स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं

Share market kya hai|Share baza kya hai
किसी कंपनी का शेर कभी अच्छा रिटर्न देता है। कभी वह नेगेटिव रिटर्न देता है शेयर बाजार में निवेश करने के लिए के पैन कार्ड, डिमैट अकाउंट और स्टॉक ब्रोकर की आवश्यकता होती है, जिसकी मदद से आप शेयर को खरीद और बेच सकते हैं।
आप ने जिस भी कंपनी का शेयर को खरीद है, आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हो, अगर उस कंपनी के शेयर की प्राइस ऊपर जाएगी तो आपका मुनाफे बढ़ेगा अगर कंपनी के शेयर में गिरावट आएगी तो आपका मुनाफा भी घटेगा।
लोग शेयर बाजार में निवेश करने से घबराते हैं, क्योंकि वे इसको जुआ और सट्टे का बाजार समझते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। शेयर मार्केट के बारे में लोगो को ज्यादा जानकारी नहीं होती है, और दूसरे के कहने पर निवेश करते हैं।
ताकि वे जल्दी से जल्दी अमीर बन सके जिसके चलते वे जल्दी ही अपना पैसा शेयर बाजार में गवा देते हैं, अगर आप शेयर बाजार को भलीभांति जानते हो और अच्छी तरह रिसर्च करके शेयर की खरीदारी करते हो तो निश्चित तौर पर आप शेयर बाजार में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हो, वारेन बफेट जो कि विश्व के पांचवें नंबर के सबसे अमीर आदमी है। जो कि एक शेयर इन्वेस्टर है।
शेयर मार्केट की सही जानकारी हो तो अच्छा पैसा बना सकते हो इसका उदाहरण वारेन बफेट और राकेश झुनझुनवाला है। इसके लिए आपको रिसर्च की आवश्यकता होगी और बाजार के मूड को समझ कर सही शेयर में निवेश करना ही समझदारी होगी शेयर बाजार से संबंधित खबरें बिज़नेस टीवी चैनल और समाचार पत्र से प्राप्त कर सकते है।
शेयर कितने प्रकार के होते हैं
Table of Contents
शेयर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
- इक्विटी शेयर (Equity Share)
- प्रेफरेंस शेयर (Preference)
- डीवीआर शेयर (DVR)
स्टॉक एक्सचेंज क्या है
स्टॉक एक्सचेंज जहां से शेयर मार्केट का कारोबार किया जा जाता है स्टॉक एक्सचेंज बाजार की तरह कार्य करता है यहां पर स्टॉक, बॉन्ड और कमोडिटी इत्यादि का कार्य किया जाता है। सेबी( SEBI) के नियमों का पालन करते हुए स्टॉक मार्केट मे व्यापार स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं किया जाता है। शेयर मार्केट में केवल वही कंपनियां व्यापार कर सकते हैं जो इसमें सूचीबद्ध हो। भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE)
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE)
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE) की स्थापना 1975 में मुंबई में हुई यो यह स्टॉक एक्सचेंज एशिया महाद्वीप का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है इसमें 6000 से अधिक कंपनियां लिस्टेड है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) की स्थापना 1992 मे मुंबई में हुई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को इलेक्ट्रिक एक्सचेंज के तौर पर मान्यता प्राप्त है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग वाला एक्सचेंज है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) निफ़्टी 50 के रूप में विख्यात है।
आईपीओ (IPO)क्या है
अगर आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं तो आपको आईपीओ के बारे में जानकारी होना आवश्यक आईपीओ का मतलब यह है कि कोई भी कंपनी शेयर बाजार में आने से पहले अपने शेयरों को निजी तौर पर पब्लिक को शेयर करती हैं जब कंपनी अपने शेयर को पहली बार जनता के सामने लाती है। उसे हम IPO कहते हैं। आईपीओ के माध्यम से कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है।
आईपीओ(IPO) क्यों लाया जाता है
किसी भी कंपनी द्वारा आईपीओ(IPO) लाने का मुख्य कारण फंड जुटाना अगर कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ना चाहती है। या पहली बार बिजनेस कर रही है तो उसे फंड को आवश्यकता होती है ।
