निवेश रणनीति

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

Please Enter a Question First

झारखण्ड माध्यमिक बोर्ड परीक्षा (सामाजिक विज्ञान)

महामंदी के तीन कारणों की व्याख .

Solution : आर्थिक महामंदी का अर्थ किसी देश की ऐसी आर्थिक दशा से है जब उत्पादन में भारी वृद्धि, लोगों की क्रयशक्ति में तीव्र गिरावट और मुद्रा के वास्तविक मूल्य में कमी आ जाय। ऐसी आर्थिक महामंदी में अमेरिका में आई थी और इसने समस्त विश्व को ग्रास बना लिया, जिसके कारण इसे महामंदी कहा जाता है।
(i) युद्ध द्वारा उत्पन्न स्थितियाँ - प्रथम युद्ध काम में सेना से सम्बंधित वस्तुओं की मांग में वृद्धि के कारण भारी औद्योगिक प्रसार किए गए। युद्ध के बाढ़ उद्योग अपनी सामान्द्य स्थिति में आ गए। सैनिक व युद्ध सम्बन्धी माल की मांग में तीव्र कमी के कारण आर्थिक महामंदी का जन्म हुआ।
(ii) कृषि में अधिक उत्पादन - 1929 की आर्थिक मंडी का कृषि क्षेत्रों तथा समुदायों पर बहुत बुरा असर पड़ा, क्योंकि औद्योगिक उत्पादों की तुलना में खेतिहर उत्पादों की कीमतों में भारी कमी आई और ज्यादा समय तक कमी बानी रही। उत्पादन लागत की तुलना में कीमते घट गयी।
(iii) ऋण की कमी - 1920 के दशक के मध्य में बहुत से देशों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश सम्बन्धी जरूरतों को पूरा किया था। जब स्थिति ठीक थी तो अमेरिका से ऋण जुटाना सरल था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिका उद्यमियों में खलबली मच गई। 1928 के पूर्वार्द्ध तक विदेशों में अमेरिका का ऋण एक अरब डॉलर था। जो देश अमेरिकी ऋण पर सबसे ज्यादा निर्भर थे, उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ।
(iv) अनेकविध प्रभाव - बाजार से ऋणदाताओं के उठ जाने से अनेकविध प्रभाव सामने आए। यूरोप में कई बड़े बैंक धराशायी हो गए , मुद्रा लुढ़क गई और ब्रिटिश पौंड पाउन्ड भी इस विश्व बाजार शुल्क और सीमा झटके से नहीं बच स्का। लैटिन अमेरिका और अन्य स्थानों पर कृषि व कच्चे माल की कीमतें तेजी से गिरी। अमेरिका सरकार इस महामंदी से अपनी अर्थव्यवस्था को बचने के लिए आयातित पदार्थों पर दोगुना सीमा शुल्क वसूलने लगी जिससे विश्व व्यापार की कमर ही टूट गई।

डिजिटल उत्पादों के आयात पर शुल्क की व्यवस्था होने से सरकार की बढ़ेगी आमदनी

राजस्व वृद्धि के साथ डिजिटल क्रांति भारत में डिजिटल उत्पादों का व्यापक पैमाने पर आयात किया जाता है। परंतु बहुत कम उत्पादों पर आयात शुल्क का प्रविधान है। इससे राजस्व की हानि होती है लिहाजा यह विचारणीय मसला है।

डा. अश्विनी महाजन। इलेक्ट्रानिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क के स्थगन को विश्व व्यापार संगठन के 12वें विश्व बाजार शुल्क और सीमा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में फिर से कायम रखा गया है, जबकि इसका अंत करने के लिए सम्मेलन के आरंभ से ही भारत ‘मुखर प्रयास’ कर रहा था। कुछ लोग कहते हैं, यह अमेरिका के दबाव के कारण हुआ है, दूसरों को लगता है कि भारत ने इसकी अन्य ‘लाभों’ के लिए सौदेबाजी की है। वैसे भारत ने कहा था कि वह सीमा शुल्क पर इस रोक का विरोध करेगा, क्योंकि इससे हमारे डिजिटल विकास को नुकसान पहुंचने के अलावा राजस्व की भी हानि हो रही है। इस कारण घरेलू कारोबारियों को बड़ी वैश्विक तकनीकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

NCPCR के अध्यक्ष कानूनगो ने की बच्चों के साथ लैंगिक अपराध मामलों में पहचान उजागर नहीं करने की अपील।

उल्लेखनीय है कि विश्व व्यापार संगठन के आरंभ के समय इलेक्ट्रानिक उत्पादों का व्यापार बहुत सीमित था। ऐसी स्थिति में, विश्व व्यापार संगठन के दूसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 1998 में इलेक्ट्रानिक उत्पादों के व्यापार पर टैरिफ को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और इस बीच विकास की जरूरतों के संदर्भ में वैश्विक इलेक्ट्रानिक व्यापार से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए निर्णय लिया गया था।

