निवेश रणनीति

डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार

डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार
by अभिषेक शर्मा
Published - Thursday, 01 December, 2022

pension scheme: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए कैसे?

pension scheme: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए कैसे?

pension scheme: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए कैसे?

pension scheme: केंद्र सरकार लगातार किसानों के आर्थिक लाभ के लिए प्रयासरत है.

इसी क्रम में प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (PM Kisan) के तहत सरकार किसानों के खाते में

2000 रुपये की 3 किस्त यानी सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद देती है.

अब तक किसानों के खाते में 11 किस्त यानी 22,000 रुपये आ चुके हैं. किसानों की आर्थिक मदद के लिए

और बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने पेंशन की सुविधा

‘पीएम किसान मानधन योजना’ ( pension scheme) भी शुरू की है.

किसानों को मिलेगी गारंटीड पेंशन

पीएम किसान मानधन योजना के तहत किसानों को 60 साल के बाद पेंशन दिया जएगा.

खास बात यह है कि अगर आप डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार पीएम किसान में अकाउंट होल्‍डर हैं,

तो आपको किसी कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी. आपका डायरेक्‍ट रजिस्ट्रेशन पीएम किसान मानधन स्‍कीम में

भी हो जाएगा. इस स्कीम के कई बेहतरीन फीचर और बेनिफिट्स हैं.

क्या है पीएम किसान मानधन योजना

पीएम किसान मानधन स्‍कीम की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार,

इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है.

यानी सरकार किसानों के बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए इसकी शुरुआत की है.

इस स्‍कीम में 18 साल से 40 साल तक का कोई भी किसान निवेश कर सकता है.

इसके तहत किसान को 3000 रुपये तक की मासिक पेंशन (pension scheme) मिलती है.

मानधन योजना के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स

3. आयु प्रमाण पत्र

4. आय प्रमाण पत्र

5. खेत की खसरा खतौनी

6. बैंक खाते की पासबुक

8. पासपोर्ट साइज फोटो

फैमिली पेंशन भी मिलेगा

इस स्‍कीम में रजिस्‍टर्ड किसान को उम्र के हिसाब से मंथली निवेश करने पर 60 की उम्र के बाद

मिनिमम 3000 रुपये मंथली या 36,000 रुपये सालाना गारंटीड पेंशन मिलेगी.

इसके लिए किसानों को 55 रुपये से 200 रुपये तक मंथली निवेश करना होगा.

पीएम किसान मानधन में फैमिली पेंशन का भी प्रावधान है. खाताधारक की मौत हो जाने पर उसके जीवनसाथी को

50 फीसदी पेंशन मिलेगी. फैमिली पेंशन में सिर्फ पति/पत्‍नी ही शामिल हैं.

पीएम किसान लाभार्थी को कैसे होगा फायदा

पीएम किसान स्‍कीम के तहत सरकार पात्र किसानों को हर साल 2000 रुपये की 3 किस्त यानी 6000 रुपये की

आर्थिक मदद देती है. ये रकम किसान के खाते में सीधा जारी की जाती है.

इसके खाताधारक अगर पेंशन स्कीम पीएम किसान मानधन में भाग लेते हैं, तो उनका रजिस्‍ट्रेशन आसानी से हो जाएगा.

साथ ही अगर किसान ये विकल्प चुनें तो पेंशन स्कीम में हर महीने कटने वाला कंट्रीब्‍यूशन भी इन्हीं 3 किस्त में मिलने

वाली रकम से कट जाएगा. यानी, इसके लिए पीएम किसान खाताधारक को जेब से पैसे नहीं लगाने पड़ेंगे.

त्वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी बहुत उपयोगी है गुलाब जल, इस्तेमाल से होते हैं ये फायदे

आजकल प्रदूषण के कारण बाल रूखे और बेजान होजा ते हैं, इसलिए उनकी सही देखभाल जरूरी हो जाती है। वैसे तो बाजार में कई तरह के हेयर प्रोडक्ट मौजूद हैं, लेकिन उनमें कई तरह के केमिकल मिले होते हैं, जिनसे बालों को नुकसान पहुंच सकता है।

ऑइली स्कैल्प के लिए
गुलाबजल आपके बालों को ऑयली होने से बचाता है यानि कि यह आपके स्‍कैल्‍प में निकलने वाले एक्‍सट्रा ऑयल को कंट्रोल कर सकता है. रोजवाटर का पीएच स्‍कैल्‍प के पीएच को कंट्रोल करता है और एक्‍सट्रा ऑयल को कंट्रोल करने में मददद करता है. कुछ समय तक बालों में गुलाबजल का इस्‍तेमाल करने से आपके बाल ऑयली नहीं होंगे.
बालों को बढ़ने में मदद करता है
गुलाबजल विटामिन ए, सी, डी, ई और बी3 से भरपूर होता है और ये सभी हमारे बालों, त्वचा और शरीर की सेहत ले लिए बहुत जरूरी होता है. जब रोज़ वॉटर को डायरेक्ट स्कैल्प पर स्प्रे किया जाता है, ये विटामिन्स तुरंत स्किन और हेयर फॉलिकल्स में अंदर तक जाकर अपने गुणों से पोषण देते हैं और उन कमियों को पूरा करते हैं जिसकी वजह से बाल बढ़ नहीं पाते. इस तरह बाल अच्छी तरह बढ़ने लगते हैं, साथ ही स्मूद भी होते हैं

डैंड्रफ के लिए
बालों से रूसी हटाने के लिए भी गुलाब जल के फायदे देखे जा सकते हैं. रूसी को नियंत्रित करने में गुलाब जल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यदि आप रूसी से छुटकारा पाने और बालों के झड़ने को रोकना चाहते हैं, तो कोशिश करें गुलाब जल हेयरकेयर रेमेडी ट्राई करें.

Global Economy में गिरावट के आसार, क्या भारत पर पड़ेगा असर, जानें एक्सपर्ट की राय

अभिषेक शर्मा

by अभिषेक शर्मा
Published - Thursday, 01 December, 2022

Recession 2022 impact

नई दिल्लीः वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) में इस वक्त कई पश्चिमी देशों में इस वक्त हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया पहले कोविड महामारी और उसके बाद रूस द्वारा यूक्रेन पर किए आक्रमण की वजह से काफी पीछे चली गई है और स्लोडाउन के बीच कई देशों में इस वक्त मंदी की आहट सुनाई डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार दे रही है. इसका असर भारत जैसे विकासशील देश और पाकिस्तान व श्रीलंका जैसे संकटग्रस्त देशों में भी देखने को मिल रहा है.

अमेरिका, इंग्लैंड की हालत ज्यादा खराब

अमेरिका और ब्रिटेन जैसे अमीर देश मुद्रास्फीति को कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने नवंबर में अपनी प्रमुख अल्पकालिक ब्याज दरों में 75 आधार अंकों (0.75 प्रतिशत) की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. वर्तमान में, कई पश्चिमी देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.

भारत में रुपया कमजोर हुआ

अमीर देशों में बड़ी कंपनियों का पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. वर्ष की शुरुआत के बाद से, भारतीय रुपये में तेजी से गिरावट आई है जबकि अमेरिकी डॉलर में काफी मजबूती आई है. अरुण सिंह, ग्लोबल चीफ इकोनॉमिस्ट, डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया ने कहा, “ग्लोबल इकोनॉमी मुद्रास्फीति, बिगड़ते विकास दृष्टिकोण और मंदी की आशंकाओं का मुकाबला करने के लिए पिछली आधी सदी की मौद्रिक नीति के सबसे समकालिक एपिसोड में से एक देख रही है। डॉलर के मजबूत होने से भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी का बहिर्वाह हुआ है। इसके अलावा, वित्तीय संपत्ति की कीमतों में गिरावट आई है, बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहे हैं, उधार की लागत एक दशक के उच्च स्तर पर बढ़ रही है."

आयात से रुपये में कमजोरी बढ़ती है

आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अनंत सिंघानिया ने कहा, भारत की मुद्रास्फीति काफी हद तक आयात की जाती है। "कमजोर रुपया हमारे आयात को और अधिक महंगा बना देता है, और आयात हमारे देश के लिए आवश्यक है। कच्चे तेल, खाद्य तेल, उर्वरक, सोना आदि की हमारी खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए, हम आयात पर निर्भर हैं."

सिंघानिया ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए जहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी जरूरी हो सकती है, वहीं ऐसी बढ़ोतरी को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। यदि नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो दर वृद्धि संभावित रूप से और संभवतः अनिवार्य रूप से आर्थिक गतिविधियों की मंदी का परिणाम हो सकती है क्योंकि धन महंगा हो जाता है।

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री, इंद्रनील पैन ने बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड को बताया कि भारत अभी तक डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार मुद्रास्फीति वृद्धि चक्र के अंत के करीब नहीं है, भले ही यूएस फेड वृद्धि की धीमी गति के लिए तैयार है, लेकिन टर्मिनल दर पर कोई आम सहमति नहीं है।

"हालांकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण अनुपात घरेलू रूप से संचालित है, वैश्विक विकास मंदी निर्यात चैनल के माध्यम से भारत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी. यह ज्यादातर सामान्य ज्ञान है कि वैश्विक आय स्तर भारतीय रुपये की तुलना में भारत के निर्यात की मात्रा का एक बड़ा निर्धारक है," पैन ने कहा.

अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां ​​ने कम की भारत की रेटिंग

कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ​​भारत की ग्रोथ को कम कर रही हैं. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास के अनुमान को 30 बीपीएस से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया. इससे पहले, अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जिसमें गिरावट का जोखिम था.

यहां तक ​​कि डेलॉइट इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि देश को वित्तीय वर्ष (FY) 2022-23 के दौरान 6.5 से 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करनी है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा, "बाहरी वातावरण सभी 'खुली' अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करता है. मंदी के लिए भारत का सबसे बड़ा जोखिम व्यापार चैनल के माध्यम से होगा. हालांकि भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11-12 प्रतिशत है. औसतन कम निर्यात, फिर भी वृद्धि पर दबाव डालेगा."

भारत की जीडीपी इतनी रहने की उम्मीद

रक्षित ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2023 की जीडीपी वृद्धि लगभग 6.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2024 के लिए लगभग 6 प्रतिशत रहेगी. हालांकि, चिंता अपेक्षित वैश्विक मंदी की अवधि और यूएस, यूके और यूरोप में मंदी की गहराई है. इसके अतिरिक्त, कैलेंडर वर्ष 2023 में कोविड-19 के प्रति चीन की रिकवरी और उसकी नीतियों की सीमा भी वैश्विक मांग पर प्रभाव डालेगी.

जैसा कि कई एजेंसियां ​​अब अगले वित्तीय वर्ष के लिए भारत की जीडीपी को 6 प्रतिशत के करीब आंक रही हैं, अब एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पिछले कुछ वर्षों में विकास दर को बनाए रखने में सक्षम होगी.

अनिश्चितता वाला वर्ष रहेगा 2023

जैसा कि रूस-यूक्रेन संकट अभी भी जारी है, वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता की लंबी अवधि में प्रवेश करने जा रही है. विशेषज्ञों ने कहा कि 2023 में 2022 की तुलना में धीमी विश्व वृद्धि देखी जा सकती है जो डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार भारत के निर्यात को प्रभावित करेगी. पैन ने कहा कि मूल्य के संदर्भ में भारतीय निर्यात में जो वृद्धि देखी गई थी (वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण) वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण कम हो रही है.

रक्षित ने कहा, "मंदी, ब्याज दर चक्र, वित्तीय बाजार अव्यवस्थाओं, ऊर्जा की कीमतों आदि की निकट अवधि की अनिश्चितताओं के अलावा विश्व अर्थव्यवस्था में चल रहे अधिक मौलिक बदलाव कैलेंडर वर्ष 2023 में अनिश्चितता और अस्थिरता को बढ़ाएंगे."

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