ब्रोकर फीस

DP Charges क्या होता है?
स्टॉक मार्केट में जब हम इनवेस्टमेंट करते हैं तो हमें कई तरह के चार्जेज देने होते हैं। कई बार कुछ चार्ज के बारे में हमें ठीक से पता नहीं होता। हम आज कि इस पोस्ट में ऐसे ही एक चार्ज को जानेंगे जिसे DP Charges कहा जाता है। हम जानेंगे कि DP Charges क्या होते हैं यह हमें कैसे देना होता है और डीपी चार्जेज कितना होता है। तो आप इस बेहद इंपोर्टेंट टॉपिक को आखिर तक देखे और डीपी चार्जेज को अच्छे से समझे।
नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत है हमारी वेबसाइट the-gyan.in पर। आइए चलते हैं पहले सवाल पे डीपी चार्जेज क्या होते हैं।
DP Charges क्या है?
दोस्तो DP Charges का पुरा नाम होता है डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्जेस। और डीपी चार्जेज को समझने से पहले हमें depositary को समझना होगा। स्टॉक मार्केट में डिपॉजिटरी का मतलब होता है वह जगह जहां पर हमारे शेयर्स डिपॉजिट होते हैं। जब हम किसी भी ब्रोकर के प्लेटफॉर्म से शेयर डिलिवरी पर बाय करते हैं तो वह शेर डिजिटली हमारे डीमैट एकाउंट में सेव होते हैं और डीमैट एकाउंट सिर्फ और सिर्फ एक डिपॉजिटरी ही ओपन कर सकती हैं।
दोस्तो इंडिया में सिर्फ दो ही डिपॉजिटरी हैं जो डीमैट अकाउंट प्रोवाइड करती हैं। एक का नाम है सीडीएसएल यानी सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड और दूसरी का नाम है एनएसडीएल यानी नैशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड। हम चाहे किसी भी ब्रोकर के जरिए इनवेस्टमेंट करें हमारा डीमैट एकाउंट इन्हीं दो डिपॉजिट्रीस में से किसी एक में होगा।
दोस्तो जब हम शेयर्स बाय करते हैं तो हमारे शेयर्स इन्हीं दो डिपॉजिटरी के डीमैट अकाउंट में से होते हैं और जब हम अपने डीमैट एकाउंट में होल्ड के शेयर्स को सेल करते हैं तो हमारे शेयर्स यही से सेल होते हैं। यानी कि हमारे बाय करने से लेकर सेल करने के टाइम तक हमारे शेयर्स इन डिपॉजिटरी के डीमैट अकाउंट में होते हैं। और अगर हम जिस भी ब्रोकर के जरिए शेयर्स बाय करते हैं उस ब्रोकर के बिजनेस बंद हो गया तो घर सीडीएसएल से या एनएसडीएल के अपने डीमैट एकाउंट से अपने शेयर ऐक्सेस कर सकते हैं।
इसलिए डिपॉजिटरी हमारी इन्वेस्टमेंट को सेफ रखने का काम करती है और इसी इंपोर्टेंट सर्विस के लिए दोनो डिपॉजिटरी हमसे छोटी फीस लेती है। इस फीस को ही हम डीपी चार्जेज कहते हैं।
Parts of DP Charges
दोस्तो डीपी चार्जेज में डिपॉजिटरी के अलावा अगर ब्रोकर चाहें तो वो भी कुछ फीस add करके ले सकता है। क्योंकि ब्रोकर को भी अपनी डिपॉजिटरी को कई तरह की फीस की पेमेंट करनी होती है और अगर ब्रोकर्स की ब्रोकरेज चार्जेज कम हैं तो फिर डीपी चार्जेज के जरिए अक्सर ऐसे ब्रोकर कुछ फीस लेते हैं।
इसका मतलब है दोस्तो डीपी चार्जेज के दो भाग होते हैं:
पहला चार्ज जो डिपोजिटरी चार्ज करती है और वो हमें हर ब्रोकर के पास देना ही होता है और दूसरा चार्ज ब्रोकर का चार्ज जो ब्रोकर टू ब्रोकर अलग अलग होता है।
DP Charges में कितनी फीस देनी होती है?
