विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट

ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट
डेली अपडेट्स
मुद्रास्फीति दर: बाज़ार मुद्रास्फीति में परिवर्तन मुद्रा विनिमय दरों में परिवर्तन का कारण बनता है। उदाहरण के लिये दूसरे देश की तुलना में कम मुद्रास्फीति दर वाले देश की मुद्रा के मूल्य में वृद्धि देखी जाती है।
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इसमें निर्यात, आयात, ऋण आदि सहित कुल लेन-देन शामिल हैं।
उत्पादों के आयात पर अपने विदेशी मुद्रा कोअधिक खर्च करने के कारण चालू खाते में घाटा, निर्यात की बिक्री से होने वाली आय से मूल्यह्रास का कारण बनता है और यह किसी देश की घरेलू मुद्रा की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा देता है।
सरकारी ऋण: सरकारी ऋण केंद्र सरकार के स्वामित्व वाला ऋण है। बड़े सरकारी कर्ज वाले देश में विदेशी विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट पूंजी प्राप्त करने की संभावना कम होती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. भुगतान सन्तुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है? (2014)
- व्यापार संतुलन
- विदेशी संपत्ति
- अदृश्य का संतुलन
- विशेष आहरण अधिकार
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1, 2 और 4
उत्तर: (c)
व्याख्या:
- भुगतान संतुलन (BoP) दो मुख्य पहलुओं से बना है: चालू खाता और पूंजी खाता।
- BoP का चालू खाता वस्तुओं, सेवाओं, निवेश आय और हस्तांतरण भुगतानों के प्रवाह व बहिर्वाह को मापता है। सेवाओं में व्यापार (अदृश्य); माल के रूप में व्यापार (दृश्यमान); एकतरफा स्थानांतरण; विदेशों से प्रेषण; अंतर्राष्ट्रीय सहायता चालू खाते के कुछ मुख्य घटक हैं। जब सभी वस्तुओं और सेवाओं को संयुक्त किया जाता है, तो वे एक साथ मिलकर किसी देश का व्यापार संतुलन (BoT) को दर्शाता है। अतः कथन 1 और 3 सही हैं।
- BoP का पूंजी खाता किसी देश के निवासियों और बाकी दुनिया के बीच उन सभी लेनदेन को रिकॉर्ड करता है, जो देश के निवासियों या उसकी सरकार की संपत्ति या देनदारियों में बदलाव का कारण बनते हैं
- निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा ऋण और उधार; निवेश; विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन पूंजी खाते के घटकों के कुछ उदाहरण हैं। अतः कथन 2 और 4 सही नहीं हैं। इसलिये विकल्प (c) विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट सही उत्तर है।
Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट! 9.6 अरब विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट डॉलर घटे
Forex Reserves Update: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 11 मार्च को देश का साप्ताहिक विदेशी मुद्रा भंडार 9.6 अरब डॉलर गिरकर 622.3 अरब डॉलर रह गया है जो दो वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट है।
विदेशी मुद्रा भंडार में दी वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट
9.6 अरब डॉलर की आई कमी
स्वर्ण भंडार में फिर बढ़ोतरी
HR Breaking News : नई दिल्ली: Forex Reserves Shrinks 9.6 Billion Dollar: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9.6 अरब डॉलर गिरकर 622.3 अरब डॉलर पर आ गया ।
दो साल में सबसे बड़ी गिरावट (Biggest drop in two years)
गौरतलब है कि इससे पहले 20 मार्च 2020 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 11.9 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी. यानी दो साल में ये गिरावट सबसे बड़ी गिरावट रही है. इससे पहले चार मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 39.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 631.92 अरब डॉलर हो गया था. बता दें कि बीते साल सितंबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. आरबीआई ने बताया कि यह गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के घटने की वजह से आई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
यह भी जानिए
स्वर्ण भंडार में फिर बढ़ोतरी (Gold reserves rise again)
आरबीआई की तरफ से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, क्रिटिकल हफ्ते में देश के स्वर्ण भंडार में 1.522 अरब डॉलर बढ़ोतरी दर्ज की गई है और अब यह बढ़कर 43.842 अरब डॉलर हो गया है। वहीं, इसी हफ्ते में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 5.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.928 अरब डॉलर रह गया है। आरबीआई की इस रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ में रखा देश का मुद्रा भंडार 70 लाख डॉलर घटकर 5.146 अरब डॉलर रह गया है. वर्तमान में भंडार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 642 अरब डॉली से लगभग 20 अरब डॉलर कम है।
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रिकॉर्ड स्तर से कम हुई भारत की विदेशी दौलत, दो महीने बाद आई बड़ी गिरावट
नई दिल्ली। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आठ सप्ताह की तेजी के बाद गिरावट देखने को मिली है। 27 नवंबर को समाप्त सप्ताह में गिरावट दर्ज की गई। जिसके बाद भारत की विदेशी दौलत में 46.90 करोड़ डॉलर की कमी देखने को मिली। जबकि स्वर्ण भंडार में गिरावट देखने को मिली है, जोकि इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत नहीं है। वहीं दूसरी ओर विदेशी परिसंपत्ति में इजाफा देखने को मिला है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई की ओर से किस तरह के आंकड़े पेश किए हैं।
दो महीने बाद देखने को मिली गिरावट
27 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत की विदेशी दौलत में 46.90 करोड़ डॉलर की कमी आने के बाद घटकर 574.82 अरब डॉलर पर आ गया हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में लगातार आठवें सप्ताह तेजी दर्ज कर विदेशी मुद्रा भंडार 2.52 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 575.विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट 29 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 अरब डॉलर गिरा, अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कम
Published: August 27, 2022 8:52 PM IST
मुंबई:विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट हो गया है. प्रभुदास लीलाधर में अर्थशास्त्री और क्वांट विश्लेषक ऋतिका छाबड़ा ने कहा, “भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को घटकर 564 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है. आरबीआई (Reserve Bank of India) के साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों से पता चलता है कि 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया. इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मौजूदा परिसंपत्तियों में गिरावट है, जिसका उपयोग आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये में गिरावट को कम करने के लिए कर रहा है.”
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इससे पहले के सप्ताह में 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट गया था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में वृद्धि को छोड़कर हर एक सप्ताह में रिजर्व विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट में गिरावट आई है. फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह 26 सप्ताहों में से 20 के लिए गिर गया है.
समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 5.779 अरब डॉलर गिरकर 501.216 अरब डॉलर हो गया. आगे बढ़ते हुए, छाबड़ा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार निकट अवधि में दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि डीएक्सवाई जुलाई के मध्य में अपने उच्च स्तर पर वापस आ गया है और तेल की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है.
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ऐसा क्यों हुआ?
विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.
ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.