीने के लिए ही आयात जरुरतों को पूरा किया जा सकेगा. और अगर कमोडिटी, क्रूड और खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ती रही है पांच महीने से पहले भी भंडार खत्म हो सकता है. 2021-22 के जुलाई से मार्च के बीच बांग्लादेश में 22 अरब डॉलर के औद्योगिक कच्चे माल का आयात किया है. जो बीते साल की तुलना में 54 फीसदी ज्यादा है. कच्चे तेल के दामों में उछाल के चलते इंपोर्ट बिल 87 फीसदी बढ़ा है. उपभोक्ता उत्पादों के आयात पर 41 फीसदी इंपोर्ट बिल बढ़ा है. इन आंकड़ों से जाहिर है कि इंपोर्ट पर खर्च बढ़ता जा रहा है.

निर्यात बढ़ा पर कम आया विदेशी मुद्रा
बांग्लादेश का निर्यात का लक्ष्य 2021-22 वित्त वर्ष के 10 महीनों में ही पूरा हो गया. बांग्लादेश ने 43.34 अरब डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया. जो बीते साल से 35 फीसदी ज्यादा है. जुलाई 2021 से अप्रैल 2022 के बीच गारमेंट्स एक्सपोर्ट्स, चमड़े और उससे बने उत्पादों के निर्यात बढ़कर एक अरब डॉलर अमेरिकी डॉलर से ऊपर जा पहुंचा है. जून और उससे बने उत्पादों के एक्सपोर्ट से भी एक बिलियन डॉलर के करीब आय हुई है. ऐसे में बांग्लादेश का आयात बिल बढ़ा है तो भी निर्यात से आय बढ़ सकता है. लेकिन निर्यात बढ़ने के बावजूद आय घटी है. डॉलर की कीमतों में बैंक और ओपेन मार्केट में 8 रुपये के करीब का अंतर है. इसके चलते लोग प्रवासी बांग्लादेशी अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा भेज रहे हैं जिससे केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा की कमी आई है. बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के मुताबिक 2020-21 में प्रवासियों ने 26 अरब डॉलर से ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार भेजा था जो 2021-22 में घटकर 17 अरब डॉलर के करीब रह गया है.

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व्यापार घाटा की भरपाई
व्यापार घाटा बढ़ने से बांग्लादेश के रिजर्व बैंक को 5 अरब डॉलर से ज्यादा अपने विदेशी मुद्रा भंडार से खर्च करना पड़ा. डॉलर के मुकाबले स्थानीय करेंसी कमजोर होता जा रहा है. केंद्रीय बैंक ने टका और डॉलर का एक्सचेंज रेट 86.7 टका तय किया है लेकिन बैंक आयातकों से 95 टका वसूल कर रहे हैं. जिसके चलते आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ी है जिससे महंगाई बढ़ी है.

बांग्लादेश की सरकार ने डॉलर संकट से निपटने के लिए लग्जरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाया है तो सरकारी अधिकारियों के विदेश यात्रा को बैन कर दिया है. साथ ही गैर जरुरी परियोजनाओं के निर्माण पर अस्थाई तौर पर रोक लगा सकती है. फिलहाल बांग्लादेश के पास 42 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. परंतु आईएमएफ बांग्लादेश पर विदेशी मुद्रा का सही तरीके से गणना करने का विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके दवाब बना रहा है. अगर बांगलादेश आईएमएफ की बात मानता है तो बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में 7 से 8 अरब डॉलर की कमी आ सकती है, जिससे संकट बढ़ सकता है.

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Published at : 17 May 2022 02:28 PM (IST) Tags: Bangaldesh sri lanka economic crisis Bangaldesh Forex Reserves Bangladesh Financial Crisis हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

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