Share market क्या होता है

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम
अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इससे होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.
यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.
Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.
कैपिटल गेन टैक्स दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. यह वर्गीकरण शेयरों की होल्डिंग पीरियड के अनुसार किया जाता है. होल्डिंग पीरियड का मतलब है- निवेश की तारीख से बिक्री या ट्रांसफर की तारीख. आइए जानते हैं कि यह क्या है.
LIC New Endowment Plan: एलआईसी के इस प्लान में रोज बचाएं सिर्फ 71 रुपये, मैच्योरिटी पर मिलेंगे 48.75 लाख रुपये
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.
2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)
अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.
अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)
स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर Share market क्या होता है 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
इंट्रा-डे, फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर टैक्स
अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
Share Market: जाने क्या है Insider Trading, सरकार इसको क्यों मानती है अपराध?
Share Market Update News: किसी कंपनी को जब Share market क्या होता है अपना विस्तार करना होता है और उसके लिए पैसे चाहिए होते हैं तो उसके पास पैसा बनाने के कई विकल्प होते हैं. उन्हीं विकल्पों में से एक होता है, अपनी हिस्सेदारी को लोगों में बांटना. इसके साथ कंपनी आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) निकालती है. आप कंपनी को पैसे देकर इन आईपीओ (कंपनी में हिस्सेदारी) को कंपनी से सीधा खरीद सकते हैं. इसके साथ ही कंपनी के ये शेयर आप कभी भी और किसी को भी बेच सकते हैं.
क्या होता है प्राइमरी और सेकेंड्री मार्केट
लेकिन जब कंपनी शेयर बेच रही थी, तब अगर आप उनको नहीं खरीद पाए और अब आप उन्हें खरीदना चाहते हैं तो आप किसी और से ये शेयर खरीद सकते हैं. आईपीओ के अलावा आप एक बार भी न तो कंपनी से शेयर खरीदते हैं और न ही कंपनी को बेचते हैं. आप तो किसी ओर से शेयर खरीद रहे हैं और किसी और को ही शेयर बेच रहे हैं. यहां आप सेकेंड हैंड शेयरों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. इसलिए जहां आईपीओ से शेयरों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, उसे प्राइमरी और जहां सेकेंड हैंड शेयरों की बिक्री-खरीद हो रही है, उसे सेकेन्ड्री मार्केट कहा जाता है. आप जो रोजना Share market क्या होता है शेयर मार्केट की खबरें सुनते हैं, वो वास्तव में एक सेकेन्ड्री मार्केट है.
ऐसे घटते बढ़ते है शेयरों के दाम
शेयर मार्केट में भी डिमांड व सप्लाई के हिसाब से दामों का घटना बढ़ना होता है. अगर किसी कंपनी के शेयरों की डिमांड ज्यादा होगी तो उसके शेयरों के दाम बढ़ते चले जाएंगे और मांग घटती है तो दाम घटते चले जाएंगे. इस शेयरों की डिमांड कंपनी की परफोर्मेंस के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है. उदाहरण के तौर पर कंपनी ने अगर कोई में कोई ऐसी चीज बनाई है, जिसकी मांग आगे चलकर बढ़ने वाली है तो उसके शेयरों की डिमांड बढ़ती चली जाएगी. कोरोना काल के दौरान बिल्कुल ऐसा ही हुआ. कोरोना महामारी में फार्मा कंपनी के साथ ऐसा ही हुआ, क्योंकि टीका बनाने की तैयारी चल रही थी और सबको पता था कि टीका जब भी आएगा, उसकी मांग में बड़ा उछाल आएगा. इसके विपरीत कोई कंपनी अगर घाटे में जा रही या उसका कोई विवाद चल रहा है तो उसके शेयरों की डिमांड कम होगी.
शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले तीन तरह के निवेशक होते हैं-
1- इंवेस्टर्स- ये एक या कई कंपनियों के शेयर खरीदकर, लंबे समय तक उन शेयरों को अपने Share market क्या होता है Share market क्या होता है पास रखते हैं. इनको बाजार में समय-समय पर होने वाले उतार चढ़ाव से कोई फर्क नहीं पड़ता. वो धीरे-धीरे अपना निवेश पढ़ाते रहते हैं. पांच या दस साल बीत जाने के बाद ये पैसा निकालते हैं. इस तरह की ट्रेडिंग को वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता है.
2- स्विंग ट्रेडर्स- ऐसे निवेशक कुछ महीनों या कुछ दिनों के लिए किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उम्मीद के हिसाब से फायदा या नुकसान देखकर पैसा निकालते हैं. इस तरह की ट्रेडिंग में रिस्क ज्यादा होता है, लेकिन रिटर्न भी उसी हिसाब से मिलता है.
3- इंट्राडे ट्रेडर्स- ऐसे ट्रेडर्स रोजाना शेयर खरीदते हैं और रोजाना शेयर बेचते हैं. ऐसे ट्रेडर्स को गैंबलर भी कहा जाता सकता है. ये एक दिन के हिसाब से पैसा कमाते हैं और लाखों की रकम कमा या गंवा सकते हैं.