आइए हम देखते हैं कि आखिर हमें DP Charges में कितनी फीस देनी होती है। दोस्तो डीपी चार्ज हमेशा तभी लगता है जब हम अपनी होल्डिंग्स यानी डीमैट अकाउंट के शेयर सेल करते हैं। और पर कंपनी पर सेलिंग डे का सीडीएसएल हमसे 5 रुपये 50 पैसे चार्ज करती है और एनएसडीएल हमसे 4 रुपये 50 पैसे पर कंपनी पर सेलिंग डे का चार्ज लेती है। यानी कि अगर हमारा डीमैट एकाउंट सीडीएसएल ब्रोकर फीस में है तो एक दिन में हमें एक कंपनी के शेयर सेल करने पर 5 रुपये 50 पैसे सीडीएसएल को देने होंगे।
यहां पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम एक कंपनी के एक दिन में एक शेयर सेल करे या 1000 शेयर्स सीडीएसएल हमसे हर कंपनी के शेयर्स पर 5 रुपये 50 पैसे ही चार्ज करेगी।
डिपॉजिटरी के अलावा हर ब्रोकर के चार्ज अलग अलग हो सकते हैं। आइए हम कुछ ब्रोकर्स की टोटल डीपी चार्जेस को देखते हैं।
DP Charges by different brokers
- अगर हम zerodha की बात करें तो वह सीडीएसएल से लिंक है। इस वजह से सीडीएसएल के 5 रुपये 50 पैसे के अलावा zerodha हमसे 8 रुपये पर कंपनी पर सेलिंग डे डीपी चार्जेज लेती है। यानी कि अगर हम zerodha पर अपनी एक कंपनी की होल्डिंग सेल करते हैं तो हमारा टोटल डीपी चार्ज 8 रुपये + 5 रुपये 50 पैसे यानी 13 रुपये 50 पैसे होगा। और इसके ऊपर हमें 18 पर्सेंट का जीएसटी भी देना होता है। इस वजह से टोटल डीपी चार्जेज zerodha पर 15 रुपये 93 पैसे पर कंपनी पर डे हो जाएगा।
- ठीक इसी तरह अगर हम upstox की बात करें तो डिपॉजिटरी सीडीएसएल के 5 रुपए 50 पैसे के अलावा upstox हम से 13 रुपए पर कंपनी पर सेलिंग डे चार्ज जांच करती है। यानी की अगर हम अब स्टॉक्स पर अपनी एक कंपनी की होल्डिंग सेल करते हैं तो हमारा टोटल डीपी चार्ज 13 रुपए + 5 रुपए 50 पैसे यानि 18 रुपए 50 पैसे होगा और इसके ऊपर हमें 18 परसेंट gst मिलाकर टोटल डीपी चार्जेज upstox पर 21 रुपए 83 पैसे पर कंपनी पर डे हो जाएगा।
DP Charges से Related ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
दोस्तो ये ध्यान देने वाली बात है कि DP Charges हमे पर कंपनी पर सेलिंग डे देने होते हैं और इसका इससे कोई मतलब नहीं है कि हमें कंपनी के एक दिन में कितने शेयर सेल करते हैं। हम चाहें तो एक दिन में कंपनी के एक् शेयर सेल करें या 10 शेयर या 1 लाख शेयर्स हमें एक कंपनी के लिए दिन में एक ही बार डीपी चार्जेस देने होंगे।
पर अगर हम पांच अलग अलग कंपनी के शेयर सेल करते हैं तो हमें पांच बार डीपी चार्जेस देने होंगे। फिर चाहे हमने पांचों कंपनी के एक शेयर सेल किए हों या 1000 शेयर्स। इस तरह दोस्तों डीपी चार्जर्स एक नॉर्मल चार्जेज है। जो हमें demat शेर के safe storage के लिए देना होता है। ये हर ब्रोकिंग कंपनी में अलग अलग हो सकता है। इस वजह से हमें अपने ब्रोकर से एक बार डीपी चार्जेस जरूर अच्छे से कन्फर्म कर लेना चाहिए।
तो दोस्तों यह था हमारा आज का पोस्ट DP Charges के ऊपर। इस पोस्ट में जाना कि डीपी चार्जेस क्या होते हैं। ये हमें कैसे देना होता है और डीपी चार्जेज कितना होता है। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया तो इसे जरूर शेयर किजिए। अगर आप इस पोस्ट से रिलेटेड कोई भी चीज समझना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
What is Share Broker and D - Mat account ? शेयर ब्रोकर ओर डी - मॅट अकाउंट क्या है ?