अगर वह बैंक से लोन लेती है तो इससे उसको भारी ब्याज बैंक को देना पड़ेगा इसके बजाय कंपनी शेयर के माध्यम से निवेशकों को लाती है।
जो भी निवेशक शेयर खरीदता है वह कंपनी का हिस्सेदार बन जाता है। जिससे कंपनी को फंड मिल जाता है, और निवेशक को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। इससे निवेशक और कंपनी दोनों को फायदा हो जाता है।
शेयर मार्केट को कैसे सीखें
आज के समय में शेयर मार्केट को सीखना काफी आसान है कि इसके लिए आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है इंटरनेट के माध्यम से आप शेयर बाजार की सभी सवालों के उत्तर आसानी से प्राप्त कर सकते हो क्योंकि इंटरनेट पर आपको काफी जानकारी प्राप्त हो जाती है।
- शेयर मार्केट का कोर्स कर सकते हो जो कि आपको बारीकी से इसके बारे में जानकारी हासिल कर सकते है।
- शेयर मार्केट से संबंधित बुक पढ़कर भी आप शेयर मार्केट अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं जिन से आपको मोटिवेशन मिलता है।
- सोशल मीडिया मैं भी बहुत से एक्टिव चैनल है जोकि शेयर बाजार से संबंधित जानकारियां शेयर करते हैं तथा यहां पर आपको बहुत सारी फ्री में वीडियो भी मिल जाते हैं जिससे आप शेयर मार्केट की बारीकियों को समझने में आसानी होती है।
- शेयर बाजार में सफल निवेशकों को फॉलो कर उनकी बताई गई रणनीति को अपना सकते हो।
- सफल इन्वेस्टर की जीवनी को पढ़ सकते हो जिसे आप को शेयर मार्केट सीखने का मोटिवेशन मिल सके।
- शेयर मार्केट मे डिमैट अकाउंट खुला कर कम पैसे से निवेश शुरू करें जिससे आपका शेयर मार्केट में अनुभव बढ़ेगा। और आप कुछ सीखने का मौका मिलेगा।
शेयर कैसे खरीदें
शेयर खरीदने के लिए आपके पास एक डीमेट अकाउंट होना आवश्यक है जिसके माध्यम से आप आसानी से शेयर खरीद और बेच सकते हो। शेयर आप Angle broking, up stock और Zrodha से ऑनलाइन खरीद सकते हो।
शेयर खरीदने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट
- पैन कार्ड
- आधार कार्ड
- बैंक का अकाउंट नंबर
- डिमेट अकाउंट
ऑनलाइन शेयर कैसे खरीदें
- जिस भी स्टॉक ब्रोकर में आपका डिमैट अकाउंट है उसको ओपन करें।
- सब पहले अपने अकाउंट में फंड ऐड करें ।
- अपने पसंदीदा शेयर को सर्च बार मैं सच करें उसके बाद आपके शेयर के ऊपर बीएससी और एनएससी एक्सचेंज मैं से किसी को सेलेक्ट करें।
- अगर आपको लॉन्ग टर्म के शेयर खरीदना है तो डिलीवरी के ऑप्शन को चुने ट्रेडिंग के लिए इंट्राडे को चुने।
- Buy के ऑप्शन पर क्लिक करें।
- इस प्रकार केयर सियर आपके पोर्टफोलियो में ऐड हो जाएंगे।
- क्रिप्टो करेंसी क्या है
- बिटकॉइन से हिंदी में जानकारी
शेयर कब खरीदे और कब बेचे
शेयर को खरीदने से पहले आपको उस शेयर के बारे में पूरी तरह से रिसर्च कर ले शेयर का 52 week price high rate और 52 week low price rate क्या है।
जब शेयर low price मे Trade कर रहा है उस समय शेयर को खरीद लेना चाहिए ।जब शेयर high price में ट्रेड कर रहा हो तो उसको स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं बेच देना चाहिए, ताकि आप उसके मुनाफे का लाभ उठा सकें इसके अलावा भी आप जिस कंपनी का शेयर को खरीदना चाहते हो तो आपको उस कंपनी का फंडामेंटल और टेक्निकल डाटा का पता होना चाहिये।
IPO से करना चाहते है कमाई तो ध्यान रखें ये अहम बातें वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ ( IPO ) में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है.
Updated on: Mar 11, 2021 | 3:27 PM
आज के दौर में हर इंसान की चाहत होती है कि ऐसा काम करें जिसमें जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमा सकें. अपने पैसे को जल्दी बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद है. शेयर बाजार और आईपीओ भी इन्हीं में से एक है. अगर आपकी रणनीति सही काम कर गई तो आप आईपीओ के जरिए जल्दी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन किसी भी निवेश के साथ उसका जोखिम भी जुड़ा होता है. ऐसा ही कुछ आईपीओ के साथ भी है.
आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है और कुछ में 400% भी है. 11 शेयरों ने अपने लिस्टिंग के दिन से लाभ देना शुरू कर दिया और 6 स्टॉक ने पहले दिन 70% से अधिक का रिटर्न दिया. हालांकि, आईपीओ निवेश कोई आसान नहीं हैं. ऐसे कई फेक्टर हैं, जिन पर आपको यह सुनिश्चित करने के लिए विचार करना चाहिए कि आपका आईपीओ नुकसानदायक होने देने के बजाय लाभदायक है. अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो आपको फायदे के बदले नुकसान उठाना पड़ सकता है.
किसी भी आईपीओ को खरीदने से पहले पूरा रिसर्च करें
आईपीओ तब जारी होता है जब कोई कंपनी पहली बार एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जा रहा है. लिस्टिंग के बाद जरूर कंपनियों को तिमाही आधार पर अपने प्रमुख वित्तीय आंकड़ों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. हालांकि, कंपनी के ‘सार्वजनिक होने’ से पहले की जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है. कंपनी के सभी प्रासंगिक आंकड़े वास्तव में डीआरएचपी या ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में होते हैं. बस ध्यान रखें कि इस तरह के ड्राफ्ट कंपनियां खुद ही फंड जुटाने के उद्देश्य से बनाती हैं, इसलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले रिसर्च बेहद अहम है.
मूल्यांकन पर ध्यान देना अहम
शेयरों का आवंटन प्राप्त करने के लिए जल्दबाजी में यह देखा गया है कि बहुत से निवेशक किसी कंपनी या उसके मौलिक विश्लेषण के मूल्यांकन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. हालांकि, डीआरएचपी में जो कुछ भी दिया गया है, उसके अलावा किसी कंपनी के लिए मौलिक विश्लेषण करने के लिए कोई अन्य डेटा पॉइंट्स उपलब्ध नहीं होते हैं. सार्वजनिक होने वाली कंपनियां आमतौर पर अपने निवेशकों से बहुत ज्यादा मूल्यांकन की उम्मीद करती है. आप हमेशा इसके बारे में सटीक विचार प्राप्त करने के लिए उस उद्योग में उसके समकक्षों या सामान्य प्रवृत्ति को परख सकते हैं. यदि सार्वजनिक होने वाली कंपनी अपनी तरह की पहली है, तो ऐसे में प्रतिस्पर्धी विश्लेषण करना और भी कठिन हो जाता है.
क्यूआईबी भागीदारी को मॉनिटर करें
सार्वजनिक होने वाली कोई भी कंपनी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) या योग्य संस्थागत खरीदारों के लिए विशेष पिच बनाती है. क्यूआईबी सेबी-रजिस्टर्ड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं बैंक, म्यूचुअल फंड और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) हैं जो आमतौर पर दूसरों की ओर से धन का निवेश करते हैं. स्टॉक की क्षमता का पता लगाने के लिए समर्पित नेटवर्क होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया में एक पार्टी होने के नाते क्यूआईबी की भागीदारी को अक्सर स्टॉक के भविष्य के प्रदर्शन का बैरोमीटर माना जाता है.
डीआरएचपी को अच्छे से पढ़ें
सभी कंपनियों को सार्वजनिक रूप से अपने बिजनेस ऑपरेशंस, राजस्व, संपत्ति, देनदारियों, बाजार परिदृश्य का विस्तृत विवरण देना अनिवार्य है, और वे अपने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में अपनी बढ़ी हुई पूंजी का उपयोग कैसे करेंगे, यह भी बताना होता है। निवेशकों को हर चीज के बारे में जानकारी देनी होती है ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। हालांकि, डीआरएचपी में भी कई तथ्य छिपे होते हैं, यदि आप विवरण को विस्तार से और गहराई से देखते हैं, तो आप निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण टेकअवे भी प्राप्त कर सकते हैं. ऐतिहासिक प्रदर्शन जैसे फेक्टर के साथ ही कंपनी अपने फंड का उपयोग कैसे करेगी, इस पर विशेष ध्यान दें. यदि यह अपने इच्छित उद्देश्य के रूप में आरएंडडी या व्यावसायिक विस्तार का दावा करता है, तो यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे भविष्य में विकास संभव है. लेकिन अगर धन उगाहने की पहल देनदारियों का भुगतान करना है, तो कंपनी की बैलेंस शीट और इसमें इसकी हिस्सेदारी का अधिक विस्तृत विश्लेषण करना बेहतर है.
टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं
आईपीओ और इन-डेप्थ एनालिसिस में जिस डायनामिज्म की आवश्यकता होती है, उसे देखते हुए त्रुटियों के लिए कम गुंजाइश छोड़ते हुए किसी को काम करने देना बेहतर होगा। आज, भारत में निवेश की सिफारिश करने वाले इंजन हैं जो 1 बिलियन से अधिक डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण करके बेंचमार्क नतीजों को स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं सामने रखते हैं। अच्छी खबर यह है कि वे आईपीओ-केंद्रित सलाह भी देते हैं. आप यह समझने के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं कि किस आईपीओ में भाग लेना है और किसमें भाग नहीं लेना है.
कोई आईपीओ जितना आकर्षक हो सकता है, उससे जुड़ा रिस्क फेक्टर भी कुछ ऐसा है जिससे आपको सावधान रहना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखकर आईपीओ में निवेश करते हैं तो आपको लाभ मिल सकता है.
IPO से करना चाहते है कमाई तो ध्यान रखें ये अहम बातें वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ ( IPO ) में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है.
Updated on: Mar 11, 2021 | 3:27 PM
आज के दौर में हर इंसान की चाहत होती है कि ऐसा काम करें जिसमें जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमा सकें. अपने पैसे को जल्दी बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद है. शेयर बाजार और आईपीओ भी इन्हीं में से एक है. अगर आपकी रणनीति सही काम कर गई तो आप आईपीओ के जरिए जल्दी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन किसी भी निवेश के साथ उसका जोखिम भी जुड़ा होता है. ऐसा ही कुछ आईपीओ के साथ भी है.
आकंडों की बात करें तो 2020 में लॉन्च किए गए 15 मेनलाइन आईपीओ में से 14 स्टॉक अभी अपने इश्यू प्राइस से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं. कई मामलों में, रिटर्न 200% से अधिक है और कुछ में 400% भी है. 11 शेयरों ने अपने लिस्टिंग के दिन से लाभ देना शुरू कर दिया और 6 स्टॉक ने पहले दिन 70% से अधिक का रिटर्न दिया. हालांकि, आईपीओ निवेश कोई आसान नहीं हैं. ऐसे कई फेक्टर हैं, जिन पर आपको यह सुनिश्चित करने के लिए विचार करना चाहिए कि आपका आईपीओ नुकसानदायक होने देने के बजाय लाभदायक है. अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो आपको फायदे के बदले नुकसान उठाना पड़ सकता है.
किसी भी आईपीओ को खरीदने से पहले पूरा रिसर्च करें
आईपीओ तब जारी होता है जब कोई कंपनी पहली बार एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जा रहा है. लिस्टिंग के बाद जरूर कंपनियों को तिमाही आधार पर अपने प्रमुख वित्तीय आंकड़ों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. हालांकि, कंपनी के ‘सार्वजनिक होने’ से पहले की जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है. कंपनी के सभी प्रासंगिक आंकड़े वास्तव में डीआरएचपी या ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में होते हैं. बस ध्यान रखें कि इस तरह के ड्राफ्ट कंपनियां खुद ही फंड जुटाने के उद्देश्य से बनाती हैं, इसलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले रिसर्च बेहद अहम है.
मूल्यांकन पर ध्यान देना अहम
शेयरों का आवंटन प्राप्त करने के लिए जल्दबाजी में यह देखा गया है कि बहुत से निवेशक किसी कंपनी या उसके मौलिक विश्लेषण के मूल्यांकन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. हालांकि, डीआरएचपी में जो कुछ भी दिया गया है, उसके अलावा किसी कंपनी के लिए मौलिक विश्लेषण करने के लिए कोई अन्य डेटा पॉइंट्स उपलब्ध नहीं होते हैं. सार्वजनिक होने वाली कंपनियां आमतौर पर अपने निवेशकों से बहुत ज्यादा मूल्यांकन की स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं उम्मीद करती है. आप हमेशा इसके बारे में सटीक विचार प्राप्त करने के लिए उस उद्योग में उसके समकक्षों या सामान्य प्रवृत्ति को परख सकते हैं. यदि सार्वजनिक होने वाली कंपनी अपनी तरह की पहली है, तो ऐसे में प्रतिस्पर्धी विश्लेषण करना और भी कठिन हो जाता है.
