ETF क्या है

ई.टी.एफ. से आप क्या समझते हैं?
कुछ समय पहले सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी विनिर्दिष्ट करते हुए एक्सचेंज़ ट्रेडेड फंड्स (Exchange Traded Funds - ETFs) को बेचने की बजाय इन्हें अपने अधिकार में ही रखने का निर्णय किया गया है। इसी क्रम में हाल ही में एक नवीनतम पहल भारत 22 ई.टी.एफ. शुरू की गई हैं। यह एक ऐसा फंड है जिसमें 22 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ शामिल हैं।
Bharat Bond ETF: बिना जोखिम बेहतर रिटर्न
फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले निवेशकों को फिर ETF क्या है से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी सीरीज/चरण लॉन्च करने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ लॉन्च की गई थी। फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2023, 2025, 2030, 2031, और 2032 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के द्वारा 3 चरणों में लॉन्च किए गए हैं। 5 और 10 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2023 और 2030 में मैच्योर होंगे पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।
अब इस ईटीएफ में निवेश को लेकर विस्तार से जानते हैं :
क्या है Bharat Bond ETF?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) स्कीम है। मतलब इसकी लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है और इसमें ट्रेडिंग की सुविधा होती है। इस स्कीम में अंडरलाइंग एसेट (underlying asset) चुनिंदा सरकारी कंपनियों के बॉन्ड हैं। अगर आप भी इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट अकाउंट (demat account) का होना जरूरी है। वैसे निवेशक जिनके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, उनके लिए भी इसमें निवेश की सुविधा है। लेकिन वे इसमें किसी भी म्यूचुअल फंड की तरह फंड ऑफ फंड्स (FoF) रूट के जरिए ही निवेश कर सकते हैं। इसमें रिटेल/आम निवेशक कम से कम 1,000 रुपए से निवेश कर सकते हैं, जबकि अधिकतम निवेश की सीमा 2 लाख रुपए है (1,000 रुपए के गुणक में)।
क्यों सुरक्षित है यह स्कीम?
नियमों के अनुसार इस स्कीम में सिर्फ AAA क्रेडिट रेटिंग वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के बॉन्ड को ही शामिल किया जा सकता है। साथ ही एक कंपनी के बॉन्ड का अधिकतम वेटेज (हिस्सेदारी) इंडेक्स में 15 फीसदी होगा। ज्यादा से ज्यादा 12 से 13 सरकारी कंपनियों के बॉन्ड इस स्कीम में हैं। एक तो पब्लिक सेक्टर की कंपनी और दूसरे AAA रेटिंग के चलते कहा जा सकता है कि इस स्कीम में जोखिम नहीं के बराबर है।
कितने रिटर्न की संभावना?
सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत अब तक 3 चरणों में अलग-अलग समय पर मैच्योर होने वाले 5 इश्यू लॉन्च किए हैं। आने वाले समय में और अलग-अलग मैच्योरिटी ETF क्या है पीरियड के इश्यू लॉन्च किए जा सकते हैं। अगर आप इस स्कीम में निवेश को पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक बनाए रखते हैं तो आपको फिक्स्ड रिटर्न (इंडिकेटिव यील्ड) मिल सकता है। जिसकी जानकारी आपको स्कीम खरीदने के वक्त यानी एनएफओ (new fund offer / न्यू फंड ऑफर के दौरान) ETF क्या है के दौरान मिलती है। लेकिन अगर आप मैच्योरिटी पीरियड के बीच में स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेचेंगे तो आपका रिटर्न ज्यादा या कम भी हो सकता है। यह मार्केट कंडीशंस (market conditions) खासकर ETF क्या है उस समय की ब्याज दर में उतार-चढाव से प्रभावित होगा। इसलिए जो निवेशक फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं, उन्हें पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक इस स्कीम में बने रहना होगा।
फिलहाल अप्रैल 2032 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए रिटर्न (यील्ड टू मैच्योरिटी/YTM) 7.69 फीसदी है, जबकि अप्रैल 2031 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए यील्ड टू मैच्योरिटी 7.67 फीसदी है। इसी तरह :
अप्रैल 2030 - YTM (7.64%)
अप्रैल 2025 - YTM (7.52%)
अप्रैल 2023 - YTM (7.23%)ETF क्या है
इस तरह इसमें पोस्ट टैक्स रिटर्न बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा मिल सकता है। खासकर वैसे निवेशकों को जो higher tax slab के अंतर्गत आते हैं।
कितनी टैक्स अदायगी?
अगर आप तीन साल के बाद इस बॉन्ड को रिडीम करेंगे तो आपको इंडेक्सेशन की सुविधा के साथ 20.ETF क्या है 8 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स यानी LTCG चुकाना होगा। इंडेक्सेशन (Indexation) के तहत पर्चेज कॉस्ट (purchase cost) को महंगाई (कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स) के हिसाब से बढा दिया जाता है जिससे टैक्स देनदारी में कमी आती है, जबकि एफडी पर आपको अपने टैक्स स्लैब ETF क्या है के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। वहां इंडेक्सेशन की सुविधा भी नहीं मिलती। इसलिए टैक्स के मामले में भी यह एफडी के मुकाबले बेहतर है।
कितना expense?
इस स्कीम को मैनेज करने के लिए फंड हाउस को निवेश की राशि का 0.0005 फीसदी यानी दो लाख रुपये पर 1 रुपये देना होगा। जो बहुत ही कम या लगभग ना के बराबर है। हालांकि अगर कोई निवेशक 30 दिन के अंदर ही स्कीम से निकल जाता है जो उसे 0.10 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा।
Passive Fund का फंडा आखिर क्या है? एक्सपर्ट से समझें कैसे छोटे निवेश पर भी मिलता है बढ़िया रिटर्न
Money Guru: आखिर क्या होता है पैसिव फंड और कैसे कम लागत में भी इन्वेस्टर्स को इससे अधिक रिटर्न मिल सकता है. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ.
Money Guru: पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसिव निवेश की तरफ ज्यादा बढ़ी है. AMFI के हाल ही में आए आंकड़ों में भी इसके संकेत मिलते हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर क्या होते हैं ये पैसिव फंड. इंडेक्स फंड, ETF फंड और फंड ऑफ फंड के आखिर क्या फायदे हैं और कौन इसमें निवेश कर सकता है. इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि कैसे कम लागत में ये फंड ETF क्या है अधिक मुनाफा दे सकते हैं. हमारे इन सवालों का जवाब देंगे Edelweiss MF के सेल्स हेड दीपक जैन और वाइजइन्वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हेमंत रुस्तगी.
क्या होता है पैसिव फंड
पैसिव फंड वास्तव में म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार होता है, जो कि निफ्टी,सेंसेक्स आदि जैसे इंडेक्स की नकल करता है. सेसेंक्स 30, निफ्टी 50 में उनके वजन के अनुपात में निवेश होता है. पैसिव फंड में मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होती है. मैनेजमेंट फीस कम होने के चलते इसकी लागत भी कम होती है.
जानें क्या है सिल्वर ETF और इसमें निवेश करना कितना फायदेमंद रहेगा?
कमोडिटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अपने कमोडिटी की कीमतों को ट्रैक करते हैं. यानी की आपको सिल्वर ईटीएफ में ध्यान देना है, जब आप निवेश करते हैं उस समय सिल्वर की क्या कीमत है और बेचते हुए सिल्वर की कीमतों के बीच का अंतर ही आपका रिटर्न होगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकिता चौहान
Updated on: Jan 18, 2022 | 6:20 AM
भारत में गोल्ड और सिल्वर खरीदना काफी शुभ माना जाता है. वहीं बात अगर निवेश की हो, तो गोल्ड में निवेश करना भविष्य के मद्देनजर काफी फायदेमंद माना जाता है. दरअसल लॉन्ग टर्म में अगर निवेश किया जाए तो अच्छा रिटर्न भी मिलता है. गोल्ड के अलावा चांदी में ईटीएफ (ETF) के जरिए निवेश किया जा सकेगा. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) 5 जनवरी, 2022 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. इसके तहत सिल्वर ईटीएफ (Silver ETF) में 19 जनवरी तक निवेश किया जा सकता है. बता दें इसमें 100 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक ETF क्या है की चांदी खरीद सकते हैं, वहीं बेचा भी जा सकता है. लेकिन इसमें निवेश करना कितना ETF क्या है फायदेमंद रहेगा यह सवाल हर किसी के मन में होगा.
प्योर कमोडिटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अपने कमोडिटी की कीमतों को ट्रैक करते हैं. यानी की जब गोल्ड ईटीएफ में निवेश किया जाता है, ETF क्या है उस दौरान उनकी कीमतों में उतार चढ़ाव से रिटर्न तय होते है. ठीक उसी तरह सिल्वर ईटीएफ में ध्यान देना है, जब आप निवेश करते हैं उस समय सिल्वर की क्या कीमत ETF क्या है है और बेचते हुए सिल्वर की कीमतों का अंतर ही रिटर्न होगा. यह कितना फायदेमंद रहेगा, इससे पहले जानते है सिल्वर ईटीएफ क्या है.
सिल्वर ईटीएफ ( Silver ETF) क्या है?
दरअसल गोल्ड की तरह ही सिल्वर में निवेश किया जा सकता है. इसके तहत आपको शेयर्स की तरह चांदी में निवेश करने का मौका मिलेगा. लेकिन, ईटीएफ के जरिए निवेशकों को फिजिकल सिल्वर में निवेश का मौका नहीं मिलेगा. इसके तहत निवेशक सिल्वर ईटीएफ में पैसा लगा सकेंगे. फिलहाल ऐसा गोल्ड ईटीएफ में होता रहा है.
किन बातों का रखना होगा ध्यान?
दरअसल इस दौरान निवेशक को देखना है कि, आने वाले फंड किस सिल्वर को ट्रैक कर रहे हैं, यानी की वह लोकल सिल्वर की कीमतें हैं या फिर इंटरनेशनल सिल्वर की कीमतों को. इस दौरान ध्यान रखे कि, ईटीसीडी में स्कीम के कॉर्पस का 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं किया जा सकता है. बता दें, सिल्वर ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड होते हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गोल्ड ईटीएफ की तरह ही सिल्वर ईटीएफ में भी ज्यादा फर्क नहीं होगा, यानी की अगर बात रिटर्न को लेकर की जाए तो ज्यादा फर्क नहीं रहेगा.
खरीद और बिक्री का तरीका
दरअसल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) स्टॉक एक्सचेंज फंड में लिस्टेट होता है, तो इसे भी एक नॉर्मल इक्विटी स्टॉक की तरह की ट्रीट करना होता है. उसमें होल्डिंग आपके डीमैट अकाउंट में आता है, क्योंकि इसे वहीं से खरीदना और बेचना भी होता है. यहां आप 100 रुपये से लेकर हजार या लाखों रुपये की चांदी खरीद सकते हैं और चाहें तो मार्केट प्राइज पर बेच भी सकते हैं. इसके अलावा स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेचकर लिक्विडिटी भी मिल सकती है. 36 महीने से कम होल्ड करने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, वहीं सिल्वर ईटीएफ का एक्सपेंस रेशियो गोल्ड से भी ज्यादा है.