ट्रांसजेंडर्स के लिए नामांकन शुल्क में छूट की मांग वाली याचिका पर SC ने सुनवाई से किया इनकार

विकसित देश इलेक्ट्रानिक उत्पादों के आयात पर शुल्क लगाने के निर्णय को कई बहाने से स्थगित करते रहे। आज केवल भारत में ही 30 अरब डालर से अधिक के इलेक्ट्रानिक उत्पाद आयात किए जा रहे हैं। यदि 10 प्रतिशत टैरिफ भी लगा दिया जाए तो सरकार को तीन अरब डालर से ज्यादा का राजस्व मिलेगा। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, विकासशील देश वर्ष 2017-2019 की अवधि में केवल 49 डिजिटल उत्पादों के आयात से 56 अरब डालर के राजस्व की प्राप्ति कर सकते थे। इस अवधि में अति अल्पविकसित देश आठ अरब डालर का राजस्व प्राप्त कर सकते थे।

नंबी नारायणन मामले में चार आरोपियों की अग्रिम जमानत रद्द

यहां मुद्दा केवल राजस्व के नुकसान का नहीं है, यह भारत जैसे देश के विकास के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है, जहां स्टार्ट-अप और साफ्टवेयर कंपनियां विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रानिक उत्पाद बनाने में सक्षम हैं, जहां हम फिल्में और अन्य मनोरंजन उत्पाद बना सकते हैं। लेकिन जब ऐसे सभी उत्पादों को बिना किसी शुल्क के आयात किया जाता है, तो उन्हें स्वदेशी रूप से उत्पादित करने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता है। ई-उत्पादों पर यह टैरिफ स्थगन वास्तव में अमेरिका, यूरोपीय देशों और चीन को लाभान्वित करते हुए आत्मनिर्भर भारत के हमारे प्रयासों को नुकसान पहुंचा रहा है। विश्व व्यापार संगठन के हालिया सम्मेलन की शुरुआत में भारत ने एक साहसिक रुख के साथ शुरुआत की और वाणिज्य मंत्री ने कहा कि 24 वर्षो से जारी इस स्थगन की समीक्षा की जानी चाहिए।

Latvian Tourist News: विदेशी पर्यटक के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में आरोपी दोषी करार

विश्व व्यापार संगठन के पहले के मंत्रिस्तरीय सम्मेलनों में पिछले 24 वर्षो में, विकसित दुनिया इलेक्ट्रानिक ट्रांसमिशन को हर सम्मेलन के बाद आसानी से रोक लगवाती रही है। दरअसल 12वां सम्मेलन, ऐसा पहला सम्मेलन था, जहां उन्हें विकासशील देशों के कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। इससे एक उम्मीद जगी थी कि टैरिफ अधिस्थगन आखिरकार खत्म हो जाएगा। लेकिन इस लड़ाई में भी हार हुई और एक बार फिर से विकासशील देशों को संबंधित लाभ से वंचित ही रखा गया।

आंध्र प्रदेश में सड़क हादसे में पांच की मौत

राजस्व वृद्धि के साथ डिजिटल क्रांति : भारत ने डिजिटल वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवाओं, डिजिटल भुगतान और सरकारी हस्तांतरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। साफ्टवेयर में निश्चित तौर पर भारत की ताकत को कम करके नहीं आंका जा सकता। हाल ही में भारत ने स्वदेशी 5जी में विशेष उपलब्धि हासिल की है। हमने अपने स्वयं के डिजिटल उत्पादों को विकसित करना शुरू कर दिया है। सीमा शुल्क लगाने से हमारे डिजिटल उद्योगों के लिए समान अवसर प्रदान करने में मदद मिल सकती है, जो अभी शैशव अवस्था में हैं। यदि हम देखें, तो बहुत सारे वीडियो गेम, संगीत, फिल्में और ओटीटी सामग्री आदि सहित ऐसी अन्य वस्तुओं को अधिस्थगन के कारण सीमा शुल्क से मुक्त प्रसारित किया जा रहा है। यदि यह स्थगन समाप्त हो जाता है, तो ऐसी सेवाओं की विशिष्ट खपत कम हो जाएगी। इससे मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी और सरकार को राजस्व के रूप में लाभ भी होगा, जिसका उपयोग विकास और लोक कल्याण के लिए किया जा सकता है।