क्यूआईबी भागीदारी को मॉनिटर करें
सार्वजनिक होने वाली कोई भी कंपनी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) या योग्य संस्थागत खरीदारों के लिए विशेष पिच बनाती है. क्यूआईबी सेबी-रजिस्टर्ड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, बैंक, म्यूचुअल फंड और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) हैं जो आमतौर पर दूसरों की ओर से धन का निवेश करते हैं. स्टॉक की क्षमता का पता लगाने के लिए समर्पित नेटवर्क होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया में एक पार्टी होने के नाते क्यूआईबी की भागीदारी को अक्सर स्टॉक के भविष्य के प्रदर्शन का बैरोमीटर माना जाता है.
डीआरएचपी को अच्छे से पढ़ें
सभी कंपनियों को सार्वजनिक रूप से अपने बिजनेस ऑपरेशंस, राजस्व, संपत्ति, देनदारियों, बाजार परिदृश्य का विस्तृत विवरण देना अनिवार्य है, और वे अपने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में अपनी बढ़ी हुई पूंजी का उपयोग कैसे करेंगे, यह भी बताना होता है। निवेशकों को हर चीज के बारे में जानकारी देनी होती है ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। हालांकि, डीआरएचपी में भी कई तथ्य छिपे होते हैं, यदि आप विवरण को विस्तार से और गहराई से देखते हैं, तो आप निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण टेकअवे भी प्राप्त कर सकते हैं. ऐतिहासिक प्रदर्शन जैसे फेक्टर के साथ ही कंपनी अपने फंड का उपयोग कैसे करेगी, इस पर विशेष ध्यान दें. यदि यह अपने इच्छित उद्देश्य के रूप में आरएंडडी या व्यावसायिक विस्तार का दावा करता है, तो यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे भविष्य में विकास संभव है. लेकिन अगर धन उगाहने की पहल देनदारियों का भुगतान करना है, तो कंपनी की बैलेंस शीट और इसमें इसकी हिस्सेदारी का अधिक विस्तृत विश्लेषण करना बेहतर है.
टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं
आईपीओ और इन-डेप्थ एनालिसिस में जिस डायनामिज्म की आवश्यकता होती है, उसे देखते हुए त्रुटियों के लिए कम गुंजाइश छोड़ते हुए किसी को काम करने देना बेहतर होगा। आज, भारत में निवेश की सिफारिश करने वाले इंजन हैं जो 1 बिलियन से अधिक डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण करके बेंचमार्क नतीजों को सामने रखते हैं। अच्छी खबर यह है कि वे आईपीओ-केंद्रित सलाह भी देते हैं. आप यह समझने के लिए उन पर भरोसा कर सकते हैं कि किस आईपीओ में भाग लेना है और किसमें भाग नहीं लेना है.
कोई आईपीओ जितना आकर्षक हो सकता है, उससे जुड़ा रिस्क फेक्टर भी कुछ ऐसा है जिससे आपको सावधान रहना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखकर आईपीओ में निवेश करते हैं तो आपको लाभ मिल सकता है.