दोस्तो अब तक हमने शेयर मार्केट, सेबी,NSE, BSE, क्या है यह जान लिया आज हम जानने वाले है । शेयर ब्रोकर क्या है ओर D-Mat Account क्या है इसके बारे मे जान ने वाले है इसकी क्या जरूरत है ओर कैसे ओपन करते है।
![]() |
What is Share Broker and D - Mat account ? शेयर ब्रोकर ओर डी - मॅट अकाउंट क्या है ? |
जेसे हमें बँक में पैसे जमा करणे के लिए एक बँक acconut कि जरूरत होती है वैसे ही हमे शेयर मार्केट में खरीदे गये शेयर जमा करणे के लिए एक D - mat अकाउंट कि जरूरत होती है। हम शेयर मार्केट से जो शेयर खरीदते हे उन्हे उस में रखना होता है ।यह शेयर पहले physcical फॉम् में आते थे लेकिन अब यह digital फॉर्म में हमे हमारे D mat account में जमा किये जाते है।
लेकिन यह D mat Account हम डायरेक्ट खुद से ओपन नहीं कर सकते है जेसे हमे बँक अकाउंट ओपन करणे के लिए बँक जाना होता है वेसे हि हमे D mat अकाउंट ओपन करणे के लिए किसी शेयर ब्रोकर कि जरूरत होती है । हम D mat अकाउंट किसी ना किसी शेयर ब्रोकर के साथ हि ओपन कर सकते है ।
शेयर ब्रोकर क्या है ?
जब हमे शेयर मार्केट में ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेन्ट करणी होती है ,तो हम डायरेक्ट NSE या BSE के पास नहीं जा सकते है हमे किसी ब्रोकर कि जरूरत होती है जिसे depositary participate भी कहा जाता है शॉर्ट में Dp.शेयर ब्रोकर यांनी वह व्यक्ती या संस्था होती है जो अपने ग्राहक कि ऑर्डर को एक्सचेंज तक पहूंचाता है।
![]() |
What is Share Broker and D - Mat account ? शेयर ब्रोकर ओर डी - मॅट अकाउंट क्या है ? |
लेकिन यह भी हमे डी मॅट अकाउंट के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट भी ओपन करना होता है जो कि हमारा ब्रोकर ओपन करता है डी मॅट अकाउंट के साथ ही जिस के जरिये हम ब्रोकर को ऑर्डर देते हे कि वह हमारे लिए शेयर खरीदे या बेचे यह ऑर्डर ट्रेडिंग अकाउंट से हि लागू होता है। ओर जब यह ऑर्डर लग जाता है तो हमारे D mat अकाउंट में वह शेयर आ जाते है ।
शेयर ब्रोकर को हि स्टॉक ब्रोकर भी कहा जाता है स्टॉक ब्रोकर हमे जब यह सर्विस देता है तो उसके बदले में हमे उसे कुछ ब्रोकरेज देना होता है।यह ब्रोकरेज (पैसे) ऑर्डर के अनुसार होता है ।हम किस सेगमेन्ट में ट्रेडिंग करते है उस पर डिपेंड होता है ।
ट्रेडिंग अकाउंट के भी साल कि कुछ फीस हमे ब्रोकर को देनी होती है । जिसे AMC यांनी Annual maintenance charges कहा जाता है। जो कि अलग अलग ब्रोकर कि कम जादा होती है । जेसे 300 से 500 रु तक लेकिन अब कुछ ब्रोकर फ्री में भी यह service दे रहे है। उसके बारे में हम आपको डिटेल्स जरूर देंगे।