देश के इन राज्यों में बढ़ी ठंड

बड़ी टेक कंपनियों का खेल : जब से बड़ी टेक कंपनियों को यह ज्ञात हो गया कि भारत और अन्य विकासशील देश टैरिफ स्थगन को समाप्त करने पर जोर दे रहे हैं, उन्होंने अपनी-अपनी सरकारों के माध्यम से इन प्रयासों को विफल करने के प्रयास शुरू कर दिए। अपनी बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर, विकसित देशों ने एक मजबूत प्रयास किया और हमेशा की तरह उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भी स्थगन को नवीनीकृत करने के लिए सभी राजनयिक और दबाव वाली रणनीति का इस्तेमाल किया। यह उल्लेखनीय है कि जब विकासशील देश ‘विशेष और विभेदक उपचार’ (एस एंड डीटी) की मांग कर रहे हैं, विकसित देश रिवर्स एस एंड डीटी का आनंद ले रहे हैं। यह खत्म होना चाहिए। वैसे सम्मेलन संपन्न हो गया है और इस स्थगन की समाप्ति के लक्ष्य को 13वें सम्मेलन तक बढ़ा दिया गया है। भारत को इसके लिए, इलेक्ट्रानिक ट्रांसमिशन की परिभाषा, इसके दायरे और प्रभाव जैसे मुद्दों का गहन अध्ययन करते हुए, दृढ़ दृष्टिकोण के साथ कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।

डेली न्यूज़

केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर और सीमा शुल्‍क बोर्ड (CBIC) ने भारत में निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ सीमा शुल्‍क (कस्‍टम्स) अधिनियम, 1962 के तहत बॉण्ड स्‍कीम के अंतर्गत विनिर्माण एवं अन्‍य परिचालनों के ज़रिये ‘मेक इन इंडिया’ में मज़बूती लाने के लिये एक संशोधित एवं सुव्‍यवस्थित कार्यक्रम शुरू किया है।

  • ज्ञातव्य है कि सीमा शुल्‍क अधिनियम, 1962 की धारा 65 से किसी भी कस्‍टम बॉण्डेड वेयरहाउस में विनिर्माण और अन्‍य परिचालन संभव हो पाते हैं।
  • इस योजना को स्‍पष्‍ट एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं, परिचालन संबंधी आवश्‍यकताओं और ICT आधारित प्रलेखन तथा लेखा-जोखा रखने के ज़रिये आधुनिक बना दिया गया है।

योजना की प्रमुख बातें

  • तौर-तरीकों या परिचालन में एकरूपता के लिये एकल आवेदन-सह-मंज़ूरी फॉर्म निर्दिष्‍ट किया गया है।
  • सीमा शुल्क के क्षेत्राधिकार आयुक्त इस तरह की इकाइयों की स्‍थापना तथा उनके परिचालन पर करीबी नजर रखने के लिये मंज़ूरी के एकल बिंदु के रूप में काम करेंगे।
  • ऐसी कोई भौगोलिक सीमा नहीं है जहाँ इस तरह की इकाइयाँ स्‍थापित की जा सकती हैं।
  • सीमा शुल्‍क स्‍थगन कार्यक्रम के तहत संबंधित यूनिट विभिन्‍न वस्‍तुओं (कच्‍चा माल एवं पूंजीगत सामान) का आयात कर सकती है।
  • यदि प्रसंस्‍कृत वस्‍तुओं का निर्यात किया जाता है तो संबंधित शुल्‍क को पूरी तरह से माफ कर दिया जाता है।
  • इसके तहत कोई भी ब्‍याज देनदारी नहीं होगी और बेहतर तरलता (लिक्विडिटी) से संबंधित इकाइयाँ (यूनिट) लाभान्वित होंगी।
  • धारा 65 के अंतर्गत आने वाली यूनिट्स में विनिर्माण एवं अन्‍य परिचालनों में उपयोग के लिये घरेलू बाज़ार से GST अनुरूप वस्‍तुओं की खरीदारी की जा सकती है।
  • कारोबार में सुगमता के साथ-साथ आसान अनुपालन के लिये एकल डिजिटल खाते को निर्दिष्‍ट किया गया है।
  • CBIC ने इस योजना के बारे में आवश्‍यक जानकारी देने तथा इसे प्रोत्‍साहित करने के साथ-साथ निवेशकों की सुविधा के लिये ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के साथ मिलकर एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्‍च की है।

इन्वेस्ट इंडिया

इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार की आधिकारिक निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा प्रदाता एजेंसी है, जिसे देश में निवेश को सुविधाजनक बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह देश में संभावित वैश्विक निवेशकों के लिये सबसे पहला केंद्र है। ‘इन्वेस्ट इंडिया’ का मुख्य उद्देश्य उद्यमों को व्यावहारिक निवेश सूचनाएँ सुलभ कराते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाना और संबद्ध देशों के आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान करने वाले अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियों को आवश्यक सहयोग प्रदान करना है।