Blue Chip Shares in Hindi ब्लू चिप शेयर
Blue Chip Shares in Hindi ब्लू चिप शेयर कौन से होते हैं और इनमें निवेश के क्या फायदे हैं। क्या है ब्लू चिप कंपनियों की खासियत और यह कैसे दूसरे शेयरों से अलग होते हैं। शेयर बाजार में निवेश करते समय क्यों देनी चाहिये ब्लू चिप शेयरों को प्राथमिकता और कैसे करें इनका चुनाव। ब्लू चिप शेयरों को कैसे पहचानें जिससे आपका निवेश मजबूत रहे। Blue Chip Shares in Hindi and how to recognise a Blue Chip Share. यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदना चाहिये और शेयर बाजार में अलग अलग रंगों का महत्व हमारी साइट पर।
Blue Chip Shares in Hindi ब्लू चिप शेयर कौन से होते हैं
Blue Chip Shares in Hindi
अच्छी तरह से स्थापित और वित्तीय रूप से अच्छी कंपनी के शेयर को जिसने कई सालों तक लाभ अर्जित किया हो Blue Chip कहते हैं। ब्लू-चिप स्टॉक का बाजार पूंजीकरण आम तौर पर अरबों में होता है। आमतौर पर यह बाजार के लीडर होते हैं या अपने उद्योग की शीर्ष तीन कंपनियों में से एक होते है। और अक्सर इनका नाम घर घर में जाना जाता है। ब्लू-चिप स्टॉक के कुछ उदाहरण कोलगेट, रिलायंस, मारुति और HDFC जैसी कंपनियां हैं। जाने माने सभी FMCG शेयर इसी श्रेणी में अते हैं। अधिकतर ब्लू चिप शेयर लार्ज कैप ही होते हैं।
Blue Chip Meaning in Hindi
जबकि Blue Chip शेयर होने के लिए लाभांश का भुगतान करना पूरी तरह जरूरी नहीं है फिर भी जिसे ब्लू चिप शेयर माना जाता है वह कंपनियां ज्यादातर का लंबा रिकार्ड स्थिर या बढ़ते लाभांश के भुगतान करने का होता हैं। माना जाता है कि यह शब्द पोकर से लिया गया है जहां Blue Chip सबसे महंगी गोटी होती हैं।
ब्लू-चिप स्टॉक आम तौर पर प्रतिष्ठित बाजार सूचकांक का घटक होते है जैसे सेंसेक्स और निफ्टी।
Blue Chip Shares निवेश में सुरक्षित हैं
जबकि Blue Chip कंपनी कई चुनौतियों और बाजार के उतार चढ़ावों से एक हद तक बचीं रहती है और इसीलिये इन्हें सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है मगर यह हमेशा नहीं हो सकता है। बाजार में उदासीनता की अवधि के दौरान सर्वश्रेष्ठ कंपनियों को भी संघर्ष करना पड़ सकता हैं।
Blue Chip Shares हैं निवेशकों की पसंद
Blue Chips में मजबूत बैलेंस शीट और नकदी प्रवाह, मजबूत व्यापार मॉडल और लगातार वृद्धि की संभावना होती है। कई निवेशक ब्लू-चिप स्टॉक को सुरक्षित निवेश मानते हैं। लंबी अवधि के निवेशक ब्लू-चिप स्टॉक में अपने निवेश को समय के साथ तेजी से बढ़ने और नियमित रूप से लाभांश भुगतान प्राप्त करने के लिए रखते हैं।
Blue Chip Shares में है स्थिरता
अधिकांश निवेशकों को पता है कि Blue Chip स्टॉक में स्थिर कमाई हो सकती है। आर्थिक मंदी के दौरान, निवेशक इनकी सुरक्षित प्रकृति के कारण इन इनमें निवेश कर सकते हैं। Blue Chip कंपनियां अपनी बुद्धिमान प्रबंधन टीमों और स्थिर लाभ उत्पन्न करने की क्षमता के कारण धीमी अर्थव्यावस्था के दौरान सुरक्षा प्रदान करती हैं। यदि शेयर बाजार में मंदी का सामना करना पड़े तो निवेशकों को ब्लू-चिप्स में अपने निवेश के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि आम तौर पर वे जल्द रिकवर हो जाते स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बैलेंस शीट क्यों आवश्यक हैं हैं।
पोर्टफोलियो का हिस्सा
हमने Blue Chip Shares in Hindi में समझा कि ब्लू-चिप स्टॉक का हिस्सा किसी पोर्टफोलियो में कोर होल्डिंग्स के रूप में उपयोग के लिए उपयुक्त हैं लेकिन आम तौर पर वे पूरा पोर्टफोलियो नहीं होने चाहिए। एक डाइवर्सीफाइड पोर्टफोलियो में आमतौर पर हर तरह के शेयर होने चाहियें। पोर्टफोलियो के शेयरों में एक निवेशक को मिड-कैप्स और स्मॉल-कैप्स भी होने चाहिए। युवा निवेशक आम तौर पर ब्लू चिप्स के साथ अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को सहन कर सकने वाले शेयर भी रखने चाहियें।
एक बेहतर निवेश विकल्प
तो इस तरह हमने देखा कि Blue Chip Shares में निवेश करना एक बेहतर विलल्प है। यह कंपनियां नियमित ग्रोथ करतीं हैं जिससे निवेश स्थिर भी रहता है और बढ़ता भी है। यह कंपनियां नियमित रूप से निवेशकों और शेयर होल्डरों को लाभांश और बोनस शेयर से लाभ पहुंचाने की कोशिश करतीं रहतीं हैं।