निवेश और अर्थव्यवस्था

GYANGLOW
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व्यवस्था के दीर्घकालीन विकास की ओर ले जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां घरेलू कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करती है। कंपनियों में जैविक विकास या विस्तार होता रोजगार में बृद्धि होती है।
भारत के आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भूमिका क्या है?
FDI यह कंपनियों की संपत्ति बढ़ाता है। व्यवसायों का लाभ बढ़ता है और श्रम उत्पादकता भी बढ़ती है।
प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है और खपत में सुधार होता है। कर राजस्व बढ़ता है और सरकारी खर्च बढ़ता है।
एफडीआई पूंजी प्रदान करता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से विकासशील देशों को आवश्यक पूंजी मिलने की उम्मीद है। विकासशील देशों को राष्ट्रीय आय में वृद्धि के बढ़े हुए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उच्च निवेश की आवश्यकता है।
चूंकि उनके पास सामान्य रूप से पर्याप्त बचत नहीं हो सकती है, इसलिए इन देशों की बचत को विदेशी बचत से पूरक करने की आवश्यकता है। यह या तो बाहरी उधार के माध्यम से या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति और प्रोत्साहन के माध्यम से किया जा सकता है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इस अतिरिक्त पूंजी का एक प्रभावी स्रोत है और इसके अपने जोखिम भी हैं।
FDI ने भुगतान संतुलन की बाधा को कम करता है
एफडीआई विदेशी मुद्रा संसाधन का अंतर्वाह प्रदान करता है और भुगतान संतुलन पर बाधाओं को दूर करता है। यह देखा जा सकता है कि बड़ी संख्या में विकासशील देश विदेशी मुद्रा की मांग के लिए भुगतान संतुलन घाटे से ग्रस्त हैं जो आम तौर पर उनकी कमाई करने की क्षमता से बहुत अधिक है। विदेशी मुद्रा संसाधन प्रदान करके एफडीआई अंतर्वाह उच्च विकास दर की मांग करने वाले विकासशील देशों की बाधाओं को दूर करता है।
भुगतान संतुलन के दृष्टिकोण से माने जाने वाले बाहरी उधारों पर एफडीआई का एक विशिष्ट लाभ है। ऋण निश्चित देयता बनाता है। सरकारों या निगमों को चुकाना होगा। सरकार और निगम का परिणामी अंतर्राष्ट्रीय ऋण भुगतान संतुलन पर एक निश्चित दायित्व को विभाजित करता है।
इसका मतलब है कि उन्हें एक विशिष्ट अवधि में ब्याज के साथ ऋण चुकाना होगा। एफडीआई के संदर्भ में यह निश्चित देयता नहीं है। विदेशी निवेशक से एफडीआई द्वारा उत्पन्न गतिविधि के कारण बहिर्वाह के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त संसाधन उत्पन्न करने की अपेक्षा की जाती है। विदेशी निवेशक भी जोखिम उठाएंगे।
एफडीआई प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और विपणन कौशल लाता है:
एफडीआई अपने साथ ऐसी संपत्तियां लाता है जो विकासशील देशों में या तो गायब हैं या दुर्लभ हैं। ये संपत्तियां प्रौद्योगिकी और प्रबंधन और विपणन कौशल हैं जिनके बिना विकास नहीं हो सकता। यह FDI का सबसे बड़ा फायदा है। यह लाभ पूंजी लाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है, जो शायद अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार और सरकारों से प्राप्त किया जा सकता है।
एफडीआई मेजबान विकासशील देश के निर्यात को बढ़ावा देता है:
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश निर्यात को बढ़ावा देता है। विपणन के अपने वैश्विक नेटवर्क के साथ विदेशी उद्यम, विपणन जानकारी रखने वाले विकासशील देशों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इन शक्तियों का फायदा उठाने के लिए एक अद्वितीय स्थिति में हैं।
एफडीआई रोजगार प्रदान करता है:
विकासशील देशों के नागरिकों को रोजगार देकर विदेशी उद्यम रोजगार प्रदान करते हैं। इस निवेश के अभाव में, ये रोजगार के अवसर कई विकासशील देशों के लिए उपलब्ध नहीं होते।
इसके अलावा, ये रोजगार के अवसर अपेक्षाकृत उच्च कौशल क्षेत्रों में होने की उम्मीद है। एफडीआई न केवल प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करता है बल्कि बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से भी अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम है।
उच्च मजदूरी में एफडीआई परिणाम:
एफडीआई उच्च मजदूरी को भी बढ़ावा देता है। अपेक्षाकृत उच्च कुशल नौकरियों को उच्च मजदूरी प्राप्त होगी।
एफडीआई मेजबान देश में प्रतिस्पर्धी माहौल उत्पन्न करता है
घरेलू बाजार में विदेशी उद्यमों का प्रवेश एक प्रतिस्पर्धी माहौल बनाता है जो राष्ट्रीय उद्यमों को घरेलू बाजार में काम कर रहे विदेशी उद्यमों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर करता है। यह उच्च दक्षता और बेहतर उत्पादों और सेवाओं की ओर जाता है। उपभोक्ता के पास व्यापक विकल्प हो सकते हैं।
FDI से जीडीपी बढ़ता है और एक पिछड़ा प्रभाव भी पड़ता है जिसके कारण बाद के वर्षों में जीडीपी भी बढ़ जाती है।
विकास अर्थशास्त्र के संतुलित और असंतुलित विकास सिद्धांत भी इसी पर आधारित हैं। तो लिबेंस्टीन की न्यूनतम प्रयास परिकल्पना है।
एफडीआई निवेश व्यवसायों के बीच प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाता है, नवाचार और दक्षता पैदा करता है और बाजार में बेहतर उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से जीवन स्तर को बढ़ाता है।
निर्यात को बढ़ावा मिलता है और भुगतान संतुलन अधिशेष दिखाता है जिससे डॉलर की तुलना में रुपये में तेजी आती है। विदेशी मुद्रा भंडार में काफी वृद्धि होती है और इससे आरबीआई की संपत्ति में वृद्धि होती है जिससे मुद्रा आपूर्ति बढ़ जाती है और इस प्रकार मुद्रा की मात्रा सिद्धांत के अनुसार मुद्रास्फीति भी बढ़ जाती है।
एफडीआई विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) या गर्म धन से बेहतर है जो प्रकृति में अस्थिर है और स्टॉक और बॉन्ड बाजारों में जाता है। एफडीआई के कारण, कंपनियों में ठोस विकास होता है निवेश और अर्थव्यवस्था और इसलिए शेयर बाजार में तेजी आती है और अधिक पूंजी आकर्षित होती है जो व्यवसायों के लिए अधिक धन जुटाती है।
एफडीआई में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण या घरेलू देश में तकनीकी जानकारी की आवाजाही होती है जिसके कारण कौशल विकास होता है और उच्च पूंजी के साथ यह उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाता है।
अब भारत में आसानी से कर सकेंगे निवेश, भारतीय अर्थव्यवस्था हुई मजबूत
जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत है जिससे भारत सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों में एक बन गया है।
सैन फ्रांसिस्को. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दीर्घकालिक अमेरिकी निवेशकों से कहा कि वे बगैर विलंब किए निवेश करना शुरू करें क्योंकि भारत की वृद्धि की संभावना मजबूत है और सभी अनिर्णीत मुद्दों पर सरकार सक्रियता से विचार कर रही है। अमेरिकी निवेशकों के एक समूह के साथ अपनी बैठक में जेटली ने विस्तृत सुधार का जिक्र किया जो सरकार ने पिछले एक साल में शुरू किया है। वित्त मंत्री की नौ दिन की अमेरिका यात्रा कल पूरी हुई।
सीआईआई और कोटक द्वारा सैन फ्रांसिस्को में आयोजित बैठक में दीर्घकालिक निवेशकों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत है जिससे भारत सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों में एक बन गया है। दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा इंतजार करो और देखो की धारणा को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की वृद्धि की संभावना मजबूत है और जो भी अनिर्णीय मुद्दे हैं सरकार उन पर सक्रियता से विचार कर रही है।
जेटली ने कहा कि राज्य सभा में उनके बहुमत के अभाव के कारण अनिश्चितकाल तक देरी नहीं हो सकती और दरअसल स्थायी तौर पर किसी मुद्दे के अटकने की कोई परंपरा नहीं है। जेटली ने निवेशकों से अपील की वे भारत को ऐसे गंतव्य के तौर पर देखें जहां अब बगैर देरी के निवेश किया जा सकता है।
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विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहा भारतीय बाजार, घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने से हुआ रिकार्ड निवेश
बिज़नेस न्यूज डेस्क - भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की खरीदारी जारी है। उन्होंने नवंबर में अब तक शेयरों में 30,385 करोड़ रुपये का निवेश किया है। दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय रुपये के स्थिर होने और घरेलू अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के कारण विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत में निवेश कर रहे हैं। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 8 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की। सितंबर में उन्होंने 7,624 करोड़ रुपए निकाले थे। सितंबर से पहले अगस्त में FPI ने 51,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। जबकि जुलाई में उन्होंने 5,000 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक एफपीआई में बिकवाली रही थी। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई ज्यादा आक्रामक नहीं होंगे क्योंकि वे ज्यादा वैल्यूएशन के कारण ज्यादा खरीदारी करने से बचेंगे।
उन्होंने कहा कि फिलहाल चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में वैल्यूएशन काफी आकर्षक है और एफपीआई का पैसा उन बाजारों की ओर जा सकता है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई द्वारा हालिया प्रवाह भारतीय शेयर बाजारों में तेजी, अर्थव्यवस्था में स्थिरता और अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपये की बेहतर स्थिति के कारण है। बाजार स्थिति के लिहाज से शेयर बाजार की शीर्ष 10 में से आठ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह 42,173.42 करोड़ रुपये बढ़ा। सबसे ज्यादा फायदा आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस और टीसीएस को हुआ। सिर्फ हिंदुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में गिरावट दर्ज की गई। आईसीआईसीआई बैंक का मार्केट कैप 9,706.86 करोड़ रुपए बढ़कर 6,41,898.81 करोड़ रुपए हो गया। इंफोसिस का मार्केट कैप 9,641.89 करोड़ रुपए बढ़कर 6,70,264.99 करोड़ रुपए हो गया।
विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहा भारतीय बाजार, घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने से हुआ रिकार्ड निवेश
बिज़नेस निवेश और अर्थव्यवस्था न्यूज डेस्क - भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की खरीदारी जारी है। उन्होंने नवंबर में अब तक शेयरों में 30,385 करोड़ रुपये का निवेश किया है। दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय रुपये के स्थिर होने और घरेलू अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के कारण विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत में निवेश कर रहे हैं। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 8 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की। सितंबर में उन्होंने 7,624 करोड़ रुपए निकाले थे। सितंबर से पहले अगस्त में FPI ने 51,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। जबकि जुलाई में उन्होंने 5,000 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक एफपीआई में बिकवाली रही थी। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई ज्यादा आक्रामक नहीं होंगे क्योंकि वे ज्यादा वैल्यूएशन के कारण ज्यादा खरीदारी करने से बचेंगे।
उन्होंने कहा कि फिलहाल चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में वैल्यूएशन काफी आकर्षक है और एफपीआई का पैसा उन बाजारों की ओर जा सकता है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई द्वारा हालिया प्रवाह भारतीय शेयर बाजारों में तेजी, अर्थव्यवस्था में स्थिरता और अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपये की बेहतर स्थिति के कारण है। बाजार स्थिति के लिहाज से शेयर बाजार की शीर्ष 10 में से आठ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह 42,173.42 करोड़ रुपये बढ़ा। सबसे ज्यादा फायदा आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस और टीसीएस को हुआ। सिर्फ हिंदुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में गिरावट दर्ज की गई। आईसीआईसीआई बैंक का मार्केट कैप 9,706.86 करोड़ रुपए बढ़कर 6,41,898.81 करोड़ रुपए हो गया। इंफोसिस का मार्केट कैप 9,641.89 करोड़ रुपए बढ़कर 6,70,264.99 करोड़ रुपए हो गया।
सोने में निवेश और अर्थव्यवस्था
" सुनो मेरी जान, मैं ये कह रहा था कि क्या एक अच्छा और सच्चा भारतीय नागरिक होने के नाते हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद नहीं करनी चाहिए?
उफ्फ! मेरे तो कुछ समझ नहीं निवेश और अर्थव्यवस्था आ रहा अब सोने के कंगन देश की अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत कर देंगे |हद हो तुम भी! "
कर सकते हैं निवेश और अर्थव्यवस्था मजबूत हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को अगर हम ये कंगन के पैसों को "डिजिटल गोल्ड" में निवेश कर दें |
" जानती हो देश की 'जी डी पी' में सिर्फ सोने का 7%का योगदान है |"
अब ये "जीडीपी" क्या होती है?
अरे बाबा जीडीपी "किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कितनी सुदृढ़ है इस बात को मापने का एक तरीका है जीडीपी |
" तो क्या इसे बढ़ाने में हमें सहयोग नहीं करना चाहिए! बताओ और आखिर आज के ज़माने में आलमारी में ये सब रखना सुरक्षित भी तो नहीं फिर गोल्ड डिजिटल निवेश से एक पंथ दो काज भी तो होते हैं देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी और हमारा पैसा भी वर्चुअल गोल्ड के रूप में सुरक्षित रहेगा क्यों क्या कहती हो? "
" हम्म, अब तो मुझे भी थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा है पर ये होगा कैसे ये सब कराने के लिए मैं किसी भी ऑफिस- वोफिस के चक्कर नहीं लगाने वाली|
हाहाहा, अरे कोई चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे तुम्हें ये निवेश और अर्थव्यवस्था लो बस एक क्लिक में "जार एप्प डाउनलोड करो और 45 सेकंड में तुम्हारी सेविंग्स शुरू मेरी रानी |
मेरी सेविंग्स भी शुरू और देश की अर्थव्यवस्था को सोने के निवेश द्वारा थोड़ा और मजबूत बनाने में मेरा योगदान भी शुरू |"