क्या है इनसाइडर ट्रेडिंग-
जब किसी व्यक्ति या संस्था के पास किसी कंपनी से जुड़ी यूपीएसआई (अनपब्लिशड प्राइज इंफोर्मेशन) होती है. ऐसे में उसके द्वारा की गई ट्रेडिंग को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है. यूपीएसआई का मतलब कंपनी के शेयरों के बारे में ऐसी बहुत ही संवेदनशील जानकारी जो अभी तक पब्लिशड नहीं हुई है. मतबल सेबी और मीडिया को रिपोर्ट नहीं हुई है. यूपीएसआई का एक्सेस रखने वाले व्यक्ति को इनसाइडर ट्रेडर मान लिया जाता है, जैसे कि कंपनी के कर्मचारी या कंपनी के प्रमोटर्स. ऐसा ज्यादातर इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है. आपको Share market क्या होता है बता दें कि हर बड़ी कंपनी को अपने तिमाही रिजल्ट या कोई भी बड़ी जानकारी सेबी को रिपोर्ट करना होता है.
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका Share market क्या होता है जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
10
5
5
5
नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी Share market क्या होता है नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी Share market क्या होता है शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
Share market क्या होता है
क्या आप जानते है की शेयर क्या होता है, Share Market Kya Hai in Hindi अगर नहीं तो कोई बात नहीं आज की इस लेख में हम यही जानेंगे की शेयर क्या होता है इससे पहले हाय हेल्लो नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट bebicrypto पर अगर आप क्रिप्टो करेंसी और शेयर मार्केट से जुडी जानकारी पढने में रूचि रखते है तो आप हमारे वेबसाइट पर visit कर सकते है.
Table of Contents
शेयर क्या है? (Share Kya Hai)
व्यवसाय और निवेश में शेयर का बड़ा चर्चा किया जाता है की शेयर क्या होता है शेयर Share market क्या होता है को हिंदी में अंश कहते है अर्थात टुकरा स्टॉक मार्केट में शेयर का अर्थ किसी भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को खरीदना शेयर कहलाता है.
स्टॉक मार्केट क्या है? (Share Market Kya Hai in Hindi)
शेयर मार्केट दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शेयर जिसमें शेयर का मतलब एक दूसरे के साथ किसी प्रोडक्ट को इधर से उधर करना तथा मार्केट का मतलब जहां पर खरीदने के लिए तथा बेचने के लिए वह प्रोडक्ट AVILABLE हो उसे हम शेयर मार्केट कहते हैं अगर सामान्य शब्दों में कहूं तो जहां हम किसी किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते है और उसी शेयर को सही समय आने पर भी उसे शेयर मार्केट कहते हैं.
शेयर क्या होता है? (Share Kya Hota Hai)
किसी कंपनी के कुल स्वामित्व लाखो-करोडों टुकरे में बंटे होते है स्वामित्व का हर एक टुकरा या अंश शेयर कहलाता है. जिसके पास जितना ज्यादा टुकरा उतनी ही ज्यादा उसकी उस कंपनी में हिस्सेदारी इस हिस्सेदारी को लोग खरीद और बेच भी सकते है भारत में दो सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है पहला बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दूसरा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
शेयर होल्डर किसे कहते है? (Share holder kise khate hai)
किसी भी कंपनी के हिस्सेदारी को एक शेयर होल्डर ही खरीदता है और बड़े उम्मीद के साथ लंबे समय तक होल्ड करके रखते है शेयर होल्डर कहलाता है. एक शेयर होल्डर ही होता है जो शेयर को खरीदता है और मुनाफा कमाता है अगर आसान शब्दों में कहू तो जो व्यक्ति किसी कंपनी या संस्थान के हिस्सेदारी को खरीदता है वह कंपनी या संस्थान के हिस्सेदार बन जाते है अर्थात शेयर का मालिक बन जाते है जो व्यक्ति उस शेयर को खरीदता है वो शेयर होल्डर कहलाता है
शेयर होल्डर किसी कंपनी या संस्थान के शेयर को खरीद कर बड़ी उम्मीद के साथ उस शेयर को होल्ड करके रखता है और जब शेयर का मूल्य शेयर होल्डर के उम्मीद के अनुसार हो जाता है तो शेयर होल्डर मुनाफा में बेच देता है.
कंपनी क्यों करती है अपनी शेयर जारी
आपको में एक उदाहरण के द्वारा समझाता हु माना की आपकी कंपनी xyz है जो T-Shirt बनाती है जिसको शुरु करने में 1Cr रुपया लगा और वह xyz कंपनी एक महीने में 10000 टी-शर्ट बनाती है जो लोगो के द्वारा काफी पसंद किए जाते है उन टी-शर्ट का डिमांड मार्केट में काफी ज्यादा है तो कम्पनी के एक प्लांट से उतना टी-शर्ट नहीं बन पाता है तो कंपनी एक और प्लांट खोलना चाहती है जिसके लिए उन्हें फिर से एक करोड़ चाहिए तो वह कंपनी दो काम कर सकती है पहला अपने फ्रेंड, फेमिली या बैंक से कर्ज ले सकती है और दूसरा पब्लिक से पैसा ले सकती है, जब कंपनी पब्लिक से पैसा लेती है तो पब्लिक को कंपनी का शेयर दिया जाता है यही कारण है की कंपनी अपनी शेयर को मार्केट में इशू करती है
शेयर के प्रकार (Types of Share)
वैसे तो शेयर के बहूत से प्रकार है परन्तु मुख्यतः शेयर के तीन प्रकार होते है
इक्विटी शेयर Equity Share : इक्विटी शेयर को सामन्य शेयर के रूप में जाना जाता है ये शेयर केआप प्रकार में से एक है स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनी जब अपना शेयर मार्केट में इशू करती है तो उन शेयर को इक्विटी शेयर कहा जाता है
अन्य और शेयर की तुलना में इक्विटी शेयर पर सबसे ज्यादा इन्वेस्ट और ट्रेडिंग किए जाते है क्योकि शेयर लगभग सभी कंपनी के द्वारा इशू किए जाते है
वरीयता शेयर : शेयर बाजार में इक्विटी शेयर के बाद परेफरेंस शेयर का नाम आता है वैसे इक्विटी शेयर और परेफरेंस शेयर में ज्यादा अंतर नहीं है क्योकि ये दोनों शेयर ही है परन्तु कुछ बाते है जो इक्विटी शेयर को परेफरेंस शेयर से अलग करती है जैसे शेयर होल्डर कभी भी कम्पनी के मीटिंग में वोटिंग नहीं कर सकता है
DVR (Differential Voting Rights) : इस शेयर की मात्रा बाजार में कम होती है वोट राईट कम होती है इसी वजह से DVR शेयर में मूल्य कम होते है
शेयर कैसे ख़रीदे (Share Kaise Kharide)
किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिए आपके पास Demate Account होना आवश्यक है demate अकाउंट आप किसी भी ब्रोकर की सहायता से खुलवा सकते है तभी आप किसी भी कंपनी में निवेश कर पाएंगे
Demat Account क्या है? (What is Demat Account in Hindi)
जब हमें किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदना होता है तो हम सीधे कंपनी पर इन्वेस्ट नहीं कर सकते है किसी ब्रोकर की सहायता से इन्वेस्ट करना होता है आप से कुछ वर्ष पहले जब इन्टरनेट उतना पोपुलर नहीं था तब किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए चार से पांच Share market क्या होता है माह लग जाता था परन्तु आज जब हमारा पूरा प्लानेट डिजिटल हो रहा है गया है जहाँ एक शेयर को खरीदने के लिए 4 से 5 माह लगते थे वही आज कुछ मिनटों में किसी भी कंपनी के शेयर को खरीद और बेच सकते है
आज बहूत सारे मार्केट में ब्रोकर है जो demat account खोल देते है जिसमे कुछ फ्री होते है तो कुछ चार्ज Share market क्या होता है करते है जिनका लिंक नीचे दिया गया है जहाँ से आप demat account खोल सकते है
शेयर को हिंदी में अंश कहते है ये किसी भी कंपनी के कुल पुंगी का एक छोटा सा भाग होता है
शेयर का अर्थ यहं ये नहीं है की की किसी भी सोशल मिडिया में किसी विडियो को शेयर करना स्टॉक मार्केट में शेयर का अर्थ हिस्सेदारी होता है जब भी कंपनी के कुल भागीदारी में कुछ टुकरा खरीदते है तो हमें उस कंपनी का हिस्सेदार बनाया जाता है जितनी ज्यादा शेयर उतने ज्यादा हिस्सेदारी
बहूत सारे लोग यह करते है की जैसे ही मार्केट खुला वैसे ही शेयर खरीद लेते है और जैसे ही मार्केट बंद होने वाला होता है शेयर बेच देते है वैसे इस प्रोसेस को intraday कहा जाता है ऐसे में आप छोटे प्रॉफिट तो कमा लेंगे परन्तु बड़े प्रॉफिट नहीं कमा पाएंगे एक सभी इन्वेस्टर का काम होता है की शेयर कम मूल्य पर खरीद कर उसे लंबे समय तक होल्ड करके रखना और जब उस शेयर का मूल्य ज्यादा हो जाए तो उसे सेल कर देना
एक सही शेयर को चुनना अति आवश्यक है क्योकि एक शेयर ही आपको प्रॉफिट दिला सकता है एक सही शेयर को चुनने के लिए आप नीचे लिए गए बातों को ध्यान में रखे
अंतिम विचार : (Share Market Kya Hai in Hindi?)
आसा करता हु की इस लेख में बताया गया बात आपको समझ आया होगा मेरा यही कोशिस कर रहता है की एक ही लेख में किसी भी टॉपिक्स के उपर सारी जानकारी दे दु वैसे इस पोस्ट में हमने बताया है की शेयर क्या होता है (What is Share Market in Hindi?), शेयर मार्केट को हिंदी में क्या कहते है और बहूत कुछ आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया ग्रुप में जरुर शेयर करे