दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर

हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे नए रणनीतिक कदमों से जहां प्रवासी भारतीयों से अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेंगी, वहीं उत्पाद निर्यात और सेवा निर्यात बढ़ने से भी अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेगी और इन सबके कारण डॉलर की तुलना में एक बार फिर रुपया संतोषजनक स्थिति में पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगा.
ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर
इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत निम्नतम स्तर पर पहुंचकर 80 रुपए के आसपास केंद्रित होने से मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है. हाल ही में प्रकाशित कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरोमीटर के अनुसार, रुपए की कीमत में गिरावट और तेज दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर महंगाई के कारण कोई 76 फीसदी शहरी उपभोक्ता अपने दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर जीवन की बड़ी योजनाओं को टालने या छोड़ने पर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर मजबूर हो रहे हैं. ईंधन, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ते पारिवारिक खर्चों के चलते, शहरी भारतीय उपभोक्ता अपने बचत खातों में कम पैसा बचा पा रहे हैं.
फॉरेक्स रिजर्व 580 अरब डॉलर: विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में रूस को पछाड़कर चौथे स्थान पर पहुंचा भारत, चीन इसमें सबसे आगे
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार बन गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंचा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया ।
चीन बना हुआ है टॉप पर
चीन के पास सबसे ज्यादा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत भंडार से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा मिलता है कि सरकार घटते फिजकल आउटलुक और अर्थव्यवस्था के चार दशकों में पहले दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर एक साल के संकुचन की ओर बढ़ने के बावजूद अपने कर्ज को लेकर वादे को पूरा कर सकती है।
दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर
भारतीय रुपया का हाल यह है कि रुपया अब तक के सबसे निचले दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर स्तर पर पहुंच चुका है। खबर लिखने तक एक डॉलर के मुकाबले भारत का रुपया गिरकर 77.39 रुपए तक पहुंच चुका है। कहने वाले कह देंगे कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई की वजह से दुनिया की माल सपलाई टूट चुकी है। जितने सामान की मांग है उतनी सपलाई नहीं हो पा रही है। इसलिए डॉलर के बदले पहले से ज्यादा रुपया देना पड़ रहा है। यह बात एक हद तक ठीक है। लेकिन इसके अलावा भी कुछ बातें है, जिस पर गौर करना चाहिए।
साल 2013 में डॉलर के मुकाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुकाबले रुपया तभी मजबूत होगा जब देश में मजबूत नेता आएगा। उस समय कहा जा रहा था कि यह बताना मुश्किल है कि डॉलर के मुकाबले रुपया ज्यादा गिर रहा है या कांग्रेस पार्टी? कांग्रेस पार्टी और रूपये के गिरने में होड़ लगी है। 2018, 2019, 2020 और 2021 में लगातार रुपया कमज़ोर होता गया– 2.3 प्रतिशत दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर से लेकर 2.9 प्रतिशत तक कमज़ोर हुआ। चार साल से भारत का रुपया कमज़ोर होता जा रहा है। अब यह कमजोर होकर सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। यानी यह बात समझने वाली है कि डॉलर के मुकाबले रूपये की कमजोर होने की कहानी रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बाद ही शुरू नहीं हुई है, बल्कि यह तबसे चली आ रही है जब से तथाकथित मजबूत नेता यानि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। तब से लेकर अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया गिरते गया है। भाजपा के मुताबिक मजबूत नेता के आजाने के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपया में मजबूती होनी चाहिए थी लेकिन यह पहले से ज्यादा मजबूत होने की बजाए कमजोर हो गया। रूपये के गिरने से जुड़े जरूरी कारणों के दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर पड़ताल के साथ उन बातों को भी में ध्यान रखना जरूरी है कि मौजूदा वक्त की सरकार ने तब कहा था जब वह विपक्ष में थी।
Big News: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा रूस का रूबल, भारत के रुपए का भी बढ़ सकता है दबदबा
नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले को दो महीने हो गए हैं। इन दो महीनों में दुनिया के ज्यादातर देशों की आर्थिक हालत खराब हुई है। हर तरफ महंगाई का दबाव है। देशों की मुद्रा के भाव दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर गिरे हैं। यहां तक कि अमेरिका के डॉलर की हालत भी डगमगाई है, लेकिन इन सबके बीच भारत के लिए अच्छी खबर हो सकती है। रूस से व्यापार में रुपए और रूबल से कारोबार करने का रास्ता खुल रहा है। इससे रुपए की स्थिति मजबूत हो सकती है। रुपए की मजबूती की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में भी जबरदस्त बढ़ोतरी के आसार हैं।
दुनिया की सबसे महंगी Currency कौन सी है, क्या आपको पता है?
डीएनए हिंदी: वर्तमान समय में मुद्राएं हमारे लिए कितनी जरूरी ये तो हम सभी जानते हैं. किसी भी प्रकार की चीज या सुख सुविधा को खरीदने के लिए हमें करेंसी की जरुरत होती है. यानी हम यह समझ सकते हैं कि वर्तमान समय में मुद्राओं के बिना जिंदगी जीना असंभव है. पहले के समय में यह संभव था लेकिन तब वस्तु विनिमय प्रणाली यानी आपस में सामान का अदला-बदली नियम लागू था. वस्तु दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत हम एक वस्तु को दूसरे वस्तु से बदल सकते थे. मतलब हम चावल देने के बदले किसी व्यक्ति से कोई और अनाज या कोई और वस्तु ले सकते थे.
मुद्रा का इस्तेमाल