शेयर ब्रोकर के प्रकार :
इस प्रकार के ब्रोकर अपने क्लाइंट को फुल सर्विस देते है जेसे कि कोणसे शेयर कब बेचने हे कब खरीद ने है । ओर मार्जिन मनी कि सुविधा भी देते हे । मार्जिन मनी यांनी आपके पास अगर 1000 रु हे और आप उस से जादा किंमत के शेयर खरीद ना चाहते है तो आपका ब्रोकर आपको extra पैसे ब्रोकर फीस provide करता है जिसे मार्जिन मनी केहते है । यह मार्जिन times में होती है जेसे 2×, 3× 4 × इस प्रकार से यांनी आपके पास 1000 रु हे तो आप 2000 3000 या 4000 रु तक के शेयर खरिद सकते है । लेकिन यह मार्जिन लिमिटेड पिरियड तक हि होती है । इस प्रकार कि फुल सर्विस के कारण वह जादा फीस भी charge करते है ।
2) डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ;
यह ब्रोकर हमे लिमिटेड सर्विस provide करते है जेसे कि वह हमे किसी भी प्रकार के शेयर खरिद ने या बेचने कि सलाह नहीं देते । कॉलिंग ट्रेंड कि फॅसिलिटी भी नहीं देते है । सब कुछ हमे अपने आप हि करना पडता है । लेकिन उनकी फीस ओर ब्रोकरेज भी कम होती है । जादा तर लोग डिस्काउंट ब्रोकर हि प्रेफर करते है । कुछ ब्रोकर शेयर कि डिलिव्हरी पर zero ब्रोकरेज भी charge करते है जो कि क्लाइन्ट यांनी हमारे लिए अच्छा होता है ।
डिस्काउंट सर्विस ब्रोकर के Example :
डी मॅट अकाउंट (D-mat Account) :
D-mat Account के बारे में हमने पहले भी बात कि जेसे हम बँक में पैसे जमा करणे के लिए saving account ओपन करते है वेसे हि शेयर राखने के लिए हमे D-mat Account कि जरूरत होती है । यह अकाउंट पुरी तरह से डिजिटल होता है । इसाका एक नंबर होता हे जिसे DP ID भी कहते हे जो कि 16 अंको का होता है । जब शेयर मार्केट डिजिटल तरिके से काम नहीं करता था तब कोई डी मॅट अकाउंट कि जरूरत नहीं होती थी । जो भी शेयर मिलते थे वह कागज के एक डॉक्यूमेन्ट कि तोर पर मिलते थे । जिने हमे काफी हिफाजत से संभालना होता था । लेकिन आज डिजिटल तरिके से वह हमारे डी मॅट अकाउंट में स्टोर होते राहते है । अगर हमरा ब्रोकर अगर भाग गया या कुछ कारणवश दिवालिया हो गया तब भी हमे किसी प्रकार कि फिकर करणे कि जरूरत नहीं होती। हमारे डी mat account में वह सुरक्षित होते है।
आपको यह जानकारी कैसी लगी कॉमेंट में अपनी राय जरूर दे और अपने दोस्तो से शेयर करना न भुले
Demat अकाउंट क्या है ? hindi me
Demat अकाउंट वो अकाउंट है जिसके द्वारा Share बाजार में खरीद फरोख्त की जाती हैं. सिक्योरिटीज को फिजिकल फार्मेट में बदलने की प्रक्रिया को ‘डीमेटिरियलाइजेशन’ कहते हैं। और इसी का शार्ट फॉर्म ‘डीमैट’ है। इसे खुलवाने के लिए पैन कार्ड होना जरुरी होता है, इसे आपके बैंक खाते से जोड़ दिया जाता है.
कुछ साल पहले तक अगर आप किसी कंपनी का शेयर ख़रीदते थे तो वह आप को उस के कागज़ भेजती थी. जो इस बात का सबूत होते थे कि आपने उस कंपनी के शेयर ख़रीदे हैं. और जब आप उस कपंनी के शेयर बेच देते थे तो वह कागज़ आप कंपनी के दफ्तर भेज देते थे. फिर कंपनी यह देखती थी कि जब आप ने शेयर बेचे तो शेयर का क्या भाव था.
फिर आप को वह पैसे देती थी-जिस में बहुत वक़्त लगता है. अब सब कंप्यूटर की मदद से होता है, आपने जैसे ही शेयर खरीदा वह आपके अकाउंट में कुछ देर में ही आ जायेगा और जैसे ही आप ने शेयर बेचा आपका पैसा आपके बैंक अकाउंट में भेज दिया जाएगा.
कितना खर्च आएगा ?
- Demat अकाउंट खुलवाने का खर्च 300-700 रुपए के बीच होता है।
क्या एक से ज्यादा Demat account रख सकते हैं?
- आप एक साथ कई Demat account रख सकते हैं। लेकिन एक कंपनी में आप अधिकतम तीन अकाउंट खुलवा सकते हैं।
कौन खोलता है Demat अकाउंट ?
- भारत में दो संस्थायें डीमैटअकाउंट खोलती है
- नेशनल सेक्योरिटीज डिपोज्रिटी लिमिटेड (एनएसडीएल) एवं सेंट्रल डिपोज्रिटी सर्विसेज लिमिलटेड (सीएसडीएल)।
- इन डिपोज्रिटीज के करीब 500 से ज्यादा एजेंट हैं जिन्हें डिपोज्रिटी पार्टिसिपेंट्स (डीपी) कहा जाता है।
- यह जरूरी नहीं है कि डीपी कोई बैंक ही हो। दूसरी वित्तीय संस्थाएं जैसे शेयर खान, रिलायंस मनी, इंडिया इनफोलाईन आदि के पास भी डी-मैट अकाउंट खोला जा सकता है।
Demat अकाउंट का कौन इस्तेमाल कर सकता है ?
यह जानना जरूरी है कि जो व्यक्ति खुद शेयर खरीदते-बेचते नहीं हैं उनके ब्रोकर प्रतिनिधि के रूप में खाते का इस्तेमाल कर सकते हैं इन ब्रोकर्स को आप के शेयर ख़रीदने या बेचने पर कुछ फीस मिलती है – कई बार कुछ ब्रोकर इस मुनाफे के लिए आप से बिना पूछे आपका शेयर बेच देते है इसलिए आप अपना ब्रोकर चुनते वक्त सावधानी रखे और अगर आप और आप के ब्रोकर में किसी बात पर लड़ाई है तो आप इस की शिकायत सेबी में कर सकते हैं|
कितनी फीस लगती है ?
- डी-मैट खाता खुलवाने वाले व्यक्ति से डीपी कई तरह के फीस वसूलता है। यह फीस कंपनी दर कंपनी अलग हो सकती है।
- अकाउंट ओपनिंग फीस – खात खुलवाने के लिए वसूला जाने वाला फीस। कुछ कंपनियां जैसे ICICI , HDFC , UIT आदि यह फीस नहीं लेती है। जबकि कुछ SBI और कार्वी कंसलटेंट्स आदि इसे वसूलती हैं। वैसे कुछ कंपनियां इसे रिफंडेबल (खाता बंद कराने पर लौटा देती हैं) भी रखती हैं।
- एनुअल मेंटेनेंस फीस – सालाना फीस जिसे फोलियो मेंटेनेंस चार्ज भी कहते हैं। आमतौर पर कंपनी यह फीस साल के शुरुआत में ही ले लेती है।
- कसटोडियन फीस – कंपनी इसे हर महीने ले सकती है या फिर एक बारी में ही। यह फीस आपके शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है।
- ट्रांजेक्शन फीस – डीपी चाहे तो इसे हर ट्रांजेक्शन पर चार्ज कर सकता है या फिर चाहे तो ट्रेडिंग की राशि पर (न्यूनतम फीस तय कर)।
- इनके अलावा कंपनी री-मैट, डी-मैट, प्लेज चार्जेज, फील्ड इंस्ट्रक्शन चार्जेज आदि भी वसूल सकती हैं
क्या एक Demat अकाउंट बंद कर किसी और ब्रोकर के पास नया डीमैट अकाउंट अकाउंट खुलवा सकते है?
इसका उत्तर हां| यह किया जा सकता है अगर आप को लगता है आप का ब्रोकर आप से ज्यादा चार्ज ले रहा है तो आप उस के पास अपना अकाउंट बंद कर नया अकाउंट खुलवा सकते है या आप का ट्रांसफर कहीं हो गया है जहां आप का ब्रोकर आप को अपनी सुविधा नहीं दे पा रहा तब भी आप ऐसा कर सकते है,
क्या Demat account किसी और के नाम कर सकते है ?
नहीं, आप एक डीमैट अकाउंट किसी और के नाम नहीं कर सकते है पर आप उसमें के शेयर किसी और व्यक्ति को दे सकते है या उस के अकाउंट में ट्रान्सफर कर सकते है पर इस के लिए उस व्यक्ति का डीमैट अकाउंट होना जरुरी है|क्या आप का जॉइंट डीमैट अकाउंट खोला जा सकता है ?
शेयर कितने प्रकार के होते है ?
- कॉमन शेयर – इन्हें कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है| राइट्स इशू या शेयर -यह उन लोगो के लिए होता है जिन के पास उस कंपनी के शेयर पहले से है, मान लें किसी कंपनी के शेयर का भाव इस वक़्त 50 रूपये है पर जिन लोगो के पास कंपनी के शेयर पहले से है वो लोग अपने हर एक शेयर के बदले एक शेयर ख़रीद सकते हैं वह भी 45 रुपये में तो इन शेयर को राइट्स इशू या शेयर कहेंगे|
- बोनोस शेयर– मान लें किसी कंपनी ने इस साल अच्छा मुनाफा कमाया तो वह उस मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयर धारको में बाँटना चाहती है, पर वह उन्हें उस के बदले पैसा नहीं देना चाहती तो वह उतने पैसे के कुछ और शेयर उस आदमी को दे देगी| कई बार कंपनी ब्रोकर फीस यह शेयर धारको पर छोड़ देती है या तो वह पैसा ले ले या शेयर। अगर आप ने पैसा लिया है तो उस बोनोस या डिविडेंड कहा जायेगा|
- प्रिफर्ड शेयर– यह वह शेयर होता है जो कंपनी कुछ खास लोगो के लिए लाती है ,मान ले कोई कंपनी को पैसे की जरुरत है और वह मार्किट से कुछ पैसा जुटाना चाहती है तो वह जो शेयर जारी करेगी वह उन्हें खरीदने का पहला अधिकार कुछ खास लोगो को देंगे ,यह मान लें कि यहां वह लोग उस कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी है ,तो केवल उस कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ही इन शेयर को खरीद सकते है, यह बहुत ज्यादा सुरक्षित शेयर होते है अगर कंपनी डूब भी जाये तब भी उन्हें इन शेयर धारको को उनका पैसा लौटना पड़ेगा ,चाहे इस के लिए कंपनी को अपनी ज़मीन ,मशीन ,बिल्डिंग ही क्यों न बेचनी पड़े ,पर दूसरे शेयर में ऐसा नहीं होता|
तो आशा करता हूँ दोस्तों आपको Demat account के बारे में दी गयी जानकारी अवश्य अच्छी लगी होगी. साथ ही साथ आपको यह भी समझ में आ गया गया होगा कि Demat account kya hai.
ब्रोकर के कॉर्नर: ये हैंडी टिप्स आपकी ग्रोवर ग्रोव हो ब्रोकर फीस जाएंगे
आप कड़ी मेहनत और समर्पण के वर्षों के बाद संपत्ति ब्रोकरेज व्यवसाय में अपना निशान बना चुके हैं, आपके ग्राहक आपको विश्वास करते हैं, आप गेंद रोलिंग रखने के लिए पर्याप्त संख्या में बढ़ रहे हैं, आगे क्या? एक व्यक्ति के रूप में, आप महान सफलता प्राप्त कर सकते हैं हालांकि, अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने के लिए, आपको अपने लिए काम कर रहे पेशेवरों की एक टीम का विकास करना होगा। सेवा क्षेत्र में व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सही प्रतिभा प्राप्त करना महत्वपूर्ण है यदि आप इस विचार के साथ बोर्ड पर हैं, तो यहां तीन तरीके हैं जिनके माध्यम से आप अपनी संपत्ति ब्रोकरेज फर्म के लिए शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित कर सकते हैं। अपने व्यवसाय की क्षमता को व्यक्त करें अच्छे कर्मचारी उच्च-संभावित व्यापार का हिस्सा बनते हैं जब आप भावी कर्मचारियों से मुलाकात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उनके साथ अपने उद्यमी यात्रा को संक्षेप में साझा करें। समग्र आर्थिक ब्रोकर फीस और कारोबारी माहौल के बारे में बात करें, अचल संपत्ति क्षेत्र को संपूर्ण और आपके व्यवसाय के रूप में प्रभावित करते हैं। इस तरह, आपको यह भी पता चल जाएगा कि एक उम्मीदवार कितनी अच्छी तरह रीयल एस्टेट जैसे गतिशील क्षेत्र में काम करने की बारीकियों को समझता है। किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह, अचल संपत्ति में भी चुनौतियों और अवसरों के अपने सेट हैं। आपके कर्मचारियों को इन दोनों पहलुओं की समझ होनी चाहिए। उन्हें अवसरों को पकड़ने और सभी संभावित मुद्दों को संभालने के लिए आपकी रणनीति से अवगत होना चाहिए। तीन से पांच वर्ष का रोडमैप विकसित करना यहां काम कर सकता है व्यवसाय प्रबंधन और विकास की दिशा में आपके दृष्टिकोण में विश्वास करने के बाद आपके कर्मचारियों को आप में शामिल होने में अधिक विश्वास होगा। इसके अलावा पढ़ें: 4 सफल संपत्ति ब्रोकरेज बिजनेस मैप के लिए कालातीत कौशल और उनके कैरियर पथ को पेश करना आपके व्यापार में शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए, विभिन्न पदों के लिए कैरियर पथ तैयार करना। मान लीजिए, यदि आप एक एजेंट को रियल एस्टेट सेक्टर में एक से तीन साल के अनुभव के साथ किराया करने की तलाश में हैं, तो आपको कुछ विचार करना ब्रोकर फीस ब्रोकर फीस चाहिए कि एक आदर्श उम्मीदवार आपकी दलाली फर्म के साथ काम करने के दो साल बाद क्या उम्मीद कर सकता है। आप अन्य सभी पदों के लिए कैरियर पथ विकसित कर सकते हैं। इस तरीके से, आप एक कर्मचारी से मिलने की उम्मीद के बारे में भी स्पष्टता प्राप्त कर सकते हैं प्रोत्साहन योजना सरल रखें जैसा कि आप जानते हैं, रियल एस्टेट ब्रोकरेज व्यवसाय मुख्य रूप से ग्राहकों से फीस पर चलता है और डेवलपर्स से कमीशन करता है, और दोनों राजस्व धाराओं के पास अपना नियम और शर्तें हैं। एक ग्राहक उन्हें भुगतान करने के बाद डेवलपर कुछ निश्चित अवधि के बाद कमीशन जारी कर सकते हैं और कई अन्य बिंदुएं हो सकती हैं वास्तव में यहां कुछ जटिलताएं शामिल हैं और इससे आपके कर्मचारियों को प्रोत्साहनों का वितरण मुश्किल हो सकता है। प्रोत्साहनों के कारण आपके कर्मचारी के वेतन का एक बड़ा हिस्सा होता है, इससे उनके मनोबल को प्रभावित हो सकता है। सरलीकरण, कर्मचारी प्रोत्साहन योजना का कुछ हिस्सा अगर पूरा नहीं होता है, तो आपसी विश्वास और वफादारी की भावना पैदा कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि महान कारोबारी टाइकून वॉरेन बफेट कहते हैं, "कर्मचारी प्रोत्साहन को सरल रखें "आपकी संपत्ति ब्रोकरेज व्यवसाय बढ़ने के लिए महान प्रतिभा को आकर्षित करना अनिवार्य है। वर्तमान में, कई ब्रोकरेज फर्म इंश्योरेंस कैपिटल विकास और प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह आपके लिए बाजार में अपनी फर्म को अलग करने का एक अवसर प्रस्तुत करता है। इसके अलावा पढ़ें: ब्रोकर कॉर्नर संपत्ति फास्ट कैसे बेचें?
Agri Commodity News English-Hindi
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पहले यह प्रस्ताव रखा है कि पंजीकरण और लेन-देन शुल्क के मामले में जिंस एक्सचेंजों के ब्रोकरों पर भी वहीं शर्तें लागू होनी चाहिए, जो शेयर बाजार के ब्रोकरों पर लगी हुई हैं। इस समय जिंस ब्रोकर सीधे वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के नियंत्रण में नहीं हैं। अब एफएमसी का विलय सेबी में किया जा रहा है। जिंस ब्रोकिंग समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ हाल की एक बैठक में सेबी ने कहा कि जिंस ब्रोकरों पर वहीं नियम लागू होने चाहिए, जो इक्विटी ब्रोकरों पर लगे हुए हैं। सेबी ने कहा कि इक्विटी ब्रोकर 50,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क चुकाते हैं, इसलिए जिंस ब्रोकरों पर भी इतना ही पंजीकरण शुल्क लगना चाहिए।
इसके अलावा सेबी ने यह भी कहा कि लेन-देने फीस बराबर होनी चाहिए, इसलिए जिंस ब्रोकर फीस ब्रोकरों को 0.02 फीसदी ट्रांजेक्शन शुल्क चुकाना चाहिए। इक्विटी ब्रोकर वायदा में कारोबार के लिए इतना ही ट्रांजेक्शन शुल्क लगाते हैं। इसका मतलब है कि वायदा प्लेटफॉर्म पर 1 करोड़ रुपये के लेन-देन पर 200 रुपये ट्रांजेक्शन शुल्क लगेगा। इस समय सेबी खुद में एफएमसी के प्रस्तावित विलय से पहले जिंस ब्रोकरों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण अगस्त के अंत तक शुरू होने के आसार हैं, जबकि सेबी में एफएमसी का विलय सितंबर तक पूरा होने की संभावना है।
हालांकि जिंस ब्रोकरों ने सेबी को सिफारिश दी है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों में विभेद किया जाना चाहिए। वहीं जिंसों में सीटीटी (जिंस लेन-देन क र) और गैर-सीटीटी सेगमेंट को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि जिंस ब्रोकरों ने प्रस्ताव रखा है कि राष्ट्रीय स्तर के ब्रोकर से 50,000 और क्षेत्रीय ब्रोकर से 25,000 रुपये पंजीकरण शुल्क वसूला जाए, जबकि सेबी 50,000 रुपये के एकसमान पंजीकरण शुल्क के पक्ष में है। उन्होंने कहा, 'हमने कहा है कि क्षेत्रीय एक्सचेंजों के सदस्यों की वित्तीय क्षमता कमजोर होती है और इसलिए उन्हें कम फीस चुकाने की मंजूरी दी जाए। एक राष्ट्रीय ब्रोकर के लिए 50,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क ठीक है।' दरअसल संपूर्ण बाजार के विकास के लिए सिस्टम में क्षेत्रीय ब्रोकरों का होना जरूरी है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि क्षेत्रीय ब्रोकरों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। (BS Hindi)