2. सौरव गांगुली बने BCCI के नए अध्यक्ष

  • पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के नए अध्यक्ष होंगे।
  • इसकी घोषणा BCCI के पूर्व सदस्य राजीव शुक्ला ने की।
  • सौरव गांगुली के अलावा अन्य किसी ने पद के लिये नामांकन दाखिल नहीं किया। उनके निर्विरोध निर्वाचन की विधिवत घोषणा 23 अक्तूबर को होगी।
  • वह 10 महीने के लिये बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। सौरव गांगुली 5 साल 2 महीने से बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
  • नए नियमों के अनुसार, बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार 6 साल तक ही किसी पद पर रह सकता है।
  • इस तरह सौरव गांगुली का बोर्ड में कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाएगा।
  • सौरव गांगुली BCCI के ऐसे पहले अध्यक्ष होंगे, जिनके पास 400 से ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैचों का अनुभव है, उन्होंने कुल 424 मैच खेले।
  • सौरव गांगुली विश्व बाजार शुल्क और सीमा से पहले वर्ष 1954 से वर्ष 1956 तक 3 टेस्ट खेलने वाले महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम (विजय आनंद गणपति राजू) ही पूर्णकालिक अध्यक्ष विश्व बाजार शुल्क और सीमा थे। ।
  • सौरव गांगुली बोर्ड के 35वें अध्यक्ष होंगे, हालाँकि 233 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले सुनील गावस्कर और 42 मैच खेलने वाले शिवलाल यादव ने भी बोर्ड का नेतृत्व किया, लेकिन दोनों वर्ष 2014 में कुछ समय के लिये अंतरिम अध्यक्ष ही रहे थे।

BCCI क्या है?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) देश में क्रिकेट के लिये राष्ट्रीय शासकीय निकाय है। बोर्ड एक सोसाइटी, तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है और इसका गठन दिसंबर, 1928 में गकिया गया था। यह राज्य क्रिकेट संघों के एक संघ है और राज्य संघों के प्रतिनिधि निर्धारित समय पर BCCI के अधिकारियों का चुनाव करते हैं। BCCI भारतीय क्रिकेट को पोषित करता है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट की भागीदारी सुनिश्चित करता है।बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है। यह जान लेना भी बेहद रोचक है कि भारत में एक स्वायत्त संस्था या सोसाइटी, जैसा कि भारतीय कानून में बीसीसीआई है, को केवल इसलिये एक खेल का आधिकारिक प्रशासक मान लिया गया है क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था इसकी टीम को ही भारतीय टीम की मान्यता देती है।

नमकीन के पैकेट से हिरानी बाजार, सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी भी हुए हैरान

सूरत: सूरत सीमा शुल्क विभाग ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सूरत से शारजाह आए जावेद पठान (सूरत हीरा तस्करी) नाम के एक यात्री के पास से 6.45 करोड़ रुपये के हीरे जब्त किए. सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि हीरा तस्करी (सूरत एयरपोर्ट हीरा तस्करी मामला) की इस घटना में कोई आरोप लग सकता है. इस संबंध में आगे की जांच की गई है। आरोपियों ने लाल और नमकीन के पैकेट में छिपाकर रखे छोटे व बड़े आकार के डायमंड पैड ले जाने का इंतजाम किया था.

सूरत अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर शारजाह फ्लाइट से जा रहे यात्री फरसान के भेष में हीरा जावेद पठान पर सीमा शुल्क विभाग की नजर थी. जावेद के पास एक सूटकेस था। जिसमें ऊपर के हिस्से में कपड़ा और नीचे की तरफ फरसान था। सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने जब सामान की जांच शुरू की तो अधिकारी भी हैरान रह गए। फरसान की कंपनी से पैक किए गए पैकेट में बड़े और छोटे हीरे थे। डायमंड के पैकेट (क्राइम ऑफ सूरत डायमंड) कार्बन कोटेड पेपर से बने होते थे। जिससे हीरे को स्कैनर मशीन में स्कैन नहीं किया जाएगा।

उधना क्षेत्र निवासी - सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने 6.45 करोड़ रुपये मूल्य के 2763 कैरेट हीरे जब्त कर कानूनी कार्रवाई की. सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया जावेद पठान सूरत (सूरत सीमा शुल्क विभाग) के उधना इलाके का रहने वाला है और उसने अधिकारियों को बताया कि वह पहली बार शाहजहां जा रहा है. इतना ही नहीं उनका पासपोर्ट भी जनवरी के महीने में बना था। आरोपी जावेदा द्वारा हीरे को विदेश ले जाने के बाद, जिसे उसे देना था और वहां से ये हीरे दूसरे देशों में कहां बेचे गए, इसकी जांच चल रही है। इतना ही नहीं अधिकारी इस हीरा तस्करी के जखीरे में दोष की आशंका भी जाहिर कर रहे हैं.

रेटिंग: 4.12
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 